दिल्ली के किसान आंदोलन के समर्थन में सीधी में मोदी का जलाया गया पुतला
पंजाब-हरियाणा से उठी किसान लहर हुई तेज
सीधी।
मोदी सरकार के तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ पंजाब से शुरू हुआ किसान आंदोलन हरियाणा से होते उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र आदि राज्यों से होते हुए पूरे देश में फैल चुका है और लाखों किसान बीती 26 नवंबर से राजधानी दिल्ली को बाहर से घेर कर बैठे हैं।
किसानों के आंदोलन को देखते हुए मजबूर होकर सरकार ने मंगलवार 1 दिसंबर को 35 किसान संगठनों के प्रतिनिधियों को वार्ता के लिए बुलाया था, किंतु वह बेनतीजा रही और अपनी मांगों पर कायम रहते हुए किसान संगठनों ने अपना प्रदर्शन जारी रखने का एलान कर दिया।
किसानों का आंदोलन और और तेज होता जा रहा है। वहीं किसान विरोधी कृषि कानून, बिजली बिल कानून और केंद्र की मोदी सरकार के खिलाफ चल रहे देशव्यापी इस आंदोलन को तीव्र करने का फैसला किया गया है। मध्य प्रदेश के 52 जिलों में 3 दिसंबर को लाखों किसान एक साथ सड़कों पर, जिला कलेक्टर ऑफिस के सामने, नुक्कड़ सभा और चौराहों पर धरना देंगे।
इसी कड़ी में सीधी जिले में कलेक्ट्रेट चौक में अम्बेडकर प्रतिमा के पास साझातौर पर विभिन्न किसान संगठन, सामाजिक संगठन और बामपंथी एवं समाजवादी विचारधारा के राजनैतिक दलों द्वारा प्रधानमंत्री का पुतला दहन किया गया। पुतला दहन कार्यक्रम में टोंको-रोंको-ठोंको क्रांतिकारी मोर्चा के संयोजक उमेश तिवारी, माकपा के जिला सचिव सुंदर सिंह, भाकपा के जिला सचिव आनन्द पांडेय, मदन सिंह, रणविजय वर्मा, अशोक कोरी, कार्तिकनन्द सोनी, माधव पांडेय, रमेश पटेल, आफताब अली, अरविंद मिश्रा, भूपेंदर सिंह, नागेंद्र पांडेय, हरि कुमार माझी, आदिवासी एकता महासभा के बलराज सिंह, क्रांतिकारी मोर्चा के शिवकुमार सिंह, क्रांतिकारी मोर्चा के श्रीपाल सिंह आदि सैकड़ो लोग शामिल रहे।
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