टाइगर रिजर्व क्षेत्र के बनास नदी से मशीनों द्वारा रेत का अवैध उत्खनन ,विभाग की मूक सहमति पर उठ रहे सवाल

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टाइगर रिजर्व क्षेत्र के बनास नदी से मशीनों द्वारा रेत का अवैध उत्खनन ,विभाग की मूक सहमति पर उठ रहे सवाल



टाइगर रिजर्व क्षेत्र के बनास नदी से मशीनों द्वारा रेत का अवैध उत्खनन ,विभाग की मूक सहमति पर उठ रहे सवाल 


नाले के नाम पर लीज स्वीकृत, हो रहा बनास नदी से उत्खनन

सीधी ।
एक तरफ केंद्र सरकार द्वारा संजय टाइगर रिजर्व क्षेत्र की सीमा निर्धारण कर उसके लिए वन संपदा एवं वन्य प्राणी संरक्षण और संवर्धन के लिए कड़े कानून बनाए गए हैं जिसके तहत रिजर्व क्षेत्र से किसी भी तरह की वन संपदा एवं वन्य प्राणियों को नुकसान पहुंचाना गंभीर अपराध की श्रेणी में आता है।
इतना ही नहीं विभाग द्वारा रखरखाव के लिए सुरक्षा श्रमिक से लेकर वनरक्षक,सहायक परिक्षेत्र अधिकारी एवं परिक्षेत्र अधिकारी के साथ-साथ अनुविभागीय अधिकारी जैसे पद पर नियुक्ति कर करोड़ो रूपये खर्च कर इनके बचाव की जिम्मेदारी दी गई है इसके साथ ही सेटेलाइट के जरिए भी सतत निगरानी का प्रावधान विभाग द्वारा किया गया है। बावजूद इसके ये विभाग अपनी कुम्भकर्णी नींद में सोया हुआ है और माफिया द्वारा बड़ी मात्रा में संजय टाइगर रिजर्व क्षेत्र के बनास नदी का सीना छलनी कर अवैध तरीके से जेसीबी मशीनों द्वारा रेत उत्खनन एवं परिवहन हाइवा ट्रकों के द्वारा दिन-रात किया जा रहा है जिसमें विभाग की मूक सहमति पर सवाल उठना स्वाभाविक है।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार शहडोल जिला के व्यौहारी तहसील क्षेत्र अंतर्गत बोड्डीहा ग्राम के एक नाले के नाम पर रेत उत्खनन के लिए स्वीकृति जारी की गई है जबकि लीज धारक द्वारा संजय टाइगर रिजर्व क्षेत्र में बह रही बनास नदी पर चार जेसीबी मशीन के द्वारा दिन-रात उत्खनन कर हजारों हाइवा  वाहनों से रोज रेत की निकासी की जाती है जिससे साबित होता है कि यह सारा कारोबार विभाग के आला अधिकारियों के मिलीभगत के द्वारा ही किया जाता है अन्यथा छोटे-मोटे वाहनों में परिवहन करते पाए जाने पर गंभीर अपराध कायम किया जाता है फिर वही नियम ऐसे बड़े माफियाओं के लिए शिथिल हो जाता है जो बड़ा सवाल है?

राजस्व व वन विभाग के साथ जिले की सीमा क्षेत्र को लेकर बनी है असमंजस की स्थिति
           
बनास नदी में हो रहे अवैध उत्खनन व परिवहन को लेकर जहां राजस्व व वन विभाग द्वारा यह कहकर अपना पीछा छुड़ा लिया जाता है कि यह मेरे क्षेत्र में नह़ीं आता। वहीं सीधी और शहड़ोल जिले की सीमा (सरहद) तय करने वाली इस नदी पर दोनों जिले के अन्य विभागीय अधिकारी भी जिले की सीमा के बाहर का मैटर बता कर अपना पल्ला झाड़ लेते हैं जिसके चलते माफियाओं द्वारा यहां खुलेआम रेत का उत्खनन व परिवहन वर्षों से किया जा रहा है।

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