सीधी जिले में मिलावटी खाद्य पदार्थों की बिक्री धुआंधार,अधिकारी बने मूक, बधिर
सीधी।
जिले में एक बार फिर मिलावटी एवं नकली खाद्य पदार्थों की भरमार देखी जा रही है। बात फिर चाहे जिला मुख्यालय के बाजार क्षेत्र की करें या ग्रामीण अंचलों के हाट बाजार की, हर जगह गुणवत्ता विहीन खाद्य पदार्थों की भरमार देखी जा रही है।
जिले में खाद्य एवं औषधि विभाग के कर्मचारियों की लचर व्यवस्था के चलते जिलेवासियों के स्वास्थ्य के साथ सीधे तौर पर खिलवाड़ होता प्रतीत हो रहा है।
सूत्रों की मानें तो जिले में दुग्ध उत्पाद, सब्जी मशाला, चावल, दाल, सहित अन्य खाद्य पदार्थों में ज्यादातर मिश्रित पदार्थों से बाजार क्षेत्र पटा हुआ है।
बन्द कमरे तक प्रभावी रह गया विभागीय अमला:-
विगत दिवस सिहावल क्षेत्र के एक परिवार में दही खाने के उपरांत बाजार की दीपावली के अवसर पर बनी मिठाइयां खाने से एक परिवार में एक किशोर की मौत हो गई थी तथा परिवार के साथ लोग जिला अस्पताल में भर्ती किए गए थे जिसके उपरांत जिला कलेक्टर रवींद्र कुमार चौधरी ने मिलावटी खाद्य पदार्थों की बिक्री करने वालों पर शिकंजा कसने का निर्देश दिया था। जिले में बेंची जा रही अपमिश्रित रहित साफ सुथरी खाने और पीने के सामानों की उपलब्धता पर विस्तार से जानकारी ली गई थी। जिले में खाद्य पदार्थों के पंजीकरण और लाइसेंस जारी करने पर जन जागरूकता पर जोर दिया गया था।
सूत्रों की मानें तो कलेक्टर श्री चौधरी द्वारा अपमिश्रित खाद्य पदार्थों और नकली तथा मिथ्याछाप औषधियों के बनाने और बिक्री के रोंकथाम के लिए स्थानीय जरूरतों के मुताबिक अल्पकालीन व दीर्घकालीन रणनीति बनाये जाने पर जोर दिया गया था। खाद्य पदार्थों व औषधियों में मिलावट के प्रति जन सामान्य में जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से व्यापक प्रचार-प्रसार कराने का भी निर्देश दिया गया। किन्तु कुर्सी पर विराजमान खाद्य विभाग का पूरा अमला सिर्फ 1 दिन कार्यवाही के नाम पर खानापूर्ति करने के उपरांत अभी भी चैन की नींद ही सो रहा है।
दूध के नाम पर जहर पी रहा शहर:-
सूत्रों की मानें तो जिले में बड़े पैमाने पर मिलावटी दूध का कारोबार हो रहा है। एक अनुमान के मुताबिक जिले में प्रतिदिन उपयोग के दूध खपत का उत्पादन लगभग पैंसठ प्रतिशत ही है बॉकी पैंतिस प्रतिशत खपत की पूर्ति मिलावटी दूध से होती है। उचित जॉच व कार्यवाही न होने के चलते मिलावटी दूध का धंधा खूब फल-फूल रहा है। दूध के कारोबार से जुड़े लोगों के अनुसार मिलावटी दूध तैयार करने में बेहद खतरनाक केमिकल का प्रयोग किया जाता है। इनमें यूरिया से लेकर शैंपू और ईजी के पाउच तक प्रयोग किए जा रहे हैं। इसके अलावा नकली दूध बनाने के लिए यूरिया, डिटर्जेंट पाउडर, स्टार्च, ग्लूकोज, फार्मेलीन की भी मिलावट होती है। ये अलग बात है कि दूध के उत्पादन में मिलावट होने के बात की पुष्टि करने को लेकर शासकीय अमला या अन्य संबधितजन करने में असमर्थ महसूस करते हैं।
सब्जी मसाला में भारी मिलावट:-
विगत कई वर्षों से ये देखने में आ रहा है कि सीधी शहर तथा जिले के अन्य प्रमुख स्थानों पर अब सब्जी के मसालों की खुली बिक्री की जाती है और यह मसाले स्वयं दुकानदार अपने से विश्वा कर उसे लूज में बेचते हैं। मसालों का धंधा कुछ इस तरह चल निकला है कि प्रमुख बाजारों में तो दर्जनों ऐसे दुकानदार हैं जो सिर्फ और सिर्फ सब्जी के मसालों का ही कारोबार करते हैं। लूज में बिकने वाले इन मसालों के गुणवत्ता की जिम्मेवारी सिर्फ इन दुकानदारों पर ही निर्भर होती है जिससे वो खुलेआम इन मसालों में मिलावट करके मोटी कमाई करते हैं।
अब नहीं दिखता अभियान:-
कुछ वर्षों पूर्व तक जहां खाद विभाग द्वारा जिला मुख्यालय सहित अन्य स्थानों पर दूध एवं दुग्ध उत्पाद, सब्जी मसाले, तथा किराना की दुकानों पर हर महीने अभियान चलाकर छापेमारी की जाती थी और कई मामलों में बड़ी कार्यवाही भी की जाती थी परंतु पिछले कुछ वर्षों से देखा जा रहा है कि विभागीय अमले की लापरवाही के चलते ऐसा कोई भी अभियान अब बाजारों में नहीं दिखता। जिसके पीछे या तो विभाग की लापरवाही मानी जा सकती है या फिर ये कहा जा सकता है कि विभाग के लोग अपनी पेपर फॉर्मेलिटी करने के लिए कुछ जगहों पर ऐसी कार्यवाहियां करके मामले को ले-देकर रफा कर देते हैं।
कलेक्टर से कार्यवाही की मांग:-
सीधी जिले के आम लोगों ने जिला कलेक्टर रवींद्र चौधरी से ये मांग की है कि बाजार में मिलावटी सामग्री की बिक्री पर प्रतिबंध लगाने के लिए निरंतर कार्यवाहियां एवं छापेमारी की जाएं तथा दोषियों पर कठोर कार्यवाही हो जिससे आमजन जो अपनी मेहनत की कमाई से बाजार में सामग्री खरीदते हैं उन्हें सही सामान प्राप्त हो सके।
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