दादी की आंख की रोशनी खोने के बाद मैं बना नेत्र रोग विशेषज्ञ : पटेल
सीधी।
जिला चिकित्सालय में पदस्थ नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. लक्ष्मण पटेल ने चिकित्सा क्षेत्र में आने की वजह बताते हुए स्पष्ट किया कि जब मैं इंदौर में पढ़ाई कर रहा था उसी दौरान मेरी दादी के एक आंख की रोशनी गायब हो गई थी। करीब 90 वर्ष की ऊपर अवस्था थी। मैने सोचा कि लोगों को रोशनी देने का काम करेंगे। उन्होने कहा कि उस दौरान मैं दादी को लेकर रीवा आया जहां कि एक डाक्टर द्वारा सफल ऑपरेशन करने के बाद उनकी नेत्र की रोशनी वापस आ गई।
नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. पटेल ने कहा कि आज के परिवेश में खान-पान का तरीका बदल गया है। जिस वजह से बच्चों सहित हर आयु के लोगों में नेत्र की समस्याएं ज्यादा देखने को मिल रही हैं। पहले बच्चे हरी सब्जी पत्ते खाते थे, जिससे विटामिन की कमी नहीं होती थी लेकिन आज बच्चों में भी चश्मे लगाने की नौबत आने लगी है। वहीं बीपी एवं शुगर के मरीजों में भी ज्यादातर नेत्र की समस्याएं देखने को मिल रही हैं। जिस वजह से हर लोगों को खानपान में विशेष ध्यान रखने की जरूरत है। उन्होने कहा कि हरी ताजी सब्जी एवं फल का ज्यादा इस्तेमाल करने वालों में नेत्र रोग की समस्या नहीं आएगी। इसके साथ मेरे द्वारा मझौली क्षेत्र में भी दो लोगों को रोशनी देने का काम किया गया है। उन्होने बताया कि वर्ष 2013 में नेत्र विशेषज्ञ बना था जहां कि राजकोट, चित्रकूट, चुरहट सहित अब सीधी में लगातार लोगों को सेवाएं देने का काम कर रहे हैं।
शिविरो के माध्यम से किया जा रहा उपचार:-
नेत्रों की समस्याओं को लेकर शासन एवं जिला कलेक्टर के निर्देश पर शिविरो के माध्यम से उपचार किया जा रहा है। कलेक्टर रवीन्द्र कुमार चौधरी एवं सीएमएचओ तथा सिविल सर्जन के निर्देश पर इस बार दो जगह शिविर का आयोजन मझौली एवं सिहावल में किया गया है। जिसमे करीब 80 से ज्यादा मरीजों का नेत्र उपचार कराया गया है। जिला चिकित्सालय में पदस्थ डॉ. लक्ष्मण पटेल ने कहा कि इसके अलावा आज अस्पताल में भी करीब 23 मरीजों का उपचार किया गया। इसके पहले भी जिला चिकित्सालय में कई मरीजों का उपचार कराया जा चुका है। नेत्र की समस्या को लेकर आवश्यक दिशा-निर्देश भी दिये जाते हैं। इस दौरान शिविरों में रहने वाले टीमों में डॉ. आरजे गुप्ता, डॉ. एपी दुबे, केएन पाठक, इंचार्ज वेदवती द्विवेदी, सीमा त्रिपाठी, प्रीती गुप्ता सहित अन्य लोग शामिल रहते हैं।
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