अंतरराष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य दिवस 10 अक्टूबर पर विशेष,मानसिक रोगों को हल्के से नहीं लेंरू सी.एम.एच.ओ

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अंतरराष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य दिवस 10 अक्टूबर पर विशेष,मानसिक रोगों को हल्के से नहीं लेंरू सी.एम.एच.ओ

अंतरराष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य दिवस 10 अक्टूबर पर विशेष


मानसिक रोगों को हल्के से नहीं लेंरू सी.एम.एच.ओ.
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    अंतरराष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य दिवस 10 अक्टूबर पर जानकारी देते हुए मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी  डॉ. बी.एल मिश्रा ने बताया कि पूरी दुनिया में 10 अक्टूबर को अंतर्राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य दिवस के रूप में मनाया जाता है। बीसवीं शताब्दी के अंतिम चरण में डब्ल्यू एच ओ ने पूरे विश्व में माना कि संक्रामक संचारी रोगों पर क्रमशः नियंत्रण हो रहा है तथा असंचारी रोग और मानसिक रोग में वृद्धि हो रही है। भारतवर्ष में वर्ष 1982 में राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम की शुरुआत की गई। परिवारों व समाज में बढ़ती मानसिक समस्या को दृष्टिगत रखते हुए देश में वर्ष 1996 में जिला स्तरीय कार्यक्रम की शुरुआत हुई व अगले चरण में 2017 में मानसिक स्वास्थ देखभाल कानून की शुरुआत हुई।

   इस परिप्रेक्ष्य में विश्व स्वास्थ संगठन का उद्देश्य है कि लोगों को मानसिक स्वास्थ्य की देखभाल, संधारण व स्वास्थ्य प्रमोशन, विभिन्न प्रकार के मानसिक बीमारियों के लक्षण में लोगों के सोच में बदलाव हो जाता है। घबराहट, नींद ना आना, काम में मन न लगना, एकाकीपन पसंद करना, मित्रों परिवार जनों से दूरी बनाना, खाने में रुचि ना होना, मन में तरह तरह के विचार आना, एवं आत्महत्या के लिए बार-बार विचार आना आदि समस्याएं हो सकती हैं। वर्तमान समय में डिप्रेशन या अवसाद से बहुतायत में लोग ज्यादातर महिलाएं प्रभावित होते हैं। जिससे मस्तिष्क के अलावा पूरे शरीर में असर होता है। प्रमुख लक्षणों में मस्तिष्क के अतिरिक्त शरीर में थकावट, शीघ्र आहत होना, पीठ सर व शरीर में दर्द, मन दुखी होना, चिड़चिड़ापन, अपच रहना, व पेट में दर्द होना आदि समस्याएं हो सकती हैं। 

  डिप्रेशन के रोगियों को सलाह दी गयी है कि समय-समय में संतुलित आहार लें, स्वच्छ हवा में घूमे, धूप का सेवन करें, 8 घंटे भरपूर नींद लें, अपने पसंदीदा टीवी चौनल मात्र 1 घंटा देखें। रात में 10 बजे सोए तथा प्रातः 6बजे उठे, परिवारजनों और दोस्तों के बीच कुछ समय बिताएं, घरेलू व सामाजिक कार्यों में व्यस्त रहें, क्योंकि खाली दिमाग शैतान का घर होता है। देश में अनुमानित 48ः आबादी महिलाओं की है लेकिन हमारे यहां आधी आबादी के स्वास्थ्य के प्रति परिवार जन एवं महिलाएं भी उदासीन रहती हैं। महिलाओं में बीमारी का मुख्य कारण है अनमेल विवाह, आर्थिक तंगी, अपने आप को कम सुंदर आंकना, घरेलू हिंसा, कार्यस्थल में सुविधाएं ना होना, कई बार समस्या इतनी विकराल हो जाती है कि महिलाएं आत्महत्या हेतु विवश हो जाती हैं। डब्ल्यू एच ओ द्वारा सर्वे अनुसार हर 6 लोगों में 1 डिप्रेशन का शिकार होता है व हर दिन 706 लोग आत्महत्या कर लेते हैं। महिलाओं में अनियमित माहवारी, बार-बार गर्भावस्था, व माहवारी  बंद होने के समय डिप्रेशन की समस्या बढ़ जाती है। मानसिक रोग का दुखद पहलू यह भी है कि रोगी कई बार आत्महत्या हेतु विवश हो जाते हैं। देश में हर 4 मिनट में एक व्यक्ति आत्महत्या करता है जो चिंता का विषय है। आत्महत्या के प्रमुख कारण है गरीबी, असफल प्रेम व्यवसाय, कृषि में नुकसान बेरोजगारी परिवार जनों से तालमेल न होना। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार देश में 23 लाख लोगों के मानसिक स्वास्थ्य परीक्षण की जरूरत है देश में 130 करोड़ लोग हेतु मात्र 5000 मानसिक चिकित्सक है। बहुतायत में हर जिला अस्पताल में एक मनोरोग चिकित्सक का अभाव है। यद्यपि हर जिला अस्पताल के एनसीडी क्लीनिक में रोगियों की जांच और इलाज तथा आवश्यकता पड़ने पर जटिल रोगियों को मेडिकल कालेज में रेफर करने की व्यवस्था है। सभी आमजन से अपील है कि मानसिक रोग को हल्के से ना लें संचित इलाज कराएं व झाड़-फूंक टोना, जादू, एवं नशे से बचे रहे।

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