सीधी।। अमानक उर्वरक बिक्री एवं उर्वरक की कालाबाजारी करने वाले दो उर्वरक विक्रेताओं का लायसेंस किया गया निलंबित
सीधी।
उपसंचालक किसान कल्याण एवं कृषि विकास सीधी डॉ. राजेश सिंह चौहान द्वारा आदेश जारी विक्रेता में. रमेश खाद भण्डार प्रो. सुखेन्द्र कुमार गुप्ता कुचवाही विकासखण्ड सिहावल के उर्वरक पंजीयन प्रमाण पत्र (लायसेंस) क्रमांक आरएस/462/1401/16/2018 (दिनांक 31.03.2021 तक वैध) को एवं मेसर्स शिवेन्द्र कुमार मिश्रा पथरौला विकासखण्ड मझौली जिला सीधी उर्वरक पंजीयन क्रमांक आरएस/462/1404/23/2019 (दिनांक 01.07.2022 तक वैध) को तत्काल प्रभाव से निरस्त किया गया है। उपरोक्त विक्रेता/फर्म के द्वारा किसी प्रकार के उर्वरक का क्रय-विक्रय, भण्डारण एवं परिवहन नहीं किया जायेगा अन्यथा की स्थिति में विक्रेता स्वयं जिम्मेदार होगा।
डॉ. चौहान ने बताया कि उर्वरक गुण नियंत्रण कार्यक्रम वर्ष 2020-21 के अन्तर्गत में. रमेश खाद भण्डार प्रो. सुखेन्द्र कुमार गुप्ता कुचवाही विकासखण्ड सिहावल के उर्वरक विक्रय प्रतिष्ठान से दिनांक 28.07.2020 को उर्वरक एन.एफ.एल. कम्पनी 18ः46 कोड नम्बर एनपीएस-15 का नमूना प्राप्त कर उर्वरक गुण नियंत्रण परीक्षण प्रयोगशाला जबलपुर से परीक्षण कराये जाने पर उर्वरक नमूने का परिणाम अमानक पाये जाने के कारण कार्यालयीन पत्र द्वारा विक्रेता को कारण दर्शी सूचना पत्र जारी कर कथित अमानक उर्वरक नमूना के संबंध में 15 दिवस के अन्दर तर्क संगत जबाव उचित माध्यम से चाहा गया था, विक्रेता का प्राप्त जबाव एवं जानकारी सन्तोषजनक नहीं पाये जाने के कारण उर्वरक नियंत्रण आदेश 1985 के खण्ड 31 में प्रदत्त शक्तियों को उपयोग में लाते हुए उर्वरक को तत्काल प्रभाव से निरस्त किया गया है।
उपसंचालक ने बताया कि कलेक्टर सीधी के लॉगिन पासवर्ड से दिनांक 01.04.2020 से 31.07.2020 तक टाप 20 यूरिया बायर की प्राप्त सूची अनुसार उर्वरक विक्रेता मेसर्स शिवेन्द्र कुमार मिश्रा पथरोला विकासखण्ड मझौली जिला सीधी के द्वारा दिनांक 29.04.2020 को प्रतिभा गुप्ता एवं रामखेलावन गुप्ता ग्राम पथरौला को 200-200 बैग यूरिया का अनियमित रूप से वितरण करते हुए कालाबाजारी की गई जिससे उर्वरक नियंत्रण आदेश 1985 एवं आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 में निहित प्रावधानों का उल्लंघन पाये जाने पर कार्यालयीन पत्र दिनांक 25.08.2020 द्वारा उक्त विक्रेता को कारण बताओं सूचना जारी कर 03 दिवस के अन्दर उचित माध्यम से तर्कसंगत एवं समाधानकारक जबाव चाहा गया जिस पर विक्रेता द्वारा निर्देशों की अवहेलना करते हुए न तो कोई लिखित जबाव दिया गया न ही अपने बचाव पक्ष में कोई कथनध्बयान प्रस्तुत किया गया। उक्त कृत्य के कारण उर्वरक नियंत्रण आदेश 1985 के खण्ड 28 (ग) एवं आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 की धारा 3ध्7 का उल्लंघन पाये जाने पर उर्वरक आदेश 1985 के खण्ड 31 में प्रदत्त शक्तियों को उपयोग में लाते हुए विक्रेता का लायसेंस प्रभाव से निरस्त किया गया है।
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