सीधी तथा सिंगरौली जिले के आपराधिक न्यायालयीन प्रकरणों में से दोषमुक्त होने वाले मामलों की डीआईजी ने की समीक्षा

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सीधी तथा सिंगरौली जिले के आपराधिक न्यायालयीन प्रकरणों में से दोषमुक्त होने वाले मामलों की डीआईजी ने की समीक्षा



सीधी तथा सिंगरौली जिले के आपराधिक न्यायालयीन प्रकरणों में से दोषमुक्त होने वाले मामलों की डीआईजी ने की समीक्षा
        
सीधी।
उप पुलिस महानिरीक्षक रीवा ज़ोन रीवा एएस कुशवाह आज दोषमुक्त प्रकरणों की समीक्षा करने सीधी पहुंचे। सीधी एवं सिंगरौली के मध्य स्थित टिकरी में बैठक का आयोजन किया गया । बैठक में पुलिस अधीक्षक सीधी, पुलिस अधीक्षक सिंगरौली , अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक सीधी के साथ जिला सीधी के समस्त पुलिस अनुविभागीय अधिकारी,जिला सिंगरौली के समस्त पुलिस अनुविभागीय अधिकारी, लोक अभियोजक सीधी, लोक अभियोजक सिंगरौली,विशेष लोक अभियोजक सीधी,विशेष लोक अभियोजक सिंगरौली,अपर लोक अभियोजक सीधी, अपर लोक अभियोजक सिंगरौली एवं सहायक जिला अभियोजन अधिकारी सीधी उपस्थित रहे। बैठक में दोनों जिलों में वर्ष भर में घटित गंभीर मामलों जैसे- हत्या, हत्या का प्रयास ,बलात्कार, अपहरण, लूट, एनडीपीएस, एससी/एसटी एक्ट के तहत मामले, महिला अपराधों के तहत पक्सो एक्ट के मामले,नव विवाहिता मर्ग, दहेज एक्ट, चिन्हित अपराध जैसे  गंभीर मामलों के तहत दोषमुक्त होने वाले प्रकरणों के विभिन्न आयामों की समीक्षा की गई।बैठक का केंद्रबिंदु यह रहा कि मामलों में दोषमुक्ति का कारण जानकर भविष्य में उन कमियों को दूर करते हुए ज्यादा से ज्यादा मामलों में सजायाबी हो। जिस पर उप पुलिस महानिरीक्षक रीवा तथा दोनो जिलों के पुलिस अधीक्षकों ने अपने अनुभव साझा करते हुए विवेचना के दौरान पुलिस से होने वाली गलतियों के बारे में बताया।बैठक में शामिल दोनों जिलों के अभियोजक एवं अभियोजन अधिकारियों ने भी होने वाली त्रुटियों के संबंध में अपने अपने विचार रखे। आरोपियों के दोषमुक्त होने के कारणों को चिन्हित किया गया। गहन विचार विमर्श किया कि किन- किन कारणों से आरोपी दोषमुक्त हुए। भविष्य में उन कमियों को दूर करते हुए ज्यादा से ज्यादा मामलों में आरोपियों को सजायाब करने हेतु रणनीति बनाई गई जिससे पीड़ितों को न्याय मिल सके। अंत में बैठक में शामिल पुलिस के सभी अनुविभागीय अधिकारियों को निर्देशित किया गया कि अपने-अपने अनुभागों में भी इसी प्रकार की बैठकों का आयोजन करें एवं गंभीर मामलों के विवेचकों को बैठक में हुई चर्चाओं से अवगत कराए जिससे भविष्य में पुलिस विवेचना में होने वाली त्रुटियों से बचा जा सके।

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