जानिए सीधी एवं सिंगरौली का इतिहास
सीधी जिला:-
सीधी प्रदेश का पूर्वोत्तर हिस्सा है, जिले को 3 प्राकृतिक भागों में विभक्त किया गया है
(1) उत्तर की कैमोर श्रेणी
(2) सोन नदी की घाटी
(3) मझौली एवं मड़वास का पठार
सीधी जिला छठवीं शताब्दी में प्रतिहारों के प्रभुत्व में रहा है, सातवीं शताब्दी के अंत में कल्चुरियों का प्रभाव स्थापित हुआ। इसी वंश के युवराज देव प्रथम के शासनकाल में ग्राम चंदरेह शिव मंदिर तथा शिव मठ का निर्माण कराया गया। 16वीं शताब्दी में क्षेत्र बघेलो के अधिपत्य में चला गया। जो स्वतंत्रता तक अंतिम बघेल शासक महाराजा मार्तंड सिंह जूदेव के अधीन रहा।
सिंगरौली जिला:-
यह नया जिला बेशकीमती खनिजों से परिपूर्ण है जिले में कोयले के अपार भंडार हैं, नार्दन कोल फील्ड के अंतर्गत 9 खदानें संचालित हैं साथ ही एनटीपीसी का 4000 मेगावाट का पावर प्लांट स्थापित है .ऐतिहासिक गुफा मारा भी स्थित है जिले की दो प्राकृतिक भागों में बांटा जा सकता है।
देवसर की पहाड़ियां व सिंगरौली का मैदान:- यह गोंडवाना लैंड का अपशिष्ट भाग है।
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