गरीब एवं निम्न वर्गी कर्मचारियों से जबरजस्ती कराया जा रहा ठेकेदार का काम,मामला लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग मझौली का
मझौली।
मामला मझौली उपखंड अंतर्गत लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग मझौली का है जहां पर निम्न वर्गी गरीब विभागीय श्रमिकों का सहायक यंत्री लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग मझौली एसएस त्रिपाठी द्वारा डरा धमका कर ठेकेदार का काम कराया जा रहा है यहां तक की एक दो निम्न वर्गी गरीब विभागीय श्रमिकों को ठेकेदार के काम में भेज दिया जाता है जबकि एक दो आदमी के बस में हैंडपंपों में लगी लोहे की पाइपों को बाहर निकाला जाना संभव नहीं है जो जी तोड़ मेहनत कर गांव वालों से निवेदन का मदद लेकर कार्य को पूरा करते हैं ।यह जानते हुए भी अधिकारी गरीब श्रमिकों को डरा धमका कर कार्य पूर्ण करने का आदेश दे देते हैं यहां तक की सहायक यंत्री कुछ गिने चुने लोगों को शासकीय कार्यालय में रहकर पूरा का पूरा प्रभार दे रखे हैं जो ऐसे श्रमिकों का शोषण करते हैं जो जानकारियों से अनभिज्ञ है। मामला उस समय सामने आया जब मझौली जनपद अंतर्गत ग्राम पंचायत गजरी में हैंड पंप बनाने गए पिछड़े वर्ग के 2 श्रमिक ग्रामीणों से हैंडपंप निकलवाने के लिए निवेदन कर रहे थे वही कवरेज के दौरान मीडिया के नजर उन पर पड़ गई और जब मीडिया के द्वारा श्रमिकों से पूछताछ की जाने लगी विभागीय श्रमिकों द्वारा बताया गया कि हम लोगों को यह जानकारी नहीं है। एसडीओ साहब हम लोगों को ही भेज कर सभी जगह के हैंड पंप सुधार करवाते हैं इसी तरह गांव वालों की मदद से किसी तरह से कार्य पूर्ण करते हैं क्या करें अधिकारी का कहना तो मानना ही पड़ेगा जब उन लोगों से यह पूछा गया कि ठेकेदार के लेवर क्या कभी आते हैं तो उनके द्वारा बताया गया कि संपूर्ण क्षेत्र के हैंडपंपों की रखरखाव मरम्मत एवं संचालन हम लोग विभागीय श्रमिक सहायक यंत्री एवं उनके द्वारा प्रभारी बनाए गए अधिकारियों के आदेश पर कर रहे हैं हम लोगों को वेतन के अलावा कोई भी अतिरिक्त राशि नहीं मिलती जबकि मझौली एवं कुसमी दोनों विकास खंडो के हैंड पम्पो एवं जल प्रदाय योजना के सुधार मरम्मत एवं संचालन का कार्य विभागीय कर्मचारियों द्वारा ही किया जा रहा है अब सवाल यह उठता है कि हर माह मझौली कुसमी मिलाकर लगभग तीन से चार लाख तक की राशि का भुगतान ठेकेदार को की जाती है जबकि ठेकेदार द्वारा केवल चार वाहनों के स्थान पर एक जीप एवं एक ऑटो लगाया गया है जिसमें क्षमता से ज्यादा विभागीय श्रमिक सवार होकर मझौली से कुसमी जाया करते हैं जिसकी जानकारी जब मीडिया द्वारा सहायक यंत्री एसएस त्रिपाठी से लेने के लिए हमारे संवाददाता द्वारा कोशिश की गई तो पहले तो उन्होंने कहा की मैं बस यहीं पर बैठा रहता हूं मीटिंग अटेंड करता हूं हमें कोई जानकारी नहीं है की कार्य कैसे और कौन कर रहा है कैसे हो रहा जब मीडिया द्वारा वास्तविकता के आधार पर वीडियो फोटो के साथ बयान चाहा गया तो वह मीडिया के ऊपर झल्लाते हुए किसी तरह के कुछ ना बताने को कहकर पल्ला झाड़ लिया यहां तक की उनके द्वारा यह तक नहीं बताया गया कि विभाग में ठेकेदार द्वारा कितनी गाड़ियां और कितने कर्मचारी रखे गए हैं अब प्रश्न यह उठता है कि क्या ठेकेदार की कमीशन की राशि सहायक यंत्री के कलम और मुख बंद कर रखा है या वरिष्ठ कार्यालय के दबाव के चलते बस वह पुतला बनकर बैठे हुए हैं। सहायक यंत्री का मीडिया को जवाब ना देना कई सवाल खड़ा कर रहा है जबकि ई टेंडरिंग का अवलोकन किया जाए तो मझौली खंड के लिए मेसर्स ओम कांट्रेशन को 24 00 नग हैंडपंपों के संचालन व संधारण कार्य की सम्पूर्ण जवाबदारी लिए प्रति वर्ष 24.10 लाख का भुकतान किया जा रहा है जो औसतन 2 लाख प्रति माह के दर से भुकतान किया जाता होगा। वही कुशमी विकासखंड में 2200 नग हैंडपम्पो के संचालन व संधारण के लिए मेसर्स ओम कास्ट्रेशन कंपनी प्रो भूपेंद्र सिंह वार्षिक 20.63 लाख रुपये का भुकतान किया जाता है जो औसतन 1.71 प्रतिमाह के दर से भुकतान किया जाता होगा।इस तरह यदि देखा जाय तो लगभग 4 लाख रुपये माशिक राशि की खपत सहायक यंत्री एंव ठेकेदार के द्वारा मिल कर हजम कर ली जाती है।अब देखना यह होगा कि शासन -प्रशासन द्वारा कई महीनों से विना कार्य किए ठेकेदार एंव विभागीय अधिकारियों द्वारा डकारी जा रही राशि की वसूली की जाकर विभागीय कर्मचारी (श्रमिको) का शोषण करने वाले प्रभारी सहायक यंत्री के खिलाप कार्यवाही कर श्रमिको को शोषण मुक्त करेंगे या की सहायक यंत्री व ठेकेदार के प्रभाव एवं भ्रष्टाचार द्वारा कमाई गई राशि से इनके भी कलम बध जाएगे।
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