कोरोना वायरस: भोपाल में होम आइसोलेशन को लेकर बरती जा रही लापरवाही
(सुधांशू द्विवेदी)भोपाल।
शासन का दावा... शहर के किसी इलाके में 250 मीटर के दायरे में 5 मरीज मिलने पर कंटेनमेंट एरिया बनाया जा रहा है। हकीकत से कोसो दूर... क्योंकि शहर के कई ऐसे इलाके हैं जहां कंटेनमेंट जाेन बनाया जाना चाहिए, लेकिन यहां केवल खानापूर्ति हो रही है। शहर में करीब 1624 लोग होम क्वारेंटाइन हैं। ऐसे में प्रशासन की जिम्मेदारी बनती है कि इन लोगों के यहां किसी की आवाजाही न हो, लेकिन हकीकत यह है कि इन घरों में लोग बेरोकटाेक आ- जा रहे हैं। इन मरीजों के घर पर कोई बोर्ड भी नहीं लगा है, जिससे कि पता चल सके कि यहां कोरोना मरीज है। यानी प्रशासन के पास निगरानी के कोई इंतजाम नहीं है। हर्षवर्धन नगर के इस मकान में 7 कोरोना मरीज हैं। इसी क्षेत्र में वॉकिंग डिस्टेंस पर एक और एलआईजी मकान में एक कोरोना मरीज है। लेकिन आसपास के लोगों को इसकी जानकारी ही नहीं है। अप्रैल-मई में यहां को कंटेनमेंट बनाया गया था। लेकिन अब कोई सख्ती नहीं हो रही है। शहर का घनी बसाहट वाला क्षेत्र कोलार कोरोना का हॉट स्पॉट बनता जा रहा है। यहां अभी 227 एक्टिव मरीज है। दानिश कुंज, प्रियंका नगर, राजहर्ष और अन्य आसपास की कालोनियों में सबसे ज्यादा मरीज हैं। दानिशकुंज के जिस क्षेत्र में पिछले तीन दिन में मरीज मिले हैं वहां वॉकिंग डिस्टेंस पर बाजार है। ऐसे में जरा सी लापरवाही खतरे की बड़ी वजह बन सकती है। ढाई लाख से अधिक आबादी वाले कोलार से बड़ी संख्या में लोग नौकरी के लिए अरेरा हिल्स और एमपी नगर तक आते हैं। ऐसे में कोलार में बढ़ता संक्रमण यदि नहीं रुका तो संक्रमित भी नहीं थमेगा। शिवाजी नगर में पिछले तीन दिन में 20 कोरोना पॉजिटिव मरीज मिले हैं। बस स्टॉप नंबर 5 और 6 के बीच के क्षेत्र में मिले इन 20 मरीजों में से चार तो एक ही घर के हैं और यह मकान मैन रोड पर है। सरस्वती शिशु मंदिर के पास स्थित इस घर के सामने एक मिल्क पार्लर और एक प्रेस की दुकान है। लेकिन इन दोनों को ही इस बात की जानकारी नहीं है कि सामने वाले घर में कोरोना मरीज हैं। एक अन्य मरीज 5 नंबर बस स्टॉप पर बने रविशंकर शुक्ल मार्केट के मकानों में है। मार्केट होने की वजह से यहां लोगों की आवाजाही बनी रहती है। एफ 110 और एफ 113 , आई 106, आई 121 में मिले कुल पांच मरीजों के घर भी वॉकिंग डिस्टेंस पर ही हैं। एफ 113 के पास एक टेलर की दुकान संचालित हो रही है। उन्हें इस बात की जानकारी ही नहीं है कि दुकान के पड़ोस में कोई कोरोना मरीज है। शिवाजी नगर के जिन मकानों में कोरोना मरीज होम आइसोलेशन में है उनमें एच और आई टाइप के मकान भी हैं। एच टाइप मकानों में दो कमरे होते हैं और टॉयलेट घर के बीच में होता है। आई टाइप मकान में तो एक ही कमरा होता है। जी, एफ और ई टाइप मकान बड़े जरूर होते हैं, लेकिन उनमें भी मरीज को पूरी तरह आइसोलेट करना मुश्किल है। सभी में टॉयलेट कॉमन है।
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