सीधी: नगरीय निकाय एवं पंचायत के निर्वाचन,चुनाव स्थगित होते ही दुबक गये फुदकने वाले कई नेता

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सीधी: नगरीय निकाय एवं पंचायत के निर्वाचन,चुनाव स्थगित होते ही दुबक गये फुदकने वाले कई नेता




सीधी: नगरीय निकाय एवं पंचायत के निर्वाचन,चुनाव स्थगित होते ही दुबक गये फुदकने वाले कई नेता


नए आरक्षण उपरांत नए दावेदारों को अब मिला तीन महीने और तैयारी का मौका

 सीधी।
नगरीय निकाय एवं त्रिस्तरीय पंचायती चुनाव में तिथि क्या बदल गई अधिकतर नेता अब दुबकते नजर आ रहे हैं। नई आरक्षण प्रक्रिया के उपरांत चुनाव की आहट शुरू होते ही कई दावेदार ताल ठोकने में पीछे नहीं रहे लेकिन जैसे ही चुनाव की तिथि तीन महीने के लिए टल गई इसके बाद कई दावेदार पर्दे के पीछे दिख रहे हैं। जबकि समय था कि जनता के बीच में इन तीन महीनों के अंतराल में जाकर उनकी समस्याओं का समाधान करते तो उन्हे कहीं न कहीं फायदा हासिल हो सकता था। हालांकि जो नेता पहले तैयारी कर रहे थे अब उन्हे तीन महीने के लिए पर्याप्त समय मिल चुका है। वे जनता के बीच जाकर अपना जनाधार बढ़ा सकते हैं। 


नए आरक्षण उपरांत बढ़ी थी सरगर्मी:-

देखा जाये तो नगरीय निकाय चुनाव को लेकर नए आरक्षण उपरांत सीधी नगर पालिका, नगर पंचायत रामपुर नैकिन, मझौली के अनारक्षित सीट हो जाने के उपरांत सर्वाधिक उम्मीदवार यहीं देखने को मिल रहे थे। जैसे ही आरक्षण की घोषणा हुई तो दावेदारों की होड़ लग गई थी। यह लग रहा था कि अब चुनाव जनवरी या फरवरी में होने वाला है। जिसकी तैयारी को लेकर दावेदारों की लम्बी कतारें देखने को मिल रही थीं लेकिन चुनाव स्थगित होने के बाद अधिकतर कूद फांद करने वाले दावेदार भूमिगत देखे जा रहे हैं। यही हालात त्रिस्तरीय पंचायती चुनाव को लेकर है। यहां भी लगा कि पंचायतों में चुनाव होगा जिसमें कि अनारक्षित वार्डों के सरपंच सहित जिला एवं जनपद पंचायत के सदस्य चुनाव लड़ेंगे इसके लिए कई नेता तैयार हो गए थे। ग्रामीण क्षेत्रों में प्रचार अभियान में शुरू कर दिये थे परन्तु चुनाव की तिथि बदली क्या उनका सुर भी बदल गया है। कई नेता यह मान रहे हैं कि अब चुनाव तीन महीने के लिए टल गया है। ऐसी स्थिति में अभी से जनता के बीच जाने का कोई औचित्य नहीं है। यही वजह है कि चार साल तक चुनाव से दूरी बनाने वाले ऐसे जन प्रतिनिधि चुनाव के दौरान ही मेढ़क की तरह टर्र-टर्र करते दिखते हैं लेकिन जब चुनाव की तिथि बदल जाती है तो वहीं नेता दुबक जाते हैं। जबकि चाहिए कि तीन महीने का समय पर्याप्त है, ऐसी स्थिति में जनता के बीच अपनी एक अलग पहचान बनाने एवं उनकी समस्याओं का निदान करने को लेकर आवाज बुलंद करनी चाहिए। जिससे कि जब भी चुनाव हो संबंधित जनप्रतिनिधियों का जनाधार बढ़े। 


अनारक्षित में हैं सर्वाधिक उम्मीदवार:-

नगरीय निकाय चुनाव को देखा जाये तो भले ही चुनाव स्थगित हुआ है लेकिन अनारक्षित नगर पालिका सीधी सहित नगर परिषद रामपुर नैकिन एवं मझौली में सर्वाधिक दावेदार हैं। जो कि चुनाव स्थगित होने के बाद सामान्य वर्ग के गंभीर दावेदारों को तीन महीने के लिए पर्याप्त समय भी मिल गया है। यदि ये अपना फील्ड जनता के बीच में बना लेंगे तो उन्हे कामयाबी मिलेगी लेकिन कुछ ऐसे भी नेता हैं जो कि चुनाव की तिथि टलने के बाद अपने काम में व्यस्त हो गये हैं। 


पंचायतों में भी दिख रही है यही हालात:-

त्रिस्तरीय पंचायती चुनाव में भी अमूमन यही स्थिति देखने को मिल रही है। चुनाव की तिथि की सुगबुगाहट होते ही कई दावेदार सक्रिय हो गये थे लेकिन अब उनमे कई निष्क्रिय दिख रहे हैं। हालांकि उन्हे भी तीन महीने के लिए पर्याप्त मौका है। वे चाहेंगे तो अपने क्षेत्रों में सरपंच या जिला पंचायत अथवा जनपद पंचायत सदस्य के रूप में चुनाव लडऩे की मंशा रखने वाले नेता बराबर सम्पर्क कर एक अलग स्थान बना सकते हैं। यह भी एक मौका ही माना जाएगा। जिससे कि उन्हे चुनाव के लिए पर्याप्त समय भी मिल चुका है।

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