कोरोना को लेकर बरती जा रही लापरवाही
(सुधांशू द्विवेदी)भोपाल।
शहर में कोरोना के 3128 एक्टिव मरीज हैं। इनमें से 1600 से ज्यादा होम आइसोलेशन में हैं। प्रशासन का दावा... होम आइसोलेशन में रहने वाले मरीजों की लगातार मानीटरिंग की जा रही है। समय-समय पर डॉक्टरों की टीम उन्हें चैक करने घर पहुंचती है। जरूरी दवाइयां भी जा रही है। इन मरीजों का लगातार फालोअप भी लिया जा रहा है। ...और हकीकत... होम आइसोलेशन में रह रहे कई मरीजों का दर्द प्रशासन के दावों से इत्तेफाक नहीं रखता। उनका कहना है कि जब से रिपोर्ट पॉजिटिव आई है तब से न तो डॉक्टरों की कोई टीम देखने आई और न ही कोई कॉल। फालोअप तो दूर की बात है। यदि भूले-बिसरे कोई टीम आ जाती है तो आधी-अधूरी दवाई देकर लौट जाती है। ऐसे में खुद ही दवाइयां मंगानी पड़ती हैं। हालांकि सीएमएचओ डॉ. प्रभाकर तिवारी का कहना है कि अगर किसी मरीज को दवाइयां कम मिली हैं, या फिर डॉक्टरों की टीम नहीं पहुंची है तो इसकी समीक्षा करेंगे। अवधपुरी निवासी एक 35 वर्षीय महिला की कोरोना रिपोर्ट 2 दिसंबर को पॉजिटिव आई थी। उन्होंने होम आइसोलेशन में रहने का निर्णय लिया। लेकिन एक हफ्ता बीत जाने के पास न तो प्रशासन की ओर से कोई कॉल आया और न ही चैकिंग के लिए कोई टीम आई। वे अपने स्तर पर ही इलाज करा रही हैं। तलैया निवासी 42 वर्षीय व्यक्ति को दो दिन से सर्दी थी। 27 नवंबर की सुबह से खुशबू भी आना बंद हो गई। तो उन्होंने आरटीपीसीआर जांच कराई। 29 नवंबर को कोरोना रिपोर्ट पॉजीटिव आई। अगले दिन कंट्रोल रूम से डॉक्टर की टीम उनके घर पहुंची। जानकारी ली और उनको होम आइसोलेशन में रहने की अनुमति दी। जो सात दवाइयां पर्ची में लिखीं थीं उनमें से पांच ही दवाएं दी गई। दो दवाएं उनको बाहर से मंगानी पड़ी। साकेत नगर निवासी 28 वर्षीय युवक को सर्दी और खांसी के साथ ही बदन दर्द की शिकायत थी। 28 नवंबर को जांच कराई रेपिड टेस्ट में कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आ गई। घर में सेपरेट कचरा और लेट-बाथ की सुविधा थी तो होम आइसोलेशन में ही रखा गया। 29 नवंबर को डॉक्टर की टीम ने आकर देखा और दवाइयां देकर चले गए। इसके बाद पिछले 12 दिनों में तीन या चार दिन ही कॉल सेंटर से उनका फॉलोअप लिया गया है।होम आइसोलेशन में रह रहे कई मरीज 17 दिन के प्रोटाेकाल का पालन नहीं कर रहे हैं। कुछ मरीज 8-10 दिन में दोबारा जांच करा लेते हैं। रिपोर्ट निगेटिव आने पर वे बाहर आना-जाना शुरू कर देते हैं। इन मरीजों की मॉनीटरिंग कोविड कंट्रोल रूम से की जा रही है। यहां से टीम वीडियो कॉल पर मरीज से बात करती है। मरीज घर से बाहर घूमते मिलते हैं तो उनकी जानकारी एसडीएम को देकर चालानी कार्रवाई की जाती है। बागमुगालिया निवासी 27 वर्षीय युवक प्राइवेट गाड़ी चलाते हैं। 21 नवंबर को कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई। उन्हें 17 दिन के लिए आइसोलेशन में रखा गया। 8वें दिन (29 नवंबर को) जांच कराई तो रिपोर्ट निगेटिव आई। उन्होंने ड्यूटी पर जाना शुरू कर दिया। कोलार निवासी 35 वर्षीय व्यक्ति की रिपोर्ट 26 नवंबर को पॉजिटिव आई। सर्दी और स्वाद नहीं आने की ही शिकायत थी, ऐसे में वे आइसोलेशन में रह रहे थे। 3 दिसंबर को वे रॉयल मार्केट पर घूमते मिले। एसडीएम ने टीम भेजकर कार्रवाई करनी चाही तो उन्होंने 2 दिसंबर की निगेटिव रिपोर्ट दिखाई। होम आइसोलेशन में रह रहे कोरोना पॉजिटिव मरीज खाने-पीने की चीज खरीदने या फिर बिना किसी काम के ही बारबार घर से बाहर निकल रहे थे। ऐसी स्थिति को देखते कलेक्टर अविनाश लवानिया ने ऐसे मामलों में घर से बाहर घूमते मिलने पर मरीज पर पांच हजार का जुर्माना निर्धारित किया है।
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