स्वभाव ऐसा हो कि शत्रु भी सामने आकर बदल जाये: राजनजी महराज

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स्वभाव ऐसा हो कि शत्रु भी सामने आकर बदल जाये: राजनजी महराज



स्वभाव ऐसा हो कि शत्रु भी सामने आकर बदल जाये: राजनजी महराज


सीधी। 
देश के प्रसिद्ध रामकथा वाचक पूज्य प्रेमभूषण महराज के कृपापात्र राजनजी महराज ने रामसीता विवाह के प्रथम सोपान धनुष यज्ञ तक की कथा सुनाकर सबको मंत्रमुग्ध कर दिया।
मंगलवार को रोली मेमोरियल में आयोजित तीन दिवसीय संगीतमय रामकथा में राजनजी महराज ने कथा के दूसरे राम सीता विवाह के धनुष यज्ञ तक कि कथा सुनाई। राजनजी महराज ने कहा कि हम सबको भगवान राम के स्वभाव से प्रेरणा लेनी चाहिए। जब भगवान श्रीराम के समक्ष क्रोधित परशुराम आये तो वो भी बदल गए। राजनजी महराज ने कहा कि हम जिस भावना से सामने वाले को प्रणाम करते हैं हमें उसी तरह का आशीर्वाद मिलता है। राजनजी महराज ने कहा कि हमें अपने बच्चों को अच्छे संस्कार देना चाहिए, उन्हें सबको प्रणाम करना सिखाना चाहिए इससे उन्हें सबका आशीर्वाद मिलता है। पूज्य प्रेमभूषण महराज के कृपापात्र राजनजी महराज ने कहा कि संत वो होता है जिसको देखने से भगवान की सुधि आ जाती है। संत का कोई वेशभूषा नहीं उसका तो स्वभाव होता है। उन्होंने कहा कि हमारा घर हमारा जीवन, विचार और व्यक्तित्व बताता है। इसलिए हमें अपना घर हमेशा शुद्ध रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि घर ऐसा हो कि संत का मन रम जाए। राजनजी महराज ने कहा कि आज ज्यादातर लोग भजन इसलिये करते है कि बगल वाला जान सके कि वो भगत है। यह भगवान के साथ छल कपट है। भगवान अपने भक्त का दोष नहीं देखते हैं। उन्होंने कहा कि जिसे कोई नहीं अपनाता उसे भगवान अपना लेते है। भगवान के पास चतुरंगिणी सेना थी पर उन्होंने भालू बंदरों को अपनाकर लंका विजय की। भगवान सबका उद्धार करते है। राजनजी महराज ने पुष्प वाटिका में राम सीता के मिलन के सुंदर दृश्य का वर्णन कर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। तीन दिवसीय रामकथा का समापन बुधवार को राम सीता विवाह के साथ सम्पन्न होगा।

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