कर्मचारी समाचार:हाई कोर्ट ने जीपीएफ मामले में किया जवाब तलब

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कर्मचारी समाचार:हाई कोर्ट ने जीपीएफ मामले में किया जवाब तलब



कर्मचारी समाचार:हाई कोर्ट ने जीपीएफ मामले में किया जवाब तलब 

जबलपुर।
 मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने सेवानिवृत्त राजस्व निरीक्षक को जीपीएफ भुगतान न किए जाने के मामले में जवाब-तलब कर लिया है। इस सिलसिले में राज्य शासन, राजस्व सचिव, कलेक्टर जबलपुर व महालेखाकार ग्वालियर को नोटिस जारी किए गए हैं। मामले की अगली सुनवाई 24 फरवरी, 2021 को फिर से होगी।न्यायमूर्ति सुबोध अभ्यंकर की एकलपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। इस दौरान याचिकाकर्ता जबलपुर निवासी कंछेदीलाल बर्मन की ओर से अधिवक्ता अनिरुद्ध पांडे ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि डिप्टी कलेक्टर, जबलपुर ने मनमाने तरीके से जीपीएफ का भुगतान बाधित कर दिया है। इस संबंध में कोई युक्ति-संगत कारण भी नहीं बताया गया है। पेंशन नियम के मुताबिक सेवानिवृत्ति के छह माह पूर्व ही प्रकरण तैयार करके भुगतान की कार्रवाई आवश्यक है। ऐसा न किए जाने के कारण महालेखाकार ग्वालियर के समक्ष शिकायत की गई। वहां से जानकारी मिली कि डिप्टी कलेक्टर ने सत्यापित दस्तावेज प्रस्तुत नहीं किए हैं। इसी वजह से भुगतान अटका हुआ है। 
मध्यप्रदेश हाई कोर्ट ने रीवा जिले के हनुमना स्थित सेठ रघुनाथ प्रसाद महाविद्यालय के प्राचार्य का कार्यकाल 65 वर्ष करने के आदेश को उचित ठहराया। न्यायमूर्ति नन्दिता दुबे की एकलपीठ ने इस आदेश के खिलाफ दायर याचिका खारिज कर दी। सेठ रघुनाथ प्रसाद महाविद्यालय हनुमना रीवा के इंचार्ज प्राचार्य डॉ. रुक्मिणी रमण शुक्ला की ओर से याचिका दायर कर कहा गया था कि असिस्टेंट प्रोफेसर वेद वल्लभ शुक्ला कॉलेज के पूर्व इंचार्ज प्राचार्य थे। 30 नवम्बर 2016 को उन्हें 62 वर्ष की उम्र पूरी होने पर रिटायर कर दिया गया। उसी दिन याचिकाकर्ता को इंचार्ज प्राचार्य बना दिया गया। इस आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती दी गई, लेकिन खारिज कर दी गई। इसके बाद सरकार ने 2019 में निजी कॉलेजों के प्राचार्य की सेवानिवृत्ति आयु 65 वर्ष कर दी। इसके परिप्रेक्ष्य में पूर्व प्रभारी प्राचार्य वेद वल्लभ शुक्ला ने उच्च शिक्षा विभाग को आवेदन दिया। इसके आधार पर विभाग ने वेद वल्लभ शुक्ला को 65 वर्ष की आयु पूरी होने तक कॉलेज का प्रभारी प्राचार्य नियुक्त कर दिया। इसी आदेश को डॉ. रुक्मणि रमण शुक्ला व कॉलेज की मैनेजिंग कमेटी की ओर से चुनौती दी गई। सभी पक्षों को सुनने के बाद हाई कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित कर लिया था। यह आदेश सुनाते हुए कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी।

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