शीत ऋतु में शीत लहर के प्रभाव से बचने हेतु रखे सावधानियां
सीधी।
वर्तमान में शीत ऋतु में शीत-घात (शीत लहर) की वजह से अनेक स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। इन समस्याओं को समय से पूर्व बचाव कर लिया जायें तो इस प्राकृतिक विपदा का सामना किया जा सकता है।
शीत लहर में जन-सामान्य को सलाह:-
स्थानीय मौसम पूर्वानुमान के लिए रेडियो, टीवी एवं समाचार-पत्र जैसे सभी मीडिया द्वारा जा रही जानकारी का अनुसरण करें। पर्याप्त मात्रा में गर्म कपड़े पहनें। नियमित रूप से गर्म पेय पीते रहें। शीत लहर के समय विभिन्न प्रकार की बीमारियों की संभावना अधिक बढ़ जाती है, जैसे- फ्लू, सर्दी, खांसी एवं जुकाम आदि के लक्षणों हो जाने पर चिकित्सक से संपर्क करें। अल्प तापवस्था के लक्षण जैसे- सामान्य से कम शरीर का तापमान, न रूकने वाली कंपकपी, याददाश्त चले जाना, बेहोशी या मूर्छा की अवस्था का होना, जबान का लड़खडाना आदि प्रकट होने पर चिकित्सक से संपर्क कर उपचार प्राप्त करें।
शीत लहर के समय क्या करें:-
पर्याप्त मात्रा में गर्म कपड़े जैसे दस्ताने, टोपी, मफलर एवं जूते आदि पहनें। शीतलहर के समय चुस्त कपड़े न पहनें, यह रक्त संचार को कम करते हैं, इसलिये हल्के ढीले-ढाले एवं सूती कपड़े बाहर की तरफ एवं उनी कपड़े अंदर की तरफ पहनें। शीत लहर के समय जितना संभव हो सके घर के अंदर ही रहें और कोशिश करें कि अतिआवश्यक हो तो बाहर यात्रा करें। कोविड-19 एवं अन्य श्वसन संक्रमण के बचने के लिए बाहर जाने पर अनिवार्यतः मास्क पहनें। पर्याप्त मात्रा में पोषक तत्वों से युक्त भोजन ग्रहण करें एवं शरीर की प्रतिरक्षा बनाए रखने के लिए विटामिन-सी से भरपूर फल और सब्जियां खाएं एवं नियमित रूप से गर्म तरह पदार्थ अवश्य पीयें। अत्यधिक ठंड के समय दीर्घकालीन बीमारियों जैसे डायबिटीज, उच्च रक्तचाप, श्वास संबंधी बीमारियों वाले मरीज, वृद्ध पुरूषध्महिलाएं जिनकी आयु 64 वर्ष से अधिक व छह वर्ष से कम आयु के बच्चे, गर्भवती महिलाएं आदि की ऐसी स्थिति में देखभाल करें। अधिक ठंड पड़ने पर पर्याप्त वेंटिलेशन होने पर ही रूम हीटर का उपयोग करें। अधिक ठंड पड़ने पर जहां तक संभव हो पालतू जानवरों को घर के अंदर ही रखें। अत्यधिक ठंड पड़ने से प्रभावित शरीर के हिस्से पर मालिश न करें। इससे अधिक नुकसान हो सकता है। तत्काल चिकित्सक से परामर्श ले।
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