मानवता ही धर्म - नीलू की लिखी कविता ,जानिए कौन हैं नीलू गुप्ता

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मानवता ही धर्म - नीलू की लिखी कविता ,जानिए कौन हैं नीलू गुप्ता



मानवता ही धर्म -  नीलू की लिखी कविता,जानिए कौन हैं नीलू गुप्ता



देश वह कितना सुन्दर होता
जहां राम रहीम का भेद न होता,
हिन्दू रहीम के द्वारे जाते
और मुस्लिम राम को सगा बताते।
गीता हमारा कभी वे पढ़ लेते
कुरान अपना कभी हमें पढ़ाते,
मंदिर के दर्शन वे करते
मस्जिद कभी हम घूम आते।
ईद और बकरीद हम भी मनाते
दीवाली, होली पर उनकी शुभकामना पाते,
अल्लाह को हम भी याद कर लेते
भगवान को वे दिल में बसा लेते।
सेवइयां उनकी हम प्यार से खाते
प्रसाद अपना फिर उनमें बांट लेते,
पर्व उनके हो, तो खुश हम होते
हमारी खुशी में शामिल उन्हें करते।
जाति - पाति का भेद न होता
सुख - शांति को सभी अपनाते,
मजहब की हर दीवार तोड़कर
मानवता को अपना धर्म बनाते।



 इनका परिचय:-

नाम नीलू गुप्ता, पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी की निवासी हैं । पेशे से  एक शिक्षिका हैं। सिलीगुड़ी महाविद्यालय से स्नातक की परीक्षा पास कर चुकी हैं, इसमें इन्हें स्वर्ण-पदक (फर्स्ट क्लास फर्स्ट) मिला था। नॉर्थ बंगाल यूनिवर्सिटी से हिंदी विषय में स्नातकोत्तर किया है, इसमें भी  स्वर्ण-पदक (फर्स्ट क्लास फर्स्ट) की प्राप्ति हुई। महर्षि दयानन्द युनिवर्सिटी  बी. एड की है। इंदिरा गांधी ओपन यूनिवर्सिटी से पी. जी. डी. टी भी किया है। अध्ययन-काल से साहित्य में रुचि रखने के कारण कविताएं, कहानियां और आलोचना लिखने का शौक है। देश-भर की कई पत्र-पत्रिकाओं और समाचार पत्र में भी रचनाएं प्रकाशित होती रहती है। काव्य-पाठ करना, काव्य-गोष्ठी में भाग लेना, नई-नई किताबें पढ़ना, मंच संचालन करना और सामाजिक कार्यों में भागीदारी प्रदर्शित करना मुझे पसंद है। साथ ही साहित्यिक एवं सामाजिक गतिविधियों में हिस्सेदारी के कारण कई सम्मान पत्र भी प्राप्त हुए है। 

√ कोरोना वॉरियर: बुलंद वाणी मीडिया ग्रुप
√ कोरोना योद्धा: अखिल भारतीय क्षत्रिय सेना 
√ कोरोना योद्धा: संभव फाउंडेशन
√ लक्ष्यभेद श्रम सेवी सम्मान, 2020
√ सृष्टि रक्षक सम्मान, पितृ भक्त सम्मान आदि।।

प्रकाशित काव्य-संग्रह:

1) एकल काव्य-संग्रह "लॉकडाउन दीवारों का विचारों का नहीं" (प्रथम खंड) 
2) एकल काव्य-संग्रह "लॉकडाउन दीवारों का, विचारों का नहीं" (द्वितीय खंड)
3) एकल काव्य-संग्रह "पन्नों में सिमटी जिंदगी" (प्रथम खंड)
4) साझा काव्य-संग्रह "हाँ ! मैं मजदूर हूँ" 
5) साझा काव्य-संग्रह "बेटियां"
6) साझा काव्य-संग्रह "पिता का संघर्ष"

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