जिला चिकित्सालय मामले में ऐक्शन मोड में आये कमिश्नर

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जिला चिकित्सालय मामले में ऐक्शन मोड में आये कमिश्नर




जिला चिकित्सालय मामले में ऐक्शन मोड में आये कमिश्नर   


शहडोल। 
जिला अस्पताल की उठापटक कम नहीं हो रही है। इन परिस्थितियों से नाराज शहडोल कमिश्नर नरेश पाल ऐक्शन मोड में आ गए हैं. क्यों कि जिला अस्पताल के बदतर हालात के चलते मरीजों का नुकसान हो रहा है। हालात पटरी पर लाने के लिए सिविल सर्जन डॉ.जीएस परिहार पूरी कोशिश में लगे हैं पर डॉक्टर्स अपने रूख पर कायम हैं और वे अपने काम पर वापस नहीं आ रहे हैं। बुधवार को जिला अस्पताल के सात डॉक्टरों ने सिविल सर्जन को मेडिकल व सीएल के लिए आवेदन किया था जिसे सिविल सर्जन ने निरस्त कर दिया है। बुधवार को भी मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर्स ने जिला अस्पताल में चिकित्सकीय सेवाएं प्रदान कीं। जिला अस्पताल के 21 डॉक्टर्स के इस्तीफे से यहां की व्यवस्था पर असर तो पड़ा है और मरीज इलाज के लिए भटकते रहते हैं। मेडिकल डॉक्टर्स की संख्या कम होने के कारण अलग अलग विभागों को संभालना मुश्किल होता है लेकिन किसी तरह अस्पताल की व्यवस्थाओं को संभालने का पूरा प्रयास किया जा रहा है। वहीं कमिश्नर नरेश पाल ने डॉ.राजा शीतलाली को नोटिस जारी कर दिया है और 24 घंटे के अंदर जबाब मांगा है। इस कदम से अब डॉक्टर्स में खलबली मच गई है।
 जिला अस्पताल के सात डॉक्टर्स जिन्होंने एक दिन पहले यानी मंगलवार को अपना इस्तीफा दिया था उन्होंने ही वेकफुट पर आते हुए सिविल सर्जन को अपने लिए अवकाश की मांग करते हुए अर्जी लगाई। जिन डॉक्टर्स ने छुट्टी के लिए अपना आवेदन सीएस को पहुंचाया उनमें नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ.व्ही बारिया, पीएमओ निश्चेतना डॉ.मनोज जायसवाल, पीएमओ रेडिया डॉ.बी आर प्रजापति, मेडिकल ऑफिसर डॉ.सुनील स्थापक, अस्थी रोग विशेषज्ञ डा.मुकुंद चतुर्वेदी, मेडिकल ऑफिसर डॉ.आरती ताम्रकार पीजीएमओ ईएनटी डॉ.रेखा कारखुर के नाम शामिल हैं।
 जिला अस्पताल के सिविल सर्जन डॉ. जीएस परिहार ने इन सभी डॉक्टर्स की लीव एप्लीकेशन को स्वीकार नहीं किया है। इन सभी के छुट्टी आवेदनों को निरस्त कर दिया गया है। इन सभी को पत्र जारी करते हुए सिविल सर्जन ने कहा है कि इस कार्यालय में छुट्टी के लिए किए गए आवेदन निरस्त करते हुए कहा कि आप तत्काल कार्य पर उपस्थित हों अन्यथा अनुपस्थित मानते हुए आपके विरूद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। जिला अस्पताल के डॉक्टर्स की इस तरह से चल रही खींचातान के चलते बुधवार को भी मरीज परेशान नजर आए। न तो सोनोग्राफी हो रही थी और न ही ओपीडी में पर्याप्त डॉक्टर बैठे हुए थे। ओपीडी में सिर्फ एक डॉक्टर की मौजूदगी थी जिसके चलते मरीजों को दिक्कतें आ रही थीं। वहीं ऑपरेशन भी नहीं हो पा रहे हैं। इमरजेंसी सेवाएं ही चल रही हैं। हालांकि जिला अस्पताल के कुछ डॉक्टर जो विरोध में शामिल नहीं हैं जिनकी संख्या चार से पांच है वे भी अपनी सेवाएं बराबर दे रहे हैं।

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