जानिए कोरोना स्पेशलिस्ट डॉक्टर अविनाश जान ने कोरोना के लक्षण एवं इससे बचने के क्या उपाय बताए
सीधी।
कोरोना वायरस का संक्रमण जिले में थमने का नाम नहीं ले रहा है। प्रदेश की सरकारों के साथ मिलकर केंद्र सरकार लगातार महामारी के खिलाफ लड़ाई लड़ रही है। देश के डॉक्टर, पुलिसकर्मी, सफाईकर्मी के साथ-साथ समाज के विभिन्न हिस्सों के लोग अनवरत अपना योगदान दे रहे हैं। इन कोरोना वारियर्स की सेवा के लिए भी अब लोग आने लगे हैं। इसी क्रम में डीसीएचसी में अपनी सेवाएं दे रहे कोरोना वायरस स्पेशलिस्ट डॉ अविनाश जान से कीर्तिप्रभा द्वारा खास बातचीत की गई। डॉ जान ने बताया कि अगर कोरोना के कोई भी लक्षण समझ में आते है तो सबसे पहले जांच करायें अपने हिसाब से दवाईयों का सेवन न करें। डॉ जान ने बताया कि कोरोना मरीज किसी व्यक्ति की उम्र, वायरस लोड और उसके लक्षणों के साथ ही डॉक्टर्स इस बात पर पूरा ध्यान देते हैं कि पेशंट की मेडिकल हिस्ट्री क्या है। यदि कोरोना संक्रमित व्यक्ति को पहले से ही कोई गंभीर बीमारी जैसे कि शुगर, हार्ट की समस्या, किडनी का रोग आदि हो तो ऐसे पेशंट्स को अत्यधिक निगरानी में रखा जाता है। वहीं जब कोरोना संक्रमित मरीज डीसीएचसी में एडमिट होता है तो उसके शरीर में ऑक्सीजन का स्तर चेक करते हैं, सीने का एक्स-रे कराते हैं और ब्लड टेस्ट के जरिए निमोनिया की जांच करते हैं। क्योंकि निमोनिया, माइल्ड और सीवियर कोविड-19 का प्रमुख लक्षण है। जिन मरीजों में निमोनिया, ऑक्सीजन स्तर कम और इंफेक्शन से जुड़े अन्य लक्षण बढ़े हुए दिखते हैं तो उन्हे ही बेंटिलेंटर पर रखते है ताकि उन्हें ऑक्सीजन दी जा सके। साथ ही जरूरत पडऩे पर उन्हें तुरंत इमरजेंसी ट्रीटमेंट मिल सके।
24* 7 केयर की सुविधा जरूरत पडऩे पर तत्काल पहुंच
कोरोना मरीजों के उपचार में लगे डॉ अविनाश जान ने बताया कि कोविड सेंटर में सभी तरह की सुविधाएं मरीजों को दी जा रही है। पर्याप्त ऑक्सीजन बेड, आईसीयू के साथ मरीजों की जांच और उनके देख-रेख की पूरी व्यवस्था 24 घंटे की है। डॉक्टर की निगरानी,उचित परामर्श, दवाइयां और समय पर भोजन उन्हें उपलब्ध कराया जा रहा है।
होम आइसोलेशन में रहने वाले मरीजों को सलाह
डॉ अविनाश जान ने होम आइसोलेशन वाले कोरोना रोगियों के ऑक्सीजन लेवल पर निगरानी बहुत जरूरी है। होम आइसोलेशन में रहने वालों को समय-समय पर ऑक्सीजन लेवल की जांच करते रहना चाहिए। ऑक्सीजन का स्तर 95 से अधिक है तो परेशान होने की कोई बात नहीं, लेकिन यह 90 से 94 के बीच पहुंचता है तो तुरंत कंट्रोल रूम या चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए। ऑक्सीजन लेवल नीचे आने से परेशानी बढ़ सकती है। होम आइसोलेशन की गाइडलाइन में स्पष्ट निर्देश है कि कोरोना का इलाज करा रहे और मरीजों की देखभाल करने वाले लोग नियमित रूप से अपने स्वास्थ्य पर नजर रखेंगे और कोई बदलाव महसूस होने पर डॉक्टर को बताएंगे। इसमें यह भी हिदायत है कि शरीर में ऑक्सीजन सेचुरेशन 95 प्रतिशत से कम हो या सांस लेने में कठिनाई महसूस होती है तो कंट्रोल रूम से संपर्क करना चाहिए ऐसा न करना घातक साबित हो सकता है। इसके अलावा सीने में लगातार दर्द व भारीपन होना,मानसिक भ्रम की स्थिति या बेहोशी, बोलने में दिक्कत, चेहरे या किसी अंग में कमजोरी और होंठों व चेहरे पर नीलापन आने की स्थिति में भी कंट्रोल रूम को या चिकित्सक को बताना जरूरी होगा। होम आइसोलेशन में रहने वाले बिना लक्षण वाले कोविड पॉजिटिव मरीजों को एक किट खरीद कर अपने पास रखनी होती है, जिसमें पल्स ऑक्सीमीटर, थर्मामीटर, मास्क, ग्लव्स, सोडियम हाइपोक्लोराइट सॉल्यूशन और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाली चीजें शामिल होती है। देखभाल करने वालों ,के लिए हाथों की सफाई और मास्क बहुत जरूरी है कोरोना के मरीज या उसके किसी वस्तु के संपर्क में आने के बाद हाथों की सफाई जरूर करें।
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