प्रतीकात्मक कलश यात्रा एवं स्थापना सम्पन्न

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प्रतीकात्मक कलश यात्रा एवं स्थापना सम्पन्न



प्रतीकात्मक कलश यात्रा एवं स्थापना सम्पन्न

 उज्जैन ।
 अखिल भारतीय कालिदास समारोह के अवसर पर परम्परा अनुसार समारोह की उद्घाटन विधि से एक दिन पूर्व 24 नवम्बर को शिप्रा तट रामघाट पर शिप्रा एवं कलश का पूजन किया गया। वैदिक मंत्रों के साथ विक्रम विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. अखिलेश कुमार पाण्डेय, कालिदास समिति के सचिव प्रो. शैलेन्द्रकुमार शर्मा, अकादमी की प्रभारी निदेशक श्रीमती प्रतिभा दवे, उपनिदेशक डॉ.योगेश्वरी फिरोजिया, श्री अनिल बारोड़ सहित उपस्थितजनों ने पूजा विधि सम्पन्न की। 

 पं.सूर्यनारायण व्यास के निवास पर पंडितजी की प्रतिमा पर माल्यार्पण करते हुए भगवान महाकाल का आशीर्वाद लिया गया। तत्पश्चात् कालिदास संस्कृत अकादमी में विधिपूर्वक कलश की स्थापना की गई। इस अवसर पर पं.आनंदशंकर व्यास, उज्जैन उत्तर विधायक श्री पारस जैन,  समाजसेवी श्री रूप पमनानी, मानित राज्यमंत्री श्री ओम जैन, एडीएम श्री राकेश मोहन त्रिपाठी, नायब तहसीलदार सुश्री भूमिका जैन, श्री अंकित व्यास आदि उपस्थित थे। 

 श्री पारस जैन इस अवसर पर कहा कि कोरोना संक्रमण के कारण समारोह का त्रिदिवसीय आयोजन किया जा रहा है जो सभी के हित की बात है। संस्कृत विश्व की श्रेष्ठ और सरल भाषा है। कालिदास समारोह की विश्व में प्रतिष्ठा है और इसकी पहचान इसी तरह बनी रहे यह हमारा सबका प्रयास रहेगा। शासन के नियमों का पालन करते हुए इस समारोह को गौरव के साथ सम्पन्न किया जायेगा। इस अवसर पर पं.आनंदशंकर व्यास के संस्कृति एवं समारोह की परम्परा के निर्वाह संबंधी अवदान को दृष्टिगत करते हुए शाल-श्रीफल भेंटकर सम्मानित किया गया। 
 पं.आनंदशंकर व्यास ने कहा कि आयोजन की स्वीकृति प्रदान करने के लिए म.प्र. शासन को धन्यवाद ज्ञापित करते हैं। इससे हमारी परम्परा का समुचित निर्वाह हो रहा है। समूचे विश्व में संस्कृत संबंधी जो कार्य हो रहा है, उसे एक मंच पर लाना समारोह का मूल उद्देश्य है। पूर्व में महाकाल मंदिर और योगेश्वर टेकरी से मेघदूत् के श्लोकों का प्रसारण होता था। उसे पुनः प्रसारित किया जाना चाहिये। प्रो.अखिलेशकुमार पाण्डेय ने कहा कि समारोह हमारी संस्कृति का विशाल आयोजन है। इस वर्ष पारम्परिक विषयों के साथ टेक्नोलॉजी, पर्यावरण, प्रकृति संरक्षण सहित अन्य अनुशासनों के विद्वानों को भी आमंत्रित किया जा रहा है। 

 श्री रूप पमनानी ने कहा कि समारोह की परम्परा टूटे नहीं इसलिए हम सबने मिलकर प्रयत्न किया और समारोह का आयोजन हो रहा है। आमजन को इस समारोह से जोड़ने के लिए स्थानीय कलाकारों का संयोजन एवं हिन्दी माध्यम में भी आयोजन किए जा रहे हैं। श्री ओम जैन ने कहा कि यह संस्कृति के संरक्षण का पर्व है और समूचे विश्व को इससे प्रेरणा मिलती है। विषय विशेषज्ञों का सम्मेलन समारोह के अवसर पर होता है। कार्यक्रम का संचालन प्रो.शैलेन्द्रकुमार शर्मा ने किया तथा  धन्यवाद ज्ञापन डॉ.योगेश्वरी फिरोजिया ने किया।

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