अटल बिहारी वाजपेयी : राजनीतिक कहानी
अटल बिहारी वाजपेई भारतीय जनता पार्टी के पूर्व प्रधानमंत्री थे बाजपेई जी का जन्म 25 दिसंबर 1926 को मध्य प्रदेश के ग्वालियर जिले में हुआ था इनके शिक्षा ग्वालियर एवं कानपुर में हुई इन्होंने भारत छोड़ो आंदोलन में भी भाग लिया था जनसंघ के संस्थापक सदस्य एवं कुशल राजनेता के अतिरिक्त साहित्य में भी रुचि रखते थे।
मेरी 52 कविताएं नामक काव्य संग्रह को संगीतबद्ध भी किया जा चुका है इसके अतिरिक्त कविराज की कुंडलियां मृत्यु अथवा हत्या अमर बलिदान आज उनकी प्रमुख कृतियां हैं 1980 से 1986 तक भारतीय जनता पार्टी के संस्थापक अध्यक्ष रहे। 1992 में भारत सरकार द्वारा पद्म भूषण की उपाधि से इन्हें अलंकृति भी किया गया था।
प्रधानमंत्री समय:- अटल बिहारी बाजपेई 16 मई 1996 को प्रथम बार प्रधानमंत्री बने परंतु 1 जून 1996 को त्यागपत्र दे दिया था 19 मार्च 1998 को दोबारा तथा 1999 से 2004 तक तीसरी बार भारत के प्रधानमंत्री बने। वे हिंदी कवि पत्रकार वे एक प्रखर प्रवक्ता थे। भारतीय जनसंघ के संस्थापकों में वैसे एक थे और 1968 se 1973 तक जनसंघ के संस्थापक भी थे उन्होंने लंबे समय तक राष्ट्रधर्म पंचजन्य वीर अर्जुन आदि राष्ट्रीय भावना से ओतप्रोत अनेक पत्र-पत्रिकाओं का संपादन भी किया।
अटल बिहारी वाजपेई चार दशकों से भारतीय संसद के सदस्य भी थे , निचले सदन, दस बार और दो बार राज्य सभा,ऊपरी सदन में चुने गए थे धोने लखनऊ के लिए संसद सदस्य के रूप में कार्य किया 2009 तक उत्तर प्रदेश जब स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं के कारण सक्रिय नीचे से बने हुए अपना जीवन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचार के रूप में आजीवन अविवाहित रहने का संकल्प लेकर प्रारंभ करने वाले बाजपेई राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार के पहले प्रधानमंत्री थे जिन्होंने गैर कांग्रेसी प्रधानमंत्री पद के 5 साल बिना किसी समस्या के पूरे किए।
2005 से वे राजनीति से संन्यास ले चुके थे और नई दिल्ली में 6a कृष्णा मेनन मार्ग स्थित सरकारी आवास में रहते थे 16 अगस्त 2018 को एक लंबी बीमारी के बाद अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान दिल्ली श्री वाजपेई जी का निधन हो गया। इन्हें 2015 में भारत रत्न से सम्मानित भी किया गया।
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