अवेयरनेस, अडापटेबिलिटी और एटीट्यूड से इण्डस्ट्री एकेडमी संकट को बदला जा सकता है,टीचर्स की इण्डस्ट्रियल ट्रेनिंग होगी शुरू
भोपाल।
औद्योगिक संस्थानों को प्रदेश के तकनीकी शिक्षण संस्थानों, आईटीआई तथा पॉलीटेक्निक कॉलेजों में कौन-से रोजगारोन्मुखी पाठ्यक्रम को संचालित किया जाना चाहिये, प्रशिक्षण इंटर्नशिप तथा प्लेसमेंट में उद्योगों की भागीदारी जैसे विषयों पर तकनीकी शिक्षा, कौशल विकास मंत्री श्रीमती यशोधरा राजे सिंधिया की अध्यक्षता में वेबिनार के माध्यम से एक दिवसीय 'इण्डस्ट्रियल अकादमिया'' कार्यशाला आयोजित की गई।
राजीव गाँधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में आयोजित इस कार्यशाला में सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्री श्री ओमप्रकाश सखलेचा, प्रमुख सचिव तकनीकी शिक्षा श्रीमती केरोलिन खोंगवार देशमुख, आयुक्त तकनीकी शिक्षा श्री पी. नरहरि, संचालक कौशल विकास श्री एस. धनराजू, ग्लोबल स्किल पार्क के प्रोजेक्ट डायरेक्टर श्री हरजिन्दर सिंह सहित विभिन्न उद्योगों के प्रमुख उपस्थित थे।
सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्री श्री ओमप्रकाश सखलेचा ने कहा कि यह 'इण्डस्ट्री अकादमिया'' कार्यशाला आने वाली पीढ़ी को विशिष्ट दिशा देगी। श्री सखलेचा ने कहा कि पूरी दुनिया में शिक्षा प्रणाली में परिवर्तन आया है।
प्रतिस्पर्धा के कारण अब इंडस्ट्री भी ऐसे योग्य बच्चों को चाहती है, जिन्होंने उनके उद्योग के ट्रेड में महारत हासिल की हो। उन्होंने कहा कि हर तकनीकी शिक्षण संस्थान में प्लेसमेंट और रिटेशन की जानकारी वेबसाइट पर उपलब्ध होनी चाहिये। साथ ही वेबसाइट पर यह जानकारी भी होनी चाहिये कि संबंधित कॉलेज के लगातार 3 वर्षों में कितने बच्चों को उद्योग संस्थानों में प्लेसमेंट मिला, क्या वे स्व-रोजगार करते हैं तथा कितने ऐसे विद्यार्थी हैं, जो पासआउट होने के बाद बेरोजगार हैं।
इण्डस्ट्री अकादमिया कार्यशाला में चार सत्रों में विभिन्न विषयों पर चर्चा की गई। प्रशिक्षण, इंटर्नशिप तथा प्लेसमेंट पर चर्चा करते हुए प्रमुख सचिव श्रीमती केरोलिन खोंगवार ने कहा कि आईटीआई एवं पॉलीटेक्निक संस्थानों का मूल्यांकन आवश्यक है। सभी संस्थानों का मूल्यांकन किया जायेगा, जिससे यह जानकारी मिल सकेगी कि किन कारणों से सीट खाली रहती हैं, क्या पाठ्यक्रम की कमी है या फैकल्टी की। तकनीकी पाठ्यक्रमों के साथ अन्य प्रासंगिक कौशल शिक्षा को भी जोड़ा जाना आवश्यक है।
आयुक्त तकनीकी शिक्षा श्री पी. नरहरि ने कहा कि वर्तमान में उद्योगों को आवश्यकतानुसार पाठ्यक्रम, छात्रों को किस तरह से उद्योगों में प्लेसमंट मिले, कैसे इस कमी को पूरा किया जा सकता है, ऐसी नीति तैयार की जानी चाहिये। उन्होंने कहा कि पीएचडी छात्रों की औद्योगिक संस्थानों में क्या उपयोगिता हो सकती है, इस पर भी काम करना होगा। श्री नरहरि ने कहा कि औद्योगिक संस्थाएँ नई शिक्षा नीति को अपने संदर्भ में कितना महत्वपूर्ण मानती है और उससे क्या उम्मीद रखती है, पर भी चर्चा आवश्यक है।
आरजीपीवी के कुलपति श्री सुनील कुमार गुप्ता ने कहा कि इस कार्यशाला से साथ इंटर्नशिप, टीचर्स के लिये औद्योगिक प्रशिक्षण, लचीला पाठ्यक्रम, उद्योग संस्थानों के प्रतिनिधियों का शैक्षणिक संस्थानों में प्रशिक्षकों के रूप में ज्यादा से ज्यादा अवसर, नवाचार के लिये सार्थक अनुसंधान, रिस्क फंडिंग आदि विषयों पर तकनीकी शिक्षा विभाग एवं आरजीपीवी संयुक्त रूप से कार्य करेगा।
सुझाव:-
स्कूल ऑफ प्लानिंग एवं ऑर्किटेक्चर के चेयरमेन श्री अमोग गुप्ता ने पाठ्यक्रम में प्रशिक्षण अवधि को बढ़ाया जाए।
एमपीसीएसटी के डीजी श्री अनिल कोठारी ने कहा कि एमएसएमई के जीविता के लिये रिसर्च एवं डेवलपमेंट को बढ़ावा देना आवश्यक।
मध्यप्रदेश स्किल डेवलेपमेंट प्रोजेक्ट के प्रोजेक्ट डायरेक्टर श्री हरजिन्दर सिंह ने कहा कि मार्केटिंग एवं आउटरीच रणनीति पर कार्य करना आवश्यक है।
आईईएस ग्रुप के अध्यक्ष श्री बी.एस. यादव ने माइक्रो मैनेजमेंट की जरूरत पर जोर दिया।
क्रिस्प के चीफ मार्केटिंग अधिकारी श्री राजेश माहेश्वरी ने सुझाव दिया कि इंजीनियरिंग कॉलेजों में उत्पादन सुविधा की व्यवस्था भी होनी चाहिये।
सागर ग्रुप के श्री सिद्धार्थ अग्रवाल ने कहा कि जवाबदेही तय करना आवश्यक, नई तकनीकों से टीचर्स कितने वाकिफ हैं, इसका मूल्यांकन होना चाहिये।
अनन्या पैकेजिंग के एमडी श्री राजीव अग्रवाल ने कहा कि शिक्षा प्रणाली लचीली होनी चाहिये।
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