इन्सानियत ही गॉधीवाद: भदौरिया
सीधी।
गॉधी जी एवं शास्त्री जी की जयंती पर सव्यसॉची द्वारा संचालित जन शिक्षण संस्थान सभागार में दीप प्रज्वलित कर एवं उनके प्रिय भजन का गायन कर दोनो महान विभूतियों पर आयोजित संगोष्ठी का सुभारंभ किया गया।
इस मौके पर संस्थान के अध्यक्ष संजय भदौरिया ने कहा कि समाज को इन महान विभूतियों के सम्पूर्ण जीवन वृत्त का अनुसरण करते हुए वर्तमान में व्याप्त कुरूतियों जैसे समाजिक असमानता, छुआ-छूत हिन्सात्मक गतिविधियॉ, अनाचार आदि को त्याग कर एक सच्चा इन्सान बनने का प्रसास करना चाहिए सही मायने में यही गॉधीवाद है। सरलता और सौम्यता की शिक्षा देता शास्त्री जी का जीवन समाज को सादगीपूर्ण जीवन जीने की शिक्षा देता है।
इस अवसर पर संस्थान के निदेशक जय सिंह ने कहा कि गॉधी जी का स्वनिर्मित खादी वस्त्र को धारण करना आत्मनिर्भर भारत की दिशा में पहला कदम है। गॉधी जी का यह संदेश वर्तमान परिवेश में कौशल से कुशलता की ओर बढ़ते हुए प्रधानमंत्री के आत्मनिर्भर भारत की परिकल्पना को मूर्त रूप देने में निश्चय ही सहायक सिद्ध होगा।
कार्यक्रम में वरिष्ट लेखाकार आर.डी.वर्मा ने गॉधी जी के ग्राम स्वराज की परिकल्पना पर प्रकाश डाला।
आदिवासी कन्या शिक्षा परिसर सरेठी के प्राचार्य धर्मन्द्र सिंह ने अपने उद्बोधन में गॉधी जी के सिद्धान्तों को अपनाने पर बल दिया तथा विद्यार्थी पंचलक्षणम् की अवधारणा को विद्यालयों में अभ्यास कराये जाने की आवश्यकता बताया।
कार्यक्रम का संचालन करते हुए कार्यक्रम अधिकारी बृजेन्द्र सिंह ने कहा कि महात्मा गॉधी जी का जीवन इतने संदेशों से भरा हुआ तथा शिक्षा प्रद है कि वास्तव में यदि व्यक्ति इनका आत्मसात् कर अनुशरण करने का प्रयास करे तो वह सच्चे मायने में एक सम्पूर्ण समाजसेवी बन सकता है। संगोष्ठी में बृजेश सिंह, महेन्द्र सिंह, शोभा सिंह, शोभनाथ साहू, सतेन्द्र केवट, रविराज कोरी के अलावा संस्थान के अनुदेशक उपस्थित थे।
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