नगरीय निकाय चुनाव:समस्याओं के अम्बार से दोनों पार्टियों की बढ़ेंगी मुश्किलें,नाली एवं सड़क की समस्या तक से भी नहीं मिल पायी अब तक निजात
आर.बी. सिंह राज। सीधी
नगर पालिका परिषद सीधी में प्रदेश की भाजपा सरकार के 15 वर्षों के शासन काल के दौरान लगातार 15 वर्षों से भाजपा से ही नपाध्यक्ष रहे हैं। परंतु इस दौरान नगर पालिका सीधी के विकास को लेकर कोई खास पहल होती नहीं दिखी। यहां तक की वार्डों की नाली एवं सड़कों की समस्याओं का भी निदान नहीं हो पाया है। ऐसी स्थिति में आने वाले चुनाव में भाजपा एवं कांग्रेस से जो भी दावेदार होंगे उनकी मुश्किलें बढ़ सकती हैं। वजह यह कि कांग्रेस में भी नगर की समस्याओं को लेकर जिस स्तर का विरोध होना चाहिए था उस स्तर का कांग्रेस ने विरोध करना उचित नहीं समझा था।
देखा जाये तो नगर पालिका में कुल 24 वार्ड हैं। इन वार्डों में अतीत के वर्षों में विकास के लिए न तो पार्षदों ने पहल कराना उचित समझा न ही नगर पालिका द्वारा समस्याओं को लेकर जनता के साथ खड़ा होना उचित समझा गया। अब फिर से चुनाव सिर पर हैं, कांग्रेस एवं भाजपा के कई दावेदार इन दिनों फुदकने लगे हैं।
कांग्रेस-भाजपा दोनों पर सवालिया निशान ?
अतीत में यदि देखा जाये तो कांग्रेस सरकार में कांग्रेस के नगर पालिका अध्यक्ष नवल दास के उपरांत बीते 15 वर्षों के भाजपा सरकार में भाजपा से सबसे पहले देवेन्द्र सिंह मुन्नू अध्यक्ष निर्वाचित हुए। दूसरी बार भाजपा से ही अंजू रवि केशरी अध्यक्ष निर्वाचित हुईं वहीं तीसरी फिर देवेन्द्र सिंह मुन्नू पुन: अध्यक्ष बने। इस बीच भले ही 15 महीने तक कांग्रेस की सरकार रही लेकिन ज्यादातर भाजपा की सरकार होने के बाद भी भाजपा के नगर पालिका अध्यक्ष समस्याओं का निजात दिलाने में खास पहल नहीं कर पाए। इसके साथ ही इस बार तो कांग्रेस के सर्वाधित पार्षद विजय हासिल किये थे। करीब 18 पार्षद सहित नगरपालिका के उपाध्यक्ष विक्रम सिंह चौहान कांग्रेस से बने। लेकिन कांग्रेस की पार्षदों की पूरी फौज नगर पालिका में नए विकास एवं वर्तमान जारी समस्याओं को लेकर आवाज उठाने से कतराती रही। कांग्रेसी मौन धारण किये थे। दिखावे के लिए कभी-कभार भले ही धरना प्रदर्शन कर ज्ञापन सौप दें परन्तु नगर वासियों को सुविधाएं मुहैया कराने के लिए या फिर उनकी लड़ाई लड़ने के लिए पुरजोर विरोध करना कांग्रेसी उचित नहीं समझते थे। जाहिर है कि इसका मलाल नगर की जनता को होगा। ऐसी स्थिति में भाजपा एवं कांग्रेस के जो भी प्रत्याशी होंगे उन्हे जनता को समझाने एवं वोट हासिल करने में काफी पापड़ बेलनी पड़ सकती है।
कहीं भी नहीं है कूड़ादान, कहां फेंके लोग कचरा ?
दिखावे के लिए तो नगरपालिका का कचरा वाहन दिन में एक बार कुछ मुहल्लो में पहुंच जाता है लेकिन बाकी समय कचरा वाहन भी नहीं दिखता। ऐसी स्थिति में हर वार्डों में प्रमुख स्थानों पर कूड़ादान की जरूरत रहती है लेकिन नगर पालिका में किसी भी वार्ड में कूड़ादान रखना उचित नहीं समझा गया। यहां तक की जो पहले रखे भी गये थे वो भी अब कवाड़ हो गये हैं।
एक भी वार्ड को नहीं घोषित किया गया आदर्श वार्ड:-
नगर पालिका ये दुर्गति ही कही जाएगी कि जब न.पा. में पिछले 15 वर्षों से भाजपा के नपा अध्यक्ष रहे हों एवं प्रदेश में भाजपा की सरकार रही हो तो इस दौरान वजट का भी रोना नहीं रहता। ऐसी स्थिति में इन 15 वर्षों के शासन कार्यकाल में एक भी वार्ड को आदर्श वार्ड बनाने में नपा ने कोशिश नहीं की। कोई भी वार्ड गोद लेकर उसे आदर्श वार्ड बनाते तो उसकी एक अलग पहचान बनती। यदि हर पांच वर्ष भी दो-दो वार्ड भी आदर्श वार्ड के रूप में विकसित होते तो नगर पालिका का एक अलग नाम जनता की नजर में रहता।
पहली की योजनाएं भी पड़ी हैं ठप्प:-
नगर पालिका परिषद सीधी में नल जल योजना के लिए अध्यक्ष रहीं अंजू रवि केशरी के कार्यकाल के दौरान करीब 21 करोड़ का वजट आया था वो भी पांच वर्ष में पूरा नहीं हो पाया। वहीं अमहा में तालाब सौन्दर्यीकरण का काम अभी भी शुरू नहीं हुआ। ट्रांसपोर्ट नगर अधूरा है, इसके अलावा कई योजनाओं पर अमल नहीं हो पाया है। वहीं स्मार्ट सिटी के लिए जो वजट आया है उस पर भी काम में गति नहीं देखी जा रही है। यहां तक की नगर पालिका में बिजली कई वार्डों में सड़कों पर नहीं जलती। जगह-जगह समस्याओं का अम्बार देखने को मिल रहा है।
ऐसी परिस्थितियों आने वाले चुनावों में नगरपालिका के लोगों के सामने भाजपा और कांग्रेस के प्रत्याशियों को जवाब देने में बड़ी मुश्किल का सामना करना पड़ेगा।
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