किसानों के साथ- साथ अब उनके बच्चों से किस बात का बदला ले रहे हैं शिवराज- अजय सिंह
चौपालों पर यह भी बताएं कि दो लाख तक का ऋण कब तक माफ करेंगे?
एमएसपी घाटे की भरपाई के लिए बोनस कब तक घोषित करेंगे?
-अजय सिंह
भोपाल ।
पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजयसिंह ने कहा है कि किसानों के लिए बड़ी बड़ी बातें करने वाले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने किसानों के साथ साथ अब उनके बच्चों के साथ भी छल और धोखा किया है| उन्होंने किसानों के बच्चों के लिए चल रही कृषि उद्यमी योजना को अचानक बंद करके इस बात को स्वयं सिद्ध कर दिया है| किसान पुत्रों को स्व रोजगार के लिए बैंक लोन लेने पर 18 लाख रुपए तक की सब्सिडी मिलती थी, जो अब नहीं मिलेगी| बीस हजार किसान पुत्रों के आवेदन शिवराज सरकार के पास लंबित हैं जिन पर उन्हें अब सब्सिडी नहीं मिलेगी| वे सभी अपने आप को ठगा महसूस कर रहे हैं|
अजयसिंह ने कहा कि शिवराज सिंह कहते हैं कि किसान मेरे लिए भगवान हैं| वे बताएं कि कमलनाथ सरकार कि ऋण माफी योजना के बाकी किसानों के दो लाख रुपए तक के ऋण कब तक माफ करेंगे| इसकी घोषणा वे किसान चौपालों में करें| दिल्ली में आंदोलन करते हुये 33 किसानों की अब तक जान जा चुकी है और शिवराज सिंह मोदी के लाये हुये तीन काले क़ानूनों की वकालत कर रहे हैं| कहते हैं कि "मेरी जान भले ही चली जाये लेकिन किसानों का विश्वास नहीं टूटने दूँगा|" उन्होंने किसानों को एमएसपी जारी रखने का विश्वास दिलाया था लेकिन मक्का और धान एमएसपी से आधी कीमत में बिक रहा है| किसान हलाकान हो रहे हैं क्योंकि उनके साथ विश्वासघात हुआ है| शिवराज जो किसान चौपालें लगा रहे हैं उसमें वे यह भी बताएं कि किसानों को एमएसपी से आधी कीमत क्यों मिल रही है| भाजपा सरकार ने इसकी भरपाई के लिए अभी तक बोनस की घोषणा क्यों नहीं की है?
सिंह ने कहा कि आज मैंने अखबारों में पढ़ा कि शिवराज सिंह ने सांसदों और विधायकों से कहा कि वे किसानों को समझाएँ कि मोदी से बड़ा उनका हितैषी कोई नहीं है| जबकि आज ही के समाचार पत्रों में देश के किसानों का ऐलान भी छपा है कि -" जब मोदी मन की बात करेंगे, हम देश भर में ताली-थाली बजाएँगे|" शिवराज सिंह को विरोधाभासी और झूठी बातें करने के पहले यह जान लेना चाहिए कि किसानों की क्रमिक भूख हड़ताल तीनों नए कृषि क़ानूनों के रद्द होने तक चलने वाली है| अपने आप को किसान का पुत्र कहने वाले मुख्यमंत्री को यह मालूम होना चाहिए कि अन्न उपजाना सबसे कठिन काम है| किसानों के लिए सरकारें जितना भी करें वह इसके आगे कम ही होता है|
अजयसिंह ने कहा कि यदि भाजपा सांसदों और विधायकों को किसानों की इतनी चिंता है तो वे बताएं कि सभी के सभी किसान आंदोलन पर पुतले की माफिक मौन क्यों हैं? एक ने भी किसानों की मांगों का समर्थन क्यों नहीं किया| संसद और विधानसभाओं में न तो कोई व्यावहारिक सुझाव दिये गए हैं और न ही कोई प्रश्न लगाया है| जाहिर है उन्हें किसानों के दुख दर्द से कुछ लेना देना नहीं है| क्यों नहीं दम-खम से कहते हैं कि किसान न तो खालिस्तानी है, न नक्सली है और न वामपंथी| न उन्हें चीन भड़का रहा है और न पाकिस्तान| विपक्षी पार्टियां तो उनका समर्थन कर रही हैं न कि भड़का रही हैं| वे अपनी पार्टी की सरकार को हठधर्मिता छोडने के लिए दबाव क्यों नहीं बनाते| मेरा शिवराज सिंह से आग्रह है कि यदि वे सच्चे मन से किसानों के साथ खड़े हैं तो इसकी शुरुआत मध्यप्रदेश से करें|
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