सीधी: नाटक “गाँधी ने कहा था” का हुआ शानदार मंचन
सीधी
मध्यप्रदेश स्थापना दिवस के शुभ अवसर पर रंगदूत द्वारा अतिथि नाट्य प्रस्तुति आमंत्रित की गई जिसमें प्रख्यात लेखक राजेश कुमार रचित और महात्मा गाँधी के विचारों पर आधारित नाटक 'गाँधी ने कहा था' का मंचन संप्रेषणा नाट्य मंच कटनी द्वारा 1 नवम्बर को गुरुकुल पब्लिक स्कूल के प्रांगण में शाम 7 बजे हुआ|
नाटक की कहानी शुरू होती है 14 अगस्त 1947 आधी रात से जब गाँधी जी बेलाघाट की तंग गलियों में एक मुस्लिम मजदूर के घर अनशन पर बैठे है, तभी तारकेश्वर पाण्डेय आता है और उन्हें उपवास तोड़ने को कहता है क्योंकि उसका इकलौता पुत्र दंगों में मारा गया है | इस दुःख और वेदना से उबरने के लिए गाँधी जी उसे एक बच्चा ढूंढकर परवरिश करने की सलाह देते हैं लेकिन शर्त रहती है कि वह बच्चा उस मुसलमान होना चाहिये और और उस बच्चे की परवरिश मुस्लिम तौर तरीके से होना चाहिए | तारकेश्वर लौटकर घर आता है और आफताब नाम के बच्चे की परवरिश करता है | तारकेश्वर की पत्नी सुमित्रा समाज,संस्कृति और परंपराओ के द्वन्द को काटकर भी बच्चे की माँ का प्यार देती है उसे एक अच्छा इंसान बनाना चाहती है लेकिन अलगाववाद की अंधेरी गलियों में धंसकर आफताब भटक जाता है वो अंततः लौट कर आता है और गाँधी के सत्य को यथावत करता है |
नाटक गाँधी ने कहा था दिलों को पास लाने की दिशा में एक सशक्त प्रयास है | आज़ादी से लेकर आज तक फैले विकृत साम्प्रदायिकता के खिलाफ लड़ने का हथियार है | आज सांप्रदायिक लोग जिन फर्जी सवालों को खड़ा कर जनमानस में दिमाग में साम्प्रदायिकता का ज़हर घोलना चाहते हैं , यह नाटक उन फर्जी सवालों का मुंह तोड़ जवाब है | जहाँ सत्य है वहां गाँधी है | और जहाँ आतंक है वहां गोडसे है | तो गोडसे का जवाब गाँधी है |
एक तरफ यह नाटक तोड़ने वालों को बेनकाब करता है तो दूसरी तरफ जोड़ने वालों की शक्ति प्रदान करता है | प्रख्यात निर्देशक सादात भारती के निर्देशन में सम्प्रेषणा नाट्य मंच कटनी के 17 कलाकारों ने शानदार प्रस्तुति देकर सीधी के दर्शकों का दिल जीत लिया | मंच पर अभिनय कर रहे कलाकारों में योगेश तिवारी , शुभम रजक , के. एल .राव , ज्योति सिंह , दिनेश कुशवाहा , कुंवर कुशवाहा ,अतुल वर्मा , सतीश अहिरवार , रोजलीन शाह , प्रमुख थे |
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