किसान आंदोलन: दिल्ली के सिंघु बॉर्डर पर डटे किसान
नई दिल्ली।
खेती से जुड़े कानूनों के खिलाफ हजारों किसान दिल्ली की सिंघु बॉर्डर पर डटे हुए हैं। केंद्र सरकार की ओर से बातचीत के प्रस्ताव के बावजूद उनका विरोध जारी है। किसानों ने फैसला लिया है कि वे सिंघु बॉर्डर पर ही अपना विरोध जारी रखेंगे और कहीं नहीं जाएंगे। यह भी तय किया गया कि रोज सुबह 11 बजे आगे की रणनीति बनाई जाएगी। किसानों के जमावड़े को देखते हुए दिल्ली-हरियाणा बॉर्डर पर भारी संख्या में सिक्योरिटी फोर्स तैनात है। शनिवार शाम आंदोलनकारियों ने हाईवे पर तंबू गाड़ना शुरू कर दिया। साथ ही पंजाब, हरियाणा और यूपी के किसानों का आना भी जारी रहा। दिल्ली के नॉर्दर्न रेंज के ज्वाइंट सीपी सुरेंद्र यादव ने बताया कि किसान शांति से बैठे हैं और अब तक सहयोग कर रहे हैं। हमारा मकसद लॉ एंड ऑर्डर बनाए रखना है। साथ ही यह भी तय करना है कि आंदोलन करने वालों को कोई परेशानी न हो। उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने शनिवार को किसानों से अपना विरोध वापस लेने की अपील की। उन्होंने कहा कि यह आंदोलन कांग्रेस की रची साजिश के अलावा कुछ नहीं है। एक किसान का बेटा होने के नाते, मैं देश और उत्तर प्रदेश के किसानों से कहना चाहता हूं कि कांग्रेस आपकी भावनाओं के साथ खेल रही है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शनिवार को कहा था कि सरकार बातचीत के लिए तय दिन 3 दिसंबर से पहले भी किसानों के साथ चर्चा के लिए तैयार है। उन्होंने अपील की थी कि किसान दिल्ली के बाहरी इलाके बुराड़ी में निरंकारी समागम ग्राउंड पर प्रदर्शन करें। इस पर किसानों ने कहा कि सरकार को खुले दिल के साथ आगे आना चाहिए, न कि शर्तों के साथ। भारतीय किसान यूनियन के पंजाब प्रेसिडेंट जगजीत सिंह ने कहा कि हम रविवार सुबह मीटिंग के बाद इस प्रस्ताव पर कोई फैसला करेंगे। अमित शाह ने शर्त रखकर जल्द बैठक करने की अपील की है। यह अच्छा नहीं है। उन्हें बिना किसी शर्त के खुले दिल से बातचीत की पेशकश करनी चाहिए। भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि विरोध रामलीला मैदान में होता है। फिर हमें निजी जगह निरंकारी भवन में क्यों जाना चाहिए? हम आज यहीं रहेंगे।
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