गोरियरा बांध नहर से किसानों को पानी के लाले, आसमान की ओर टकटकी लगा रहे किसान

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गोरियरा बांध नहर से किसानों को पानी के लाले, आसमान की ओर टकटकी लगा रहे किसान



गोरियरा बांध नहर से किसानों को पानी के लाले, आसमान की ओर टकटकी लगा रहे किसान


 सीधी।
सीधी बांध यानी गोरियरा बांध से सिंचित गांवों की संख्या डेढ़ दर्जन के करीब है किंतु नहर से पानी छोड़े जाने के बाद क्षेत्र के सत्तर फीसदी गांवों तक ही  सिंचाई का पानी पहुंच पाया है। 
हालात अब कुछ यूं है कि सीधी बांध के अन्तर्गत आने वाली कृषि भूमियों को नहर का पानी नहीं मिलने से परेशान किसानों को एक मात्र सहारा इन्द्रदेव का रह गया है कि शायद उनकी कृपा से बारिश हो और खेतों को पलेवा का पानी मिल जाए। आसमान पर चंद दिन पहले से बादलों का आना जाना शुरू है किन्तु अभी तक चंद मिनटों की बूंदाबांदी ही देखने को मिली है। लिहाजा खेतों को पलेवा का पानी न मिलने से कई किसानों के गेहूं की बुबाई पिछड़ रही है।
बता दें कि जिला मुख्यालय से महज पांच किलोमीटर दूर स्थिति सीधी गोरियरा बांध से ग्रामीण क्षेत्र के खेतों को नहर का पानी न मिलने से रबी मौसम की फसलों में मुख्य फसल गेहूं की बुवाई पिछड़ रही है हालांकि सीधी बांध  से सिंचाई के लिए नहर में पानी छोड़ा गया था किंतु नहर का पानी महज जोधा ग्राम के खेतों तक ही पहुंच सका है इन ग्रामों तक पानी पहुंचने के बाद भी इसी गांव के कई किसान खेतों में पलेवा का पानी नहीं प्राप्त कर सके हैं। वहीं जोरौंधा ग्राम से आगे विजयपुर, हिनौता, बटौली,   पडैनियां केे ज्यादातर किसानों को एक दूसरे के मोटर पंंप केे सहारे खेत की सिंचाई करना  पड रहा है और जिन गरीब कृषकों के पास ट्यूबवेल की व्यवस्था नहीं है उनके खेत पानी के इंतजार में सूखे ही पड़े हैं। ऐसे गरीब किसानों को अब गेहूं की बुवाई के समय सिंचाई विभाग की लापरवाही झेलनी पड़ रही है। नहरें सूखी पड़ी हैं और किसान पलेवा के लिए पानी न मिलने से परेशान हैं। किसानों को दिसंबर का हर गुजरता दिन भारी पड़ रहा है। उन्हें गेहूं की बुआई के लेट होने से पैदावार प्रभावित होने का डर है। रबी फसल को लेकर प्रशासनिक तैयारियों के दावे बेशक हुए हों, लेकिन जमीनी हकीकत किसानों को रुला रही है। गेहूं की बुवाई के समय ही सिंचाई विभाग की लापरवाही ने उनकी चिंता बढ़ा दी है। आमतौर पर रबी की फसल में करीब पहली नवंबर से किसान पलेवा की शुरुआत कर देते हैं। 15 नवंबर से एक पखवाड़े तक पलेवा के लिए सर्वोत्तम समय माना जाता है। जिन खेतों में धान के बाद गेहूं की पैदावार ली जाती है उन खेतों में नमी का फायदा मिल जाता है, लेकिन जिनके खेत सूखे पड़े होते हैं उन्हें गेहूं के लिए खेत को तैयार करना होता है। सूखे खेत में नमी के लिए पानी भरकर छोड़ दिया जाता है। उसके बाद खेत की जुताई होती है। तब कहीं गेहूं की बुवाई संभव हो पाती है। पिछले कई दिनों से नहर सूखी पड़ी है। किसान इंतजार कर रहे है कि नहरों में पानी आए तो वो पलेवा का काम शुरू करें। इसी इंतजार में उनका हर एक दिन गुजर रहा है।
किसानों का आरोप है कि रवी की फसल बोनी से लेकर पकाई तक का इस बार बांध में पर्याप्त पानी भरा हुआ है। बावजूद इसके जल संसाधन विभाग के अधिकारी जान बूझकर नहरों में पानी कम छोड़ रहे हैं। जिसके चलते गेहूं की खेती की तैयारी में जुटे किसानों को पानी की बाधा का सामना करना पड़ रहा है। 

इनका कहना है

सिंचाई के लिए नहर मेंं पानी छोड़ा गया था यदि सभी किसानों के खेत में पानी नहीं पहुंचा है तो इसके संबंध में जानकारी लेने के बाद समस्या का निराकरण करूँगा।
संकट मोचन तिवारी
कार्यपालन यंत्री
महान नहर संभाग सीधी

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