एटीएम कैश कांड: गबन मामले का पूरा रहस्य अभी भी बाकी, करोड़ों रुपये का सुराग लगाने में जुटी पुलिस
(✍️आर.बी.सिंह,राज)सीधी।
एटीएम में नगदी डालने की जिम्मेदारी लेने वाली सीएमएस कंपनी के कर्मचारियों द्वारा करोड़ों के किए गए गबन के मामले में सिटी कोतवाली पुलिस अभी भी इस मामले में पूरी तरह इस रहस्य के पर्दे को उठाने में जुटी हुई है। हाल ही में करीब 39 लाख रुपये लेकर भागने वाले दो कर्मचारियों की गिरफ्तारी के बाद भी पुलिस अभी तक कुछ भी नगदी जब्त नहीं कर पाई है। सूत्रों के मुताबिक दोनों गिरफ्तार कर्मचारी पूंछतांछ में पुलिस को अभी तक गुमराह कर रहे हैं।
उधर जिला मुख्यालय के संबंधित बैंकर्स भी एटीएम में डालने के लिए दी गयी नगदी का लेखा जोखा करने में लगे हुए हैं। अभी तक मात्र 8 एटीएम की ऑडिट होने की बात सामने आ रही है। दो एटीएम की ऑडिट तकनीकी कारणों से अभी तक नहीं हो सकी है। 8 एटीएम की ऑडिट में ही 1 करोड 68 लाख 21 हजार 9 सौ रुपए का घोटाला सामने आया है। यदि दो अन्य एटीएम की ऑडिट का कार्य भी पूर्ण हो जाय तो घोटाले की राशि करीब दो करोड़ तक पहुंच जाएगी।
बैंक के सूत्रों की मानें तो ये 39 लाख का घोटाला मात्र 4 सितंबर का है। 3 सितंबर को भी कैश में गड़बड़ी की आशंका जताई जा रही है। हालांकि बैंक के द्वारा यह भी बात सामने आ रही है कि 10 जनवरी के बाद से अभी तक एटीएम्स में डाले गये कैश की ऑडिट नहीं हो पाई है। 8 माह की ऑडिट के बाद कंपनी के द्वारा कितना-कितना खयानत किया गया है इसका खुलासा हो पाएगा।
और भी कर्मचारियों के शामिल होने की आशंका:-
वहीं जानकार सूत्रों का कहना है कि एटीएम में नोट डालने के नाम पर करोडों के हुए घोटाले में महज दो कर्मचारी शामिल नहीं हैं। 10 जनवरी 20 के बाद एटीएम्स में डाली गयी राशि की ऑडिट बैंक प्रबंधकों द्वारा न करनें से उनकी भी बड़ी लापरवाही सामने आ रही है। बैंकों द्वारा अपनी लापरवाही को स्वीकार नहीं किया जा रहा है। तत्संबंध में एलडीएम गिरधारीलाल दोई का कहना है कि एटीएम में नोट डालनें को लेकर गबन का जो मामला सामने आया है उसमें पूरी जिम्मेदारी नोट डालनें वाली कंपनी का है। इसमें बैंक के किसी अधिकारी एवं कर्मचारी की कोई भूमिका नहीं है। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि 10 जनवरी 2020 के बाद एटीएम में डालनें के लिए जो नोट बैंकों द्वारा दिए गए हैं उसके खर्च के संबंध में बैंक प्रबंधकों द्वारा ऑडिट करना क्यों जरूरी नहीं समझा गया? जबकि बैंकों द्वारा महीनें के अंत में अपनें लेनदेन का पूरा व्यौरा तैयार किया जाता है। पुलिस की विवेचना में अभी तक इस मामले के रहस्य का पर्दा नहीं उठ सका है।
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