व्यापमं घोटाले के आरोपी डॉक्टर को हाई कोर्ट ने नहीं दी जमानत
(सुधांशू द्विवेदी) जबलपुर।
मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने व्यापमं घोटाले के आरोपित रीवा निवासी डॉ. ज्ञानेन्द्र त्रिपाठी की जमानत अर्जी चौथी बार भी खारिज कर दी। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश संजय यादव व जस्टिस राजीव कुमार दुबे की युगलपीठ ने तल्ख टिप्पणी में कहा कि आरोपित का पूर्व आपराधिक इतिहास है और पहले से उस पर पांच मामले दर्ज हैं। ऐसे में जमानत का लाभ कतई नहीं दिया जा सकता। इस तरह के आरोपित समाज में खुले घूमने पर व्यापक नुकसान पहुंचा सकते हैं। विद्वान न्यायाधीशों ने आरोपी को जमानत देने से दो टूक इंकार कर दिया। अभियोजन के अनुसार रीवा निवासी डॉ.ज्ञानेंद्र त्रिपाठी ने उसने पीएमटी-2009 की परीक्षा में विकास सिंह रीवा, कपिल परते नरसिंहपुर, रवि सोलंकी धार, दिलीप सिंह चौहान खरगौन और प्रवीण कुमार छतरपुर की जगह दूसरे लोगों को परीक्षा में बैठाया। फर्जीवाड़े के जरिये सभी का चयन गांधी मेडिकल कॉलेज भोपाल में कराया। इस मामले में आरोपित के खिलाफ धारा 419, 420, 467, 468, 471, 120 बी और मान्यता प्राप्त परीक्षा अधिनियम के तहत प्रकरण दर्ज किया गया। आरोपित को कोहेफिजा भोपाल पुलिस ने 17 मार्च 2019 को गिरफ्तार किया। इसी मामले में जमानत पाने के लिए आरोपित की ओर से यह अर्जी पेश की गई। सीबीआई की ओर से कोर्ट को बताया गया कि 17 जुलाई 2019, 27 सितंबर 2019 और 22 नवंबर 2019 को हाइकोर्ट पहले ही आवेदक की तीन बार जमानत अर्जी खारिज कर चुकी है। इस तरह के मामले में जमानत का लाभ देना उचित नहीं। सुनवाई के बाद कोर्ट ने जमानत की अर्जी खारिज कर दी।
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