जिला सहकारी केंद्रीय बैंक में कालातीत ऋण की वसूली हेतु एक मुश्त समझौता योजना लागू
मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला सहकारी केंद्रीय बैंक सीधी ने जानकारी देकर बताया कि आयुक्त सहकारिता एवं पंजीयक सहकारी संस्थाएँ भोपाल के पत्र दिनांक 08.05.2018 द्वारा मध्यप्रदेश के जिला सहकारी बैंकों के कालातीत ऋण प्रकरणों की वसूली हेतु एक मुश्त समझौता योजना 2018 लागू की गई है। इस क्रम में बैंक प्रशासक की बैठक दिनांक 29.10.2020 में लिये गये निर्णय अनुसार एक मुश्त समझौता योजना 2018 दिनांक 01.01.2021 से लागू करने का निर्णय किया गया है। ऐसे ऋण जो कालातीत होकर समझौता दिनांक के ठीक पिछले वित्तीय वर्ष के 31 मार्च को पाँच वर्ष या उससे अधिक अवधि के संदिग्ध या हानि सम्पत्ति में वर्गीकृत हो गये थे। प्रकरणों में ऋणी द्वारा वसूली योग्य राशि 25 प्रतिशत जमा करने पर ही समझौता योजना प्रक्रिया आरम्भ होगी। जानबूझकर चूक कर्ता के रुप में वर्गीकृत तथा गबन एवं धोखाधड़ी एवं दुराचार अन्तर्गत वर्गीकृत प्रकरण योजना की परिधि में शामिल नहीं होगें।
मुख्य कार्यपालन अधिकारी ने बताया कि योजना के अन्तर्गत पात्र सदस्यों को निर्धारित प्रारुप में जमा की जाने वाली राशि तथा छूट सीमा की जानकारी दी जावेगी। जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक सीधी के ऋणों की वसूली हेतु बिना व्यवसाय गतिविधि या उद्देश्य की प्रकृति का भेद करते हुये सभी क्षेत्रों से सम्बंधित ऐसे ऋण जो कालातीत होकर समझौता दिनांक के ठीक पिछले वित्तीय वर्ष के 31 मार्च को पाँच वर्ष या उससे अधिक अवधि के संदिग्ध या असुरक्षित या हानि संपत्ति में वर्गीकृत हो गये थे, एवं इस मूल शर्त के अधीन -किसी भी न्यायालय में वसूली हेतु विचाराधीन तथा डिक्री प्राप्त प्रकरण भी योजना के अन्तर्गत ग्राह्य किये जा सकते है। वसूली के निश्चित प्रावधान के तहत प्रदत्त ऋण (यथा वेतनभोगियों को ऋण) संचालकों को या उनकी गारंटी पर दिये गये ऋण, शासन की गारंटी पर दिये गये ऋण, शासन के विभागों/उपक्रमों से वसूली योग्य ऋण, शासन के निर्देशित कार्यक्रमों यथा पी.डी.एस. के अन्तर्गत ऋण इस योजना की परिधि में शामिल नहीं होगें। परन्तु ऐसे शासकीय/संस्थागत वेतन भोगी जिनकी या तो मृत्यु हो चुकी हो या जिस उपक्रम में कार्य कर रहे है वह उपक्रम या तो परिसमापन में हो या गंभीर हानि में होकर अपने कर्मचारियों को पूर्ण वेतन का भुगतान कर पाने में असमर्थ हों, ऐसी दशा में सम्बंधितों से पर्याप्त प्रमाण लिये जाकर समझौता किया जा सकेगा। भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा जारी निर्देश के अन्तर्गत ‘‘जानबूझकर चूककर्ता (विल्फुल डिफाल्टर)’’ के रुप में वर्गीकृत तथा गबन एवं धोखाधड़ी एवं दुराचार (थ्तंनक ंदक उंसमिंंदबम) अन्तर्गत वर्गीकृत प्रकरण योजना की परिधि में शामिल नहीं होगें। ऐसे ऋण प्रकरण जहाँ की बैंक के पक्ष में बंधक सम्पत्ति का मूल्य ऋणी से प्राप्ति योग्य राशि से अधिक है, ऐसे प्रकरण भी समझौता योजना की परिधि में आयेगें।
0 टिप्पणियाँ