आयुष्मान कार्ड मामले में हाई कोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब
(सुधांशू द्विवेदी) जबलपुर।
मप्र हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा है कि प्रदेश के 75 प्रतिशत गरीबों के आयुष्मान भारत योजना के कार्ड क्यों नहीं बनाए गए। एक्टिंग चीफ जस्टिस संजय यादव और जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की डिवीजन बैंच ने इस संबंध में दो सप्ताह में स्पष्टीकरण पेश करने का निर्देश दिया है। डिवीजन बैंच ने कोरोना के इलाज को लेकर राज्य सरकार की ओर से पेश किए गए पालन प्रतिवेदन को रिकॉर्ड पर लेने के निर्देश दिए हैं। मामले की अगली सुनवाई 25 नवंबर को नियत की गई है। गुरुवार को कोर्ट मित्र वरिष्ठ अधिवक्ता नमन नागरथ ने सुझाव प्रस्तुत किया कि शाजापुर में बिल नहीं देने पर निजी अस्पताल में एक बुजुर्ग को बंधक बना लिया गया था।
उस घटना के मद्देनजर डिवीजन बैंच इस जनहित याचिका के जरिए विचार कर रही है कि गरीबों को किस तरीके से बेहतर इलाज की सुविधा मिले। उन्होंने बताया कि गरीबों के इलाज के लिए केन्द्र और राज्य सरकार की आयुष्मान भारत योजना है। इस योजना के तहत गरीब प्रतिवर्ष किसी भी निजी या सरकारी अस्पताल में 5 लाख रुपए तक का मुफ्त इलाज करा सकते हैं। इस योजना में 60 प्रतिशत केन्द्र सरकार और 40 प्रतिशत राज्य सरकार को निवेश करना है, इसके कारण राज्य सरकार इसमें रुचि नहीं ले रही है। कोर्ट मित्र श्री नागरथ ने सुझाव दिया कि गरीबों के इलाज के लिए आयुष्मान भारत योजना सबसे अच्छी है। यदि इस स्कीम का सही तरीके से क्रियान्वयन हो जाए तो समस्या हल हो जाएगी। हकीकत यह है कि प्रदेश के 2 करोड़ गरीबों में से केवल 25 प्रतिशत लोगों के ही आयुष्मान भारत योजना के कार्ड बन पाए हैं। अभी भी 75 प्रतिशत गरीबों के आयुष्मान भारत योजना के कार्ड नहीं बन पाए हैं। 50 प्रतिशत सरकारी अस्पताल ही इस योजना के तहत इलाज करने के लिए अधिकृत हो पाए हैं। सुझाव सुनने के बाद डिवीजन बैंच ने राज्य सरकार से दो सप्ताह में जवाब पेश करने के निर्देश दिए हैं। राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता पुरुषेन्द्र कौरव ने पक्ष रखा। पिछली सुनवाई के दौरान डिवीजन बैंच ने राज्य सरकार से इस आशय का पालन प्रतिवेदन पेश करने के लिए कहा था कि प्रदेश के निजी अस्पतालों में कोरोना के इलाज की रेट लिस्ट लगाई जाए। अखबारों में विज्ञापन जारी कर रेट लिस्ट का प्रचार-प्रसार किया जाए। इसके साथ ही केन्द्र सरकार की गाइडलाइन के अनुसार कोरोना के अलग-अलग श्रेणियों के अस्पताल की जानकारी माँगी गई थी। सुनवाई के दौरान डिवीजन बैंच ने राज्य सरकार के पालन प्रतिवेदन को रिकॉर्ड पर लेने के निर्देश दिए। सर्विस टैक्स की चोरी करने के आरोप में स्टेट जीएसटी के शिकंजे में फँसी मैक्स इंफ्रा (आई) प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के छिंदवाड़ा और रायसेन स्थित दफ्तरों में दूसरे दिन भी एंटी इवेजन ब्यूरो की टीमें फाइलें खँगालने में जुटी रहीं। सूत्रों के मुताबिक मैक्स इंफ्रा कंपनी जिन सरकारी विभागों में उपकरण सप्लाई और दूसरे कार्य करती थी, उन सभी विभागों से लेखा-जोखा माँगा जाएगा। जिसके बाद कंपनी द्वारा कार्यों से जुड़ी अकाउंट डिटेल का मिलान किया जाएगा। सूत्रों की मानें तो 48 घंटे की पड़ताल के बाद मैक्स इंफ्रा कंपनी से जल्द ही रिकवरी की दूसरे खेप भी वसूली जाएगी।
उल्लेखनीय है कि स्टेट जीएसटी की जबलपुर स्थित एंटी इवेजन शाखा ने मंगलवार की शाम रेलवे, एमपीईबी समेत कई सरकारी विभागों में ठेकेदारी करने वाली मैक्स इंफ्रा कंपनी के छिंदवाड़ा स्थित सौंसर और रायसेन जिले के ओबेदुल्लागंज स्थित कार्यालयों में छापेमारी की थी। जब्त किए गए दस्तावेजों की शुरूआती जाँच में ही स्टेट और सेन्ट्रल जीएसटी का सवा तीन-तीन करोड़ सर्विस टैक्स चोरी होना पाया गया था। लिहाजा कंपनी से साढ़े 6 करोड़ रुपए वसूले गए थे। फिलहाल दोनों जगहों पर टीमें जाँच कर रही हैं।
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