कोरोना वायरस : भारतीय वैज्ञानिकों ने तैयार की 'गर्म वैक्‍सीन'

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कोरोना वायरस : भारतीय वैज्ञानिकों ने तैयार की 'गर्म वैक्‍सीन'



कोरोना वायरस : भारतीय वैज्ञानिकों ने तैयार की  'गर्म वैक्‍सीन'


नई दिल्ली।
कोरोना वायरस वैक्‍सीन की स्‍टोरेज और डिसट्रीब्‍यूशन को लेकर तैयारियां जोरों पर हैं। गर्म जलवायु वाले देशों में वैक्‍सीन को स्‍टोर करना एक बड़ी चुनौती है। क्‍योंकि अधिकतर वैक्‍सीन को 2 डिग्री सेल्सियस से 8 डिग्री सेल्सियस तापमान के बीच रखने की जरूरत पड़ती है। इसी को कोल्‍ड-चेन मैनेजमेंट कहते हैं। हालांकि कोरोना वैक्‍सीन के मामले में यह चुनौती और बड़ी है। विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन के अनुसार, डिवेलप हो रहीं कोविड वैक्‍सीनों को 0 डिग्री से भी कम तापमान पर रखने की जरूरत होगी। मगर क्‍या हो अगर ऐसी कोई वैक्‍सीन हो जिसके लिए कोल्‍ड-चेन की जरूरत ही न पड़े? भारतीय वैज्ञानिकों ने कोविड-19 के लिए ऐसी ही एक वैक्‍सीन तैयार की है। इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ साइंस के वैज्ञानिक एक 'गर्म' वैक्‍सीन पर काम कर रहे हैं। उनके मुताबिक, यह वैक्‍सीन 100 डिग्री सेल्सियस तापमान पर 90 मिनट के लिए स्‍टोर की जा सकती है। अगर तापमान 70 डिग्री हो तो इसे 16 घंटे तक ठीक रखा जा सकता है। इंसानी शरीर के तापमान यानी 37 डिग्री सेल्सियस पर यह वैक्‍सीन एक महीने से भी ज्‍यादा वक्‍त तक स्‍टोर करके रखी जा सकती है। बायोफिजिसिस्‍ट राघवन वरदराजन ने कहा कि यह वैक्सीन जानवरों पर टेस्‍ट की गई। शुरुआती टेस्‍ट में 'अच्‍छे नतीजे' मिले हैं। अब राघवन की टीम को वैक्‍सीन के इंसानों पर सेफ्टी और टॉक्सिसिटी टेस्‍ट के लिए फंडिंग का इंतजार है। उनका रिसर्च पेपर जर्नल ऑफ बायोलॉजिकल केमिस्‍ट्री में छपने वाला है।

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