डॉ. धनंजय सिंह से जानिए मशरूम कितना है लाभकारी क्या हो सकते हैं फायदे
सीधी।
वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं कृषि विज्ञान केन्द्र सीधी ने जानकारी देकर बताया है कि गरीब कल्याण रोजगार अभियान योजनान्तर्गत प्रवासी कार्यकर्ताओं के कौशल में उत्थान के लिये कृषि विज्ञान केन्द्र, सीधी के प्रमुख एम.एस. बघेल के निर्देशन में डॉ. अलका सिंह, डॉ. धनंजय सिंह एवं अमृता तिवारी द्वारा कोष्ठा कोठार पंचायत के अन्तर्गत ग्राम सुंदरी, मिसिरगवॉ, तिवरिगवॉ एवं कोष्ठा कोठार में तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम दिनांक 15.09.2020 से 17.09.2020 तक मशरूम उत्पादन विषय पर 35 प्रवासी कार्यकर्ताओं को दिया गया। उक्त प्रशिक्षण में कृषि विज्ञान केन्द्र, सीधी के सस्य वैज्ञानिक एवं गरीब कल्याण रोजगार अभियान के नोडल अधिकारी डॉ. धनंजय सिंह द्वारा प्रवासी कार्यकर्ताओं को मशरूम उत्पादन के लाभ के बारे में बताया गया यदि मशरूम का उत्पादन वैज्ञानिक पद्वति के अनुसार किया जाय तो अवश्य ही स्वरोजगार प्राप्ति का एक अच्छा साधन हो सकता है।
आज विश्व में मशरूम की 2000 के करीब प्रजातियॉ पायी जाती है विश्व में 2-3 किलोग्राम प्रति व्यक्ति प्रति वर्ष मशरूम का उपयोग करता है जब कि हमारे देश में केवल 80 ग्राम मशरूम प्रति व्यक्ति प्रति वर्ष उपयोग करता है। इसे देखते हुये ऐसा प्रतीत होता है कि हमारे देश में मशरूम उत्पादन एवं उपयोग में आपार सम्भावनायें है। साथ ही कृषि से संबंधित समस्याओ का निवारण किया गया। कृषि विज्ञान केन्द्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख महेन्द्र सिंह बघेल द्वारा बताया गया कि मशरूम की खेती को छोटी जगह में कम लागत में शुरू किया जा सकता है। मशरूम का उत्पादन कर ग्रामीण अंचल के युवा एवं युवतियॉ स्वरोजगार प्राप्त कर सकते है। वर्तमान में संयुक्त राष्ट्र के फूड एवं एग्रीकल्चर संगठन के विकासशील देशो की बढती हुई जनसंख्या के लिये मशरूम को संम्पूरक आहार के तौर पर उपयोग करने की सिफारिश की गई है क्योकि मशरूम कुपोषण को दूर करने के साथ-साथ शारीरिक रोग प्रतिरोधक क्षमता बढाने में भी उपयोगी है। मशरूम एक प्रकार का फफूॅद होता है जो प्रायः वर्षा ऋतु में मिट्टी या पौधो के सड़ी गली पत्तियो से छतरी नुमा आकार के सफेद लाल और पीले विभिन्न रंगो के घरो के आस-पास दिखाई देते है जिन्हे हम मशरूम या खुंभ कहते है मशरूम में प्रोटीन, विटामिन एवं खनिज लवण पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है तथा विभिन्न प्रकार के मशरूमो का उपयोग दवा के रूप में हो रहा है। कैंसर प्रतिरोधी क्षमता, खून में कोलेस्ट्राल कम करने की क्षमता, खून में सुगर कम करने की क्षमता, रक्त चॉप कम करने का गुण के साथ-साथ बहुत औषधीय गुण होते है। मशरूम उत्पादन हेतु स्पॉन एवं गेहॅू के भूसे के साथ पॉली बैग भरने के तौर तरीको का प्रायोगिक प्रदर्शन करके दिखाया गया। मशरूम से विभिन्न प्रकार के व्यंजन जैसे सूप, पकोड़ा, कटलेट, मैक्रोनी, कोक्ता, आचार, एवं शिशु आहार जैसे व्यंजन बनाये जा सकते है। इस तरह से मशरूम उत्पादन में स्वरोजगार की अपार सम्भावनायें है। प्रशिक्षण कार्यक्रम में कोष्ठा कोठार ग्राम पंचायत के सरपंच रमेश प्रसाद एवं सचिव सुरेश प्रताप सिंह उपस्थित रहे।
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