संज्ञा: जानिए सरल शब्दों में संज्ञा की परिभाषा एवं प्रकार
संज्ञा किसे कहते हैं ?
संज्ञा की परिभाषा:-
किसी प्राणी व्यक्ति वस्तु पदार्थ स्थान भाव अथवा दशा के नाम को संज्ञा कहते हैं । अर्थात संज्ञा किसी नाम को कहते हैं, किंतु रंगों के नाम को छोड़कर।
जैसे:-
(1) राम पटना जा रहा है
(2) सभी के साथ प्रेम करो
(3)बुढ़ापा दुखदाई होता है
(4)गाय एक पालतू पशु है।
इन उदाहरणों को निम्न प्रकार से समझा जा सकता है:-
इन वाक्यों में 'राम' व्यक्ति का नाम है। 'गाय' पशुओं की एक जाति विशेष का नाम है । 'बुढ़ापा' एक दशा विशेष का नाम है। 'प्रेम' एक भाव विशेष का नाम है। अतः राम, गाय, बुढ़ापा, प्रेम आदि संज्ञा शब्द है।
संज्ञा के प्रकार:-
संज्ञा के निम्न पांच प्रकार होते हैं
(1) व्यक्तिवाचक संज्ञा (2) जाति वाचक संज्ञा (3) समूह वाचक संज्ञा (4) द्रव्य वाचक संज्ञा (5) भाववाचक संज्ञा।
(1)व्यक्तिवाचक संज्ञा:-
किसी खास व्यक्ति, स्थान या भाव का बोध होता है उसे व्यक्ति वाचक संज्ञा कहते हैं । जैसे:- राम, कुर्सी, पटना आदि।
(2)
जाति वाचक संज्ञा:-
जिस शब्द से किसी जाति के सभी व्यक्तियों ,वस्तुओं, स्थानों का बोध होता है उसे जातिवाचक संज्ञा कहते हैं। जैसे:- गाय ,लड़का ,लड़की ,कुत्ता, फूल आदि।
(3)
समूह वाचक संज्ञा:-
जिस शब्द से समूह या झुंड का बोध होता है उसे समूहवाचक संज्ञा कहते हैं। जैसे:- सेना, भीड़, वर्ग ,सभा ,गुच्छा आदि।
(4)
द्रव्यवाचक संज्ञा:-
जिन वस्तुओं को नापा तौला जा सके ऐसी वस्तु के नामों को द्रव्यवाचक संज्ञा कहते हैं।
जैसे:- पानी, दूध, घी, तेल, सोना, चांदी, चावल आदि।
(5)
भाव वाचक संज्ञा:-
जिस शब्द से किसी वस्तु या व्यक्ति के गुण, दोष,दशा आदि का पता चलता है उसे भाववाचक संज्ञा कहते हैं ।
जैसे:- बुढ़ापा, इमानदारी, चतुराई, मिठास, सुंदरता आदि।
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