हमें सोलर एनर्जी को दोबारा अस्तित्व के केन्द्र में लाना होगा -प्रो.सोलंकी, राष्ट्रीय सेवा योजना के अन्तर्गत ऊर्जा स्वराज यात्रा सभा आयोजित

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हमें सोलर एनर्जी को दोबारा अस्तित्व के केन्द्र में लाना होगा -प्रो.सोलंकी, राष्ट्रीय सेवा योजना के अन्तर्गत ऊर्जा स्वराज यात्रा सभा आयोजित



हमें सोलर एनर्जी को दोबारा अस्तित्व के केन्द्र में लाना होगा -प्रो.सोलंकी, राष्ट्रीय सेवा योजना के अन्तर्गत ऊर्जा स्वराज यात्रा सभा आयोजित



उज्जैन 06 दिसम्बर। रविवार को विक्रम विश्वविद्यालय के स्वर्ण जयन्ती सभागार में राष्ट्रीय सेवा योजना के अन्तर्गत ऊर्जा स्वराज यात्रा सभा का आयोजन किया गया। इसमें भारत के सोलरमेन के रूप में विश्व विख्यात तथा सोलर एनर्जी भारत सरकार की ओर से सोलर एनर्जी के ब्राण्ड एम्बेसेडर प्रो.चेतन सोलंकी द्वारा सौर ऊर्जा से होने वाले लाभ और इसके उपयोग के बारे में व्याख्यान दिया गया।

इस दौरान विक्रम विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.अखिलेश कुमार पाण्डेय, डॉ.आरके अहिरवार, डॉ.रमण सोलंकी, नवकरणीय ऊर्जा के कार्यपालन यंत्री श्री आलोक व्यास, अतिरिक्त सीईओ जिला पंचायत श्रीमती कीर्ति मिश्रा, डॉ.लोकेन्द्रसिंह ठाकुर, केमिकल इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट शासकीय इंजीनियरिंग कॉलेज, आनन्द विभाग के संयोजक श्री पीएल डाबरे, विश्वविद्यालय के अन्य व्याख्याता, शोधार्थी तथा विद्यार्थी मौजूद थे। अतिथियों द्वारा सर्वप्रथम दीप प्रज्वलित कर स्वराज यात्रा सभा का शुभारम्भ किया गया।

कार्यक्रम का संचालन डॉ.नीता जाधव ने किया। डॉ.अर्पण भारद्वाज द्वारा अतिथि परिचय दिया गया। उन्होंने बताया कि प्रो.सोलंकी द्वारा खरगोन में एक इनोवेटिव स्कूल का शुभारम्भ किया गया है जो पूरी तरह सौर ऊर्जा द्वारा संचालित किया जाता है। प्रो.सोलंकी द्वारा पिछले वर्ष 2 अक्टूबर को दो लाख सोलर दिए लगाये गये थे, जो कि एक विश्व रिकार्ड था। प्रो.सोलंकी के घर में भी सभी उपकरण सौर ऊर्जा से संचालित होते हैं। डॉ.भारद्वाज ने जानकारी दी कि शासकीय माधव महाविद्यालय में सोलर प्लांट प्रारम्भ हो चुका है। साथ ही विक्रम विश्वविद्यालय में भी सौर ऊर्जा से संचालित पैनल लगे हैं।

प्रो.सोलंकी ने सभा में व्याख्यान देते हुए कहा कि उन्हें बड़ी प्रसन्नता हो रही है कि वे भगवान शिव की नगरी में पहुंचे हैं। वर्तमान में आधुनिक मानव द्वारा दिन-रात कड़ी मेहनत की जाती है खुशी पाने के लिये, लेकिन वास्तविक खुशी का अनुभव उनसे कोसों दूर हो गया है। आधुनिक मानव काफी एडवांस हो गया है, लेकिन साथ ही उसने काफी बड़ी गलती भी की है। हमारा निरन्तरता का आधारभूत सिद्धान्त यही है कि हमें जरूरत के मुताबिक उपयोग करना चाहिये, तभी हम अपने अस्तित्व को बनाकर रख सकेंगे, क्योंकि दुनिया में सबकी जरूरत के लिये पर्याप्त संसाधन है, परन्तु लालच के लिये नहीं।

