चिकित्सकीय लापरवाही का दिखा नंगा नाच ,स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही से कोरोना संक्रमित युवक की मौत
चिकित्सकीय लापरवाही का दिखा नंगा नाच
5 घंटे तक एंबुलेंस ना पहुंचने से कोरोना संक्रमित की मौत
(✍️आर.बी. सिंह राज)सीधी।
कोरोना संक्रमण को लेकर सीधी जिले का स्वास्थ्य विभाग अपने लापरवाही की सभी हदें पार कर चुका है और कल रात इसी का एक दिल दहला देने वाला परिणाम भी सामने देखने को मिला। रीवा के लिए रेफर होने के उपरांत 5 घंटे तक एंबुलेंस उपलब्ध ना हो पाने के कारण एक युवा व्यवसाई की तड़प-तड़प कर मौत हो गई।
एंबुलेंस की देरी से गई जान:-
सीधी जिले के स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही कल खुलकर सामने आई और कोरोना संक्रमित मरीजों को लेकर जो आरोप जिले के स्वास्थ्य हमले पर लगाए जाते थे वो पूरी तरह सामने आ गए।
जिस कोरोना संक्रमित एक मरीज को कल मंगलवार की शाम तकरीबन 6 बजे रीवा के लिए रेफर किया गया था उसके परिजनों को रात 11 बजे तक एंबुलेंस के इंतजार में अपने मरीज को तिल-तिल कर मरते हुए देखना पड़ा।
क्या है पूरा मामला:-
उल्लेखनीय है कि सीधी शहर के जिला न्यायालय के बगल में स्थित शॉपिंग कंपलेक्स में प्रेम स्वीट्स के बगल में प्रकाश कंप्यूटर की दुकान के संचालक 40 वर्षीय निशांत प्रकाश श्रीवास्तव जो रिटायर्ड प्राचार्य वेद प्रकाश श्रीवास्तव के सुपुत्र थे उन्हें 21 सितंबर को कोरोना पॉजिटिव पाए जाने पर जिला अस्पताल परिसर के आइसोलेशन वार्ड में कल 22 सितंबर को सुबह 8 बजे भर्ती कराया गया था।
रीवा के लिए किया रेफर:-
निशांत प्रकाश श्रीवास्तव की तबीयत कल मंगलवार को अचानक ज्यादा खराब होने के कारण उन्हें शाम तकरीबन 6 बजे आइसोलेशन वार्ड के प्रभारी डॉ. जान ने रीवा के लिए रेफर कर दिया था।
5 घंटे तक हुआ एंबुलेंस का इंतजार--
रीवा के लिए रेफर होने के उपरांत निशांत प्रकाश श्रीवास्तव के परिजन बेसब्री के साथ एंबुलेंस का इंतजार करने लगे पर जिले की चिकित्सा सेवाओं का आलम यह रहा कि 5 घंटे बाद भी रात 11 बजे तक उन्हें एंबुलेंस उपलब्ध नहीं हो सकी। इस दौरान लगातार कोरोना पेशेंट निशांत की तबीयत खराब होती चली गई और रात 11 के उपरांत जब एंबुलेंस वाहन आइसोलेशन सेंटर में पहुंचा तो आनन-फानन मरीज को उस में शिफ्ट किया जाने लगा।
स्वास्थ्य अमले ने पार की सारी हदें:-
इस दौरान एक बेहद शर्मनाक और लापरवाह घटना यह भी घटी की आइसोलेशन वार्ड में उपस्थित स्वास्थ्य कर्मियों ने कोरोना पेशेंट निशांत प्रकाश के स्ट्रेचर को अपने स्वास्थ्य अमले द्वारा एंबुलेंस वाहन तक भेजने के बजाय मड़रिया स्कूल में शिक्षक उनके बड़े भाई नमीश प्रकाश श्रीवास्तव जो हैवी डायबिटिक हैं उन्हें बिना पीपीई किट पहनाए ही सिर्फ हैंड ग्लब्स पहनाकर उनसे स्ट्रेचर उठवाकर एंबुलेंस में शिफ्ट किया गया।
परिजनों ने घर से बुलाया डॉक्टर को:-
इन सारी वेदनापूर्ण विषम परिस्थितियों को झेल रहे परिजनों ने अंततः फिर से आइसोलेशन वार्ड के प्रभारी डॉ. जान को उनके बंगले से विनती करके आइसोलेशन सेंटर में बुलवाया जिन्होंने वहां पहुंचते ही एंबुलेंस में शिफ्ट किए गए कोरोना पेशेंट निशांत प्रकाश श्रीवास्तव को देखते ही मृत घोषित कर दिया।
अभी भी एंबुलेंस में रखा है शव:-
इस चिकित्सकीय लापरवाही से हुई मौत के उपरांत निशांत प्रकाश श्रीवास्तव के शव को एंबुलेंस में ही पीपीई किट बनाकर इस वक्त समाचार लिखे जाने तक अभी रखा गया है।
सुबह 9 बजे परिजनों को बुलाया:-
परिजनों ने एक अखबार के पत्रकार को बताया कि उन्हें सुबह 9 बजे बुलाया गया है। डॉक्टरों ने कहा है कि 9 बजे जब प्रशासनिक अधिकारी एसडीएम आएंगे उसके बाद ही यह तय हो पाएगा कि कोरोना के शिकार हुए निशांत प्रकाश श्रीवास्तव के शव को उनके परिजनों को सौंपा जाएगा या उसका अंतिम संस्कार प्रशासनिक स्तर पर किया जावेगा।
इस मौत का जिम्मेदार कौन...?
यहां ये खून खोला देने वाला बेहद गंभीर आरोप स्वास्थ्य विभाग पर है कि-
इस पूरे घटनाक्रम में 5 घंटे के विलंब से आई एंबुलेंस के लिए दोषी कौन है ?
क्या जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग इस पूरे लापरवाही को लेकर किसी अधिकारी या कर्मचारी पर जिम्मेवारी फिक्स करेगा?
अब देखना बाकी ये है कि जिला कलेक्टर ऐसे लापरवाह मामले में इस मौत के दोषी अधिकारियों और कर्मचारियों पर क्या कार्यवाही करते हैं?
स्वास्थ्य विभाग की प्रशासनिक लापरवाही की वजह से एक युवक की बेवजह जान जाना सीधी जिले के लोगों की भावनाओं को शर्मसार और दुखी करता है।
इस संक्रमण के दौर में ऐसी घटनाएं जिले भर के लोगों में स्वास्थ्य विभाग की विश्वसनीयता को लेकर एक दहशत पैदा करती हैं।
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