डॉक्टर धनंजय से जानिए टिकाऊ खेती का प्रमुख आधार क्या है
वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख कृषि विज्ञान केन्द्र, ने जानकारी देकर बताया कि द्वारा भारत सरकार की गरीब कल्याण रोजगार अभियान योजनान्तर्गत प्रवासी कार्यकर्ताओ के कौशल में उत्थान के लिये कृषि विज्ञान केन्द्र, सीधी के प्रमुख एम.एस. बघेल के निर्देशन में डॉ. अलका सिंह, डॉ. धनंजय सिंह एवं अमृता तिवारी द्वारा ग्राम पंचायत देवरहा के अन्तर्गत ग्राम तेदुहा, देवरहा, बेलहा एवं पोखडौर में तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम दिनांक 28.09.2020 से 30.09.2020 तक केंचुआ खाद उत्पादन विषय पर 35 प्रवासी कार्यकर्ता भाग लिये। प्रशिक्षण में कृषि विज्ञान केन्द्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख महेन्द्र सिंह बघेल द्वारा केंचुआ खाद से आय प्राप्त करने के तौर तरीकों पर विस्तृत चर्चा की गई। उन्होने बताया कि यदि हम केंचुआ खाद का उत्पादन करेंगे तो केंचुआ खाद 7-10 रूपया प्रति किलोग्राम एवं केंचुआ 400-500 रूपया प्रति किलोग्राम बिक्री करके लाभ प्राप्त कर सकते है। केंचुआ खाद प्रयोग करने से हमारे फसलों में रोग एवं कीट का प्रकोप कम होता है तथा जो फसल उत्पाद प्राप्त होता है वह जैविक होता है जो हमारे शरीर के लिये लाभदायक होता है साथ ही यदि हम जैविक प्रमाणीकरण करा ले तो रासायनिक उत्पाद की अपेक्षा अधिक मूल्य पर बिक्री करके अधिक लाभ प्राप्त कर सकते हैं।
उक्त प्रशिक्षण में कृषि विज्ञान केन्द्र, सीधी के सस्य वैज्ञानिक एवं गरीब कल्याण रोजगार अभियान के नोडल अधिकारी डॉ. धनंजय सिंह द्वारा प्रवासी कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षण एवं प्रायोगिक प्रशिक्षण के माध्यम से केंचुआ खाद का महत्व एवं मृदा के स्वास्थ्य के लिये कैसे लाभदायक होता है इस विषय पर विस्तृत जानकारी दी गई बताया गया कि हम पूरे वर्ष कैसे एवं कम समय में उच्च गुणवत्ता वाली खाद तैयार कर सकते है। इस कार्यक्रम के माध्यम से केंंचुआ खाद का उत्पादन, स्थान का चुनाव, केंचुआ की प्रजाति का चुनाव एवं केंचुआ खाद बनाने के लिये क्या-क्या सावधानी होना चाहिये एवं इसके क्या-क्या लाभ है। इस विषय पर विस्तृत जानकारी दी गई और बताया कि गोबर खाद की तुलना में केंचुआ खाद में पोषक तत्व की मात्रा दोगुनी होती है एवं प्रवासी कामगीरो को रासायनिक खाद की जगह केंचुआ खाद का उपयोग करने की सलाह दी गई। प्रशिक्षण में आये प्रवासी कार्यकर्ताओ को केंचुआ खाद बनाने हेतु बैग में कैसे केंचुआ खाद बनाया जाता है इसका प्रदर्शन करके दिखाया गया जिससे आसानी से केंचुआ खाद बना सकें।
केंचुओ से बहुत सारे अप्रत्यक्ष लाभ होते है जैसे केंचुआ हमारी भूमि की जुताई का कार्य करता है इसके साथ ही साथ मिट़्टी में पोषक तत्वो की वृद्वि करता है। केंचुओ द्वारा जुताई के कारण मिट्टी में पानी शोखने की क्षमता बढ़ जाती है जिससे ओदी बहुत दिनो तक बनी रहती है। इन अप्रत्यक्ष लाभो के कारण ही केंचुआ किसान का मित्र कहा जाता है और इस मित्रता का प्रतिफल ही केचुआा खाद है। उक्त कार्यक्रम में उपस्थित कार्यक्रम सहायक अमृता तिवारी के द्वारा प्रवासी कार्यकर्ताओ को केंचुआ खाद बनाने के बारे में विस्तृत चर्चा की गई।
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