निगम के गैर जिम्मेदाराना रवैये के कारण इलाके में करीब दो घंटे तक मची रही अफरातफरी,नगर निगम की हुई फजीहत
जबलपुर।
नगर निगम और पुलिस प्रशासन के आपसी तालमेल की कलई उस समय खुल गई, जब गुरुवार को निगम की टीम गुंडा अभियान के तहत खंदार मोहल्ले में सटोरिए के बजाय इंदौर में रहने वाली सायबा खातून का मकान तोड़ने पहुंच गई। मकान में रहने वाले लोगों ने जब एग्रीमेंट दिखाया, फिर भी अधिकारी नहीं माने। यही नहीं, सामान भी सड़क पर निकलवा लिया। आनन-फानन में इंदौर से मकान मालिक का पोता आया, उसने कागजात दिखाए, तब कहीं अधिकारियों को गलती का अहसास हुआ। टीम को बिना कार्रवाई के उल्टे पांव लौटना पड़ा। निगम के इस गैर जिम्मेदाराना रवैये के कारण इलाके में करीब दो घंटे तक अफरातफरी मची रही। अब पुलिस और निगम के अधिकारी इसके लिए एक-दूसरे को जिम्मेदार बता रहे हैं. दरअसल, गुंडा अभियान के तहत नगर निगम और पुलिस प्रशासन को महाकाल मंदिर से 300 मीटर पर स्थित लोहे का पुल के पास रहने वाले सटोरिए मंजूर के अवैध मकान को ढहाया जाना था, लेकिन निगम की रिमूवल टीम और पुलिस अधिकारी जेसीबी समेत बल लेकर दोपहर करीब 1 बजे खंदार मोहल्ले में इंदौर निवासी सायबा खातून का मकान गिराने पहुंच गए। बता दें कि यह इलाका कानून-व्यवस्था की दृष्टि से संवेदनशील माना जाता है। इंदौर से सायबा का पोता हारिस आया। उसने कागजात दिखाए, तो उन्हें गलती का अहसास हुआ। पुलिस अधिकारी और निगम की रिमूवल टीम वापस लौट गई।
निगम की टीम जब जेसीबी लेकर मकान ढहाने पहुंची, तो आरिफ अंसारी के घर की रसोई में खाना बन रहा था। बच्चे छत पर खेल रहे थे। उन्हें जब पता चला कि जिस मकान में वह रहते हैं, उसी को गिराया जाना है, तो उनकी सांसें अटक गईं। आरिफ पुलिस अधिकारियों से हाथ जोड़कर बेघर नहीं करने की मिन्नतें करता रहा। उन्हें बताता रहा कि उसने दो माह पहले ही आसिफ अली से किराएदारी का एग्रीमेंट किया है। तीन लाख रुपए एडवांस में दिए हैं। उसे घर खाली करने के लिए निगम की ओर से भेजे गए नोटिस की जानकारी नहीं है। ऐसे में वह अपने बच्चों को लेकर कहां जाएगा। महिलाएं बोलीं- साहब अभी तो खाना बन रहा है, हम कहां जाएंगे।
अधिकारी उनकी बात सुनने को तैयार नहीं थे। इस दौरान निगम की टीम ने मकान के निचले हिस्से में इरफान शेख की दुकान का ताला कटर से जबरन तोड़ दिया। रिमूवल गैंग के उसमें रखी पतंगें जबरन निकलवा दी। किराएदार आरिफ अंसारी को आधे घंटे के अंदर घर खाली करने का फरमान सुना दिया। आनन-फानन में आरिफ ने मोहल्लेवासियों की मदद से घर का सारा सामान सड़क पर रख दिया। बिजली कनेक्शन काट दिए गए। रिमूवल टीम पहली मंजिल पर आरिफ के घर में घुस गई। उन्हें देख बच्चे सहम गए।
इधर, जब पुलिस अधिकारियों को यह अहसास हो गया कि निगम की टीम मंजूर के बजाए दूसरे के मकान गिराने आ गई है, तो CSP रवींद्र वर्मा ने कार्रवाई रुकवा दी। इस बीच निगम के सहायक यंत्री पीयूष भार्गव मौके पर आ गए। पुलिस ने उनसे भी पूछा तो वह भी मंजूर के मकान की सही लोकेशन नहीं दे पाए। निगम की इस लापरवाही पर मीडिया के सवालों के जवाब देने के बजाए वह बचकर निकल गए।
इस चूक के लिए नगर निगम और पुलिस प्रशासन अब एक-दूसरे को जिम्मेदार बता रहा है। निगम आयुक्त क्षितिज सिंघल का कहना है कि पुलिस की ओर से गुंडे के मकान को चिन्हित किया जाता है। निगम उस मकान की वैधता और अवैधता की जांच करती है। मकान अवैध पाए जाने पर ढहाने की कार्रवाई होती है। उधर, CSP डॉ. रवींद्र वर्मा का कहना है कि पुलिस की ओर से गुंडों की सूची और उनके मकान का पता भेजा जाता है। मकान को चिन्हित करने का काम निगम का होता है। इससे पहले हुई कार्रवाइयों में अब तक यही होता रहा है। हालांकि निगम आयुक्त और सीएसपी दोनों ने इसे बड़ी चूक माना है।
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