वर्तमान में मनुष्य की आबादी और जरूरतें बढ़ती जा रही है। हम लोग आर्थिक प्रगति निरन्तर कर रहे हैं लेकिन अन्दर से हम प्रसन्न नहीं हैं। लोगों में तनाव बढ़ता जा रहा है। इस वजह से हमारे अस्तित्व पर निरन्तर खतरा मंडरा रहा है। प्रकृति के सीमित संसाधनों का उपभोग भी सीमित होना चाहिये, लेकिन आधुनिक मानव लगातार इसका उल्लंघन कर रहा है। मनुष्य जीवन के प्रमुख आधार में से एक वायु की गुणवत्ता दिनोंदिन खराब होती जा रही है। अंधाधुंध तरक्की की भूख के कारण हमने जल, मिट्टी, वायु को खराब कर दिया है।

हमारे जीवन का मुख्य स्त्रोत ही सौर ऊर्जा है। फॉसिल एनर्जी के निरन्तर उपयोग के कारण वातावरण प्रदूषण निरन्तर बढ़ रहा है। हम सब आने वाली पीढ़ी का ही नुकसान कर रहे हैं। आज पूरी पृथ्वी पर लगभग 81 प्रतिशत कार्य कार्बन एनर्जी से किये जाते हैं। इसकी वजह से कार्बन डाइऑक्साईड गैस निकालती है, जिस वजह से पृथ्वी का तापमान एक डिग्री सेल्सियस बढ़ गया है। प्रकृति में मौसम चक्र लगातार बिगड़ता जा रहा है। इसीलिये हमें इसे तुरन्त रोकना होगा तथा सोलर एनर्जी को दोबारा अस्तित्व के केन्द्र में लाना होगा।

प्रो.सोलंकी ने कहा कि हमें ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनना होगा। इसी उद्देश्य से उन्होंने निरन्तर 11 वर्षों तक घर से बाहर रहने का प्रण लिया है और ऊर्जा स्वराज यात्रा प्रारम्भ की है। छात्र, विद्यार्थी सौर ऊर्जा के क्षेत्र में इंटर्नशिप करें, ताकि उन्हें बेहतर रोजगार के अवसर प्राप्त हों। शासकीय कार्यालयों और घरों में भी बिजली की व्यवस्था को शत-प्रतिशत सौर ऊर्जा पर आधारित किया जाये। विक्रम विश्वविद्यालय में एक बिल्डिंग कम से कम पूर्णत: सौर ऊर्जा पर केन्द्रित हो। सभी लोग इसकी शपथ लें। हम सभी साल्यूशन का हिस्सा बनें, पाल्यूशन का नहीं। सौर ऊर्जा के प्रति जागरूकता लाने के लिये जन आन्दोलन बनायें।

विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.पाण्डेय द्वारा इस अवसर पर अध्यक्षीय उद्बोधन दिया गया। उन्होंने कहा कि हमारी संस्कृति हमेशा प्रकृति के निकट रही है। हमें प्रकृति से प्रेम करना चाहिये। नवकरणीय ऊर्जा और रिन्यूएबल रिसोर्सेस के लिये विश्वविद्यालय में आने वाले समय में ट्रेनिंग सेशन आयोजित किये जायें।

कलेक्टर श्री आशीष सिंह ने इस अवसर पर कहा कि सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिये प्रशासन की ओर से हरसंभव प्रयास किया जायेगा। स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत एक योजना बनाई जायेगी, जिसमें सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिये कई प्रोजेक्ट को शामिल किया जायेगा। विभिन्न विभागों के साथ बैठक आयोजित कर सौर ऊर्जा के क्षेत्र में समन्वय और सहयोग किया जायेगा। उज्जैन एक धार्मिक नगरी है। यहां प्रमुख मन्दिरों में सौर ऊर्जा पर आधारित प्रोजेक्ट बनाये जायेंगे। कलेक्टर ने प्रो.सोलंकी से कहा कि हम विश्वास दिलाते हैं कि उज्जैन में सौर ऊर्जा पर काफी अच्छा काम किया जायेगा।

इसके पश्चात अतिथियों द्वारा प्रो.सोलंकी की स्वराज यात्रा बस का अवलोकन किया गया। उल्लेखनीय है कि इस बस के ऊपर सोलर पैनल लगे हुए हैं तथा बस के अन्दर मौजूद सभी उपकरण सौर ऊर्जा से ही संचालित किये जाते हैं। प्रो.सोलंकी ने अतिथियों को सौर ऊर्जा संयंत्र के इनपुट और उपकरणों के बारे में विस्तार से जानकारी दी।

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