कोरोना वायरस: त्यौहारों के मद्देनजर जिला दण्डाधिकारी ने जारी किया प्रतिबंधात्मक आदेश
जिला दण्डाधिकारी एवं कलेक्टर IAS Karmveer Sharma ने कोरोना संक्रमण की रोकथाम एवं इससे आमजनों के स्वास्थ्य की सुरक्षा के उद्देश्य से भारत सरकार के गृह मंत्रालय एवं राज्य शासन मंत गृह विभाग के आदेशों के परिपालन में आने वाले त्यौहारों के मद्देनजर दण्डप्रक्रिया संहिता की धारा 144 (1) के तहत पूर्व में जारी प्रतिबंधात्मक में संशोधन किया है।
संशोधित आदेश के मुताबिक सभी धर्मों एवं संप्रदायों के आने वाले त्यौहारों के दौरान भी कोरोना संक्रमित घोषित कण्टेनमेंट क्षेत्र के दौरान लॉक डाउन यथावत जारी रहेगा। आदेश में धार्मिक कार्यक्रम एवं त्यौहारों के संस्था में विभिन्न सार्वजनिक स्थलों पर स्थापित की जाने वाली प्रतिमा एवं ताजियों की ऊंचाई पर पूर्व में लगाये गये प्रतिबंध को समाप्त कर दिया गया है। प्रतिमा एवं ताजिये के लिये पण्डाल का आकार अधिकतम 30 गुणा 45 फीट रखा जा सकेगा। समस्त पण्डाल निर्माता अथवा आयोजक को पण्डालों को लगाते समय यह देखना होगा कि संकुचित जगह पर पण्डाल स्थापित नहीं किये जाये जिससे श्रृद्धालुओं और दर्शकों की भीड़ एकत्रित न हो तथा फिजिकल डिस्टेंसिंग का पालन किया जा सके। आदेश में कहा गया है कि पण्डालों को लगाने के पूर्व आयोजकों के संबंधित क्षेत्र को अनुविभागीय दण्डाधिकारी की अनुमति लेना आवश्यक होगा।
प्रतिबंधात्मक आदेश के अनुसार प्रतिमाओं का विसर्जन आयोजन समितियों के द्वारा किया जायेगा। प्रतिमा को विसर्जन स्थान पर ले जाने के लिये दस व्यक्तियों के समूह को ही अनुमति होगी। यह अनुमति भी आयोजकों को अलग से संबंधित क्षेत्र के अनुविभागीय दण्डाधिकारी से लिखित में लेनी होगी। प्रतिमाओं का विसर्जन स्थानीय ग्रामीण एवं नगरीय निकायों द्वारा चिंहित कुण्डों अथवा स्थलों पर ही किया जा सकेगा।
प्रतिबंधात्मक आदेश में कहा गया है कि कोरोना संक्रमण को देखते हुये धार्मिक एवं सामाजिक आयोजनों के लिये चल समारोह व जुलूस निकालने की अनुमति नहीं होगी। प्रतिमाओं के विसर्जन के लिये भी सामूहिक चल समारोह नहीं निकाले जा सकेंगे। गरबा का आयोजन भी नहीं किया जा सकेगा। साथ ही ध्वनि विस्तारक यंत्र का इस्तेमाल करने के संबंध में माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा जारी की गई गाइड लाइन का पालन किया जाना अनिवार्य होगा।
जिला दण्डाधिकारी द्वारा जारी प्रतिबंधात्मक आदेश में खुले मैदान में सामाजिक, शैक्षणिक, खेल, मनोरजंन, सांस्कृतिक, मास्क, सोशल डिस्टेसिंग, सेनिटाइजिंग एवं थर्मल स्केनिंग की व्यवस्था के पालन करने की शर्त पर 100 से अधिक संख्या के जन-समूह के कार्यक्रमों के लिये अनुविभागीय दण्डाधिकारी से अनुमति प्राप्त करना होगी। उक्त कार्यक्रम कंटेनमेंट जोन में आयोजित नहीं हो सकेंगे। आयोजन के लिये कार्यक्रम की तिथि, समय, स्थान एवं संभावित संख्या का उल्लेख करते हुए लिखित में आवेदन करना होगा। अनुविभागीय दण्डाधिकारी आवेदन पर विचार कर अनुमति प्रदान करेगा, जिसमें संख्या एवं शर्तों के पालन की जिम्मेदारी आयोजकों की रहेगी। आयोजकों को कार्यक्रम की वीडियोग्राफी 48 घंटे में जिला प्रशासन को उपलब्ध कराना होगा। धार्मिक स्थलों पर मेलों के आयोजन प्रतिबंधित रहेंगे।
ऐसे धार्मिक स्थल, जहाँ श्रद्धालु बंद कक्ष अथवा हॉल में एकत्रित होते हैं, वहाँ अनुविभागीय दण्डाधिकारी द्वारा कुल उपलब्ध स्थान के आधार पर अधिकतम सीमा नियत की जा सकेगी। उपलब्ध स्थान पर श्रद्धालुओं के मध्य पूजा-अर्चना के दौरान भी दो गज की दूरी बनाये रखना जरूरी होगा। धार्मिक स्थल प्रबंधन को सुनिश्चित करना होगा कि कोविड-19 रोकथाम के लिये फेस मास्क की बाध्यता एवं सोशल डिस्टेंसिंग का पालन धर्मावलंबियों द्वारा अनिवार्य रूप से किया जाये।
प्रतिबंधात्मक आदेश में समस्त दुकानों को रात्रि 8 बजे तक ही खोलने संबंधी पूर्व में जारी आदेश को निरस्त कर दिया गया है। दुकानें, बाजार, मॉल अपने निर्धारित समय तक खुले रह सकेंगे।
प्रतिबंधात्मक आदेश में स्पष्ट कहा गया है कि सार्वजनिक स्थानों पर कोविड संक्रमण के बचाव के तारतम्य में सिनेमाघर, थियेटरों, मल्टीप्लेक्स, झांकियां, पंडालों, विसर्जन के आयोजनों, रामलीला तथा रावण दहन के सार्वजनिक कार्यक्रमों में श्रृद्धालु, दर्शक, व्यक्ति फेस कवर, फिजिकल डिस्टेंसिंग एवं सेनेटाईजर का प्रयोग के साथ ही राज्य शासन द्वारा समय-समय पर जारी किये गये एस.ओ.पी. एवं दिशा निर्देशों का कडाई से पालन सुनिश्चित किया जाये। दुकानों का निरंतर निरीक्षण कराया जायेगा। दुकान संचालकों से उपेक्षा है कि वह स्वयं मासक पहने तथा ग्राहकों के उपयोग के लिये सेनेटाईजर तथा फिजिकल डिस्टेंसिंग के लिये 6 फीट की दूरी पर घेरे बनाये। ऐसा नहीं करने वाले संचालकों के विरूद्ध नियमानुसार जुर्माना एवं अन्य दांडिक कार्यवाही की जायेगी।
जिला दण्डाधिकारी द्वारा जारी प्रतिबंधात्मक आदेश तत्काल प्रभाव से सम्पूर्ण जिले में लागू हो गया है। आदेश में इसका उल्लंघन करने पर आयोजनकर्ता अथवा व्यक्ति के विरूद्ध आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 की धारा 51 से 60 तक तथा भारतीय दण्ड संहिता की धारा 188 एवं अन्य सभी कानूनी प्रावधानों के तहत कार्यवाही की चेतावनी दी गई है।
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