प्रवासी मजदूर: हाई कोर्ट ने मध्यप्रदेश सरकार से तलब की स्टेटस रिपोर्ट, कहा अब तक क्या किये इंतजाम
(सुधांशू द्विवेदी)जबलपुर।
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने प्रवासी मज़दूरों की दुर्दशा को गंभीरता से लिया। इसी के साथ राज्य शासन से स्टेटस रिपोर्ट तलब कर ली। इससे पूर्व राज्य शासन की ओर से अवगत कराया गया कि अन्य राज्यों से पलायन कर आए राज्य के प्रवासी मजदूरों को राहत देने के लिए सरकार ने क्या समुचित इंतज़ाम किए है। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश संजय यादव व जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की युगलपीठ ने जवाब को नाकाफी पाया। कोर्ट ने कहा कि प्रवासी मजदूरों के पुनर्वास के लिए निश्चित योजना बनाने की जरूरत है, ताकि वे अपने गृह राज्य मे जीवनयापन कर सकें। विद्वान न्यायाधीशों ने राज्य सरकार को इस सम्बंध में जरूरी कार्रवाई कर 18 जनवरी तक स्टेट्स रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया गया। बंधुआ मुक्ति मोर्चा ने दायर की जनहित याचिका: बंधुआ मुक्ति मोर्चा के प्रदेश संयोजक गुना निवासी नरेंद्र सिंह भदोरिया की ओर से जनहित याचिका दायर की गई। इंदौर की अधिवक्ता शन्नो शगुफ्ता खान ने तर्क दिया कि कोरोना महामारी के चलते हुए लॉकडाउन के दौरान हजारों की संख्या में प्रदेश के निवासी मजदूर, जो दूसरे प्रदेशों में मजदूरी करने गए थे, वापस लौट कर घर आए। इस दौरान राह में उन्हें बहुत सी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। 52 ऐसे प्रवासी मजदूरों की सूची कोर्ट के समक्ष पेश करते हुए कोर्ट को बताया गया कि दूसरे प्रदेशों से लौट कर आने के बाद अभी तक इन मजदूरों को राज्य सरकार की ओर से ना तो रोजगार मुहैया कराया गया है। और ना ही और कोई सुविधा दी गई । उन्होंने कहा कि केंद्र व राज्य सरकार प्रवासी मजदूरों की मदद करने व हर संभव सुविधा देने के दावे करते आ रही है, लेकिन वस्तु स्थिति इसके उलट है । दूसरे प्रदेशों से लौटे प्रवासी मजदूरों के हालात खराब है। उन्होंने कोर्ट से आग्रह किया अंतरिम राहत के तौर पर इन मजदूरों को राशन व आर्थिक सहायता उपलब्ध कराई जाए।
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