नई शिक्षा नीति भारत को देगी नई दिशा - प्रधानमंत्री, इस बात पर दिया जाएगा जोर
नई शिक्षा नीति मील का पत्थर साबित होगी - स्कूल शिक्षा मंत्री श्री परमार
भोपाल।
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने ऑनलाइन नई शिक्षा नीति के तहत 'स्कूल एजुकेशन इन 21 फर्स्ट सेंचुरी'' कॉन्क्लेव में पूरे देश के शिक्षा मंत्रियों एवं शिक्षकों को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 21वीं सदी के भारत को नई दिशा देने वाली साबित होगी।
प्रधानमंत्री श्री मोदी ने कहा कि पिछले तीन दशकों में दुनिया के हर क्षेत्र में बदलाव आया है। हर व्यवस्था बदल गई। इन तीन दशकों में हमारे जीवन का शायद ही कोई पक्ष ऐसा होगा, जिसमें बदलाव नहीं आया हो। लेकिन वो मार्ग, जिस पर चलते हुए समाज भविष्य की तरफ बढ़ता है, वो हमारी शिक्षा व्यवस्था है, वो अब भी पुराने ढर्रे पर ही चल रही थी। पुरानी शिक्षा व्यवस्था में बदलाव करना अत्यावश्यक हो गया था।
बच्चों को प्रेक्टिकल शिक्षा से जोड़ें
प्रधानमंत्री श्री मोदी ने कहा कि शिक्षक खुद अपने हिसाब से लर्निंग मटेरियल तैयार करें, बच्चे अपना टॉय म्यूजियम बनाएं, पालकों को जोड़ने के लिए स्कूल में कम्यूनिटी लाइब्रेरी हो, तस्वीरों के साथ बहुभाषायी शब्दकोष हो, स्कूल में भी किचन गार्डन हो, ऐसे कितने ही विषयों पर बात हुई है, अनेक नए सुझाव दिए गए हैं। मुझे खुशी है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू करने के इस अभियान में हमारे प्रिंसिपल्स और शिक्षक पूरे उत्साह से हिस्सा ले रहे हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि नई शिक्षा नीति में इस बात पर जोर दिया गया है कि शिक्षक बच्चों को Fun Learning, Playful Learning, Activity Based Learning और Discovery Based Learning का माहौल दें। बच्चे जैसे-जैसे क्लास में आगे बढ़ें, उनमें ज्यादा सीखने की भावना का विकास हो, बच्चों का मन, उनका मस्तिष्क वैज्ञानिक और तार्किक तरीके से सोचना शुरू करे, उनमें Mathematical Thinking और Scientific Temperament विकसित हो, ये बहुत आवश्यक है और Mathematical Thinking का मतलब केवल यही नहीं है कि बच्चे Mathematics के प्रॉब्लम ही सॉल्व करें, बल्कि ये सोचने का एक तरीका है। ये तरीके हमें उन्हें सिखाना है। ये हर विषय को, जीवन के पहलुओं को Mathematical और Logical रूप से समझने का दृष्टिकोण है, ताकि मस्तिष्क अलग-अलग perspective में analyse कर सके। बच्चों के दृष्टिकोण, मन और मस्तिष्क का विकास बहुत जरूरी है, और इसलिए ही नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में इसके तौर-तरीकों पर बहुत ज्यादा ध्यान दिया गया है।
बच्चों को सही उम्र में शिक्षित करना:-
प्रधानमंत्री ने कहा कि नई शिक्षा नीति में 5 + 3 + 3 + 4 की व्यवस्था बहुत सोच- समझकर की गई है। इसमें Early Childhood Care and Education को एक बुनियाद के रुप में शामिल किया गया है। आज हम देखें तो प्री स्कूल की Playful Education शहरों में, प्राइवेट स्कूलों तक ही सीमित है। वो अब गाँवों में भी पहुंचेगी, गरीब के घर तक पहुंचेगी। मूलभूत शिक्षा पर ध्यान इस नीति का सबसे महत्वपूर्ण पहलू है।
बच्चों को प्रकृति से जोड़ें:-
प्रधानमंत्री श्री मोदी ने कहा कि बच्चों को प्रकृति और पर्यावरण से जोड़ें, जिससे उनका समावेशित विकास हो। बच्चे इसमें रुचि भी लेते हैं, और एक साथ बहुत सारी चीजें सीखते हैं। बच्चों को आसान और नए-नए तौर-तरीकों से पढ़ाना होगा। हमारे ये प्रयोग, New age learning का मूलमंत्र होना चाहिए- Engage, Explore, Experience, Express और Excel. यानि कि, students अपनी रूचि के हिसाब से गतिविधियों में, घटनाओं में, projects में engage हों। इसे अपने हिसाब से explore करें। इन गतिविधियों, घटनाओं, projects को विभिन्न दृष्टिकोण को अपने experience से सीखें। ये उनका personal experience हो सकता है या collaborative experience हो सकता है। फिर बच्चे रचनात्मक तरीके से Express करना सीखें। इन सब को मिला कर ही फिर excel करने का रास्ता बनता है। अब जैसे कि, हम बच्चों को पहाड़ों पर, ऐतिहासिक जगहों पर, खेतों में, सुरक्षित मैन्यूफैक्चरिंग यूनिट्स में लेकर जा सकते हैं।
नई शिक्षा नीति में सिलेबस और बस्ते का बोझ कम:-
नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में पाठ्यक्रम को कम किया गया है। इसमें आधारभूत बिन्दुओं पर जोर दिया गया है। लर्निंग को समग्र एवं Inter-Disciplinary, Fun based और complete experience बनाने के लिए एक National Curriculum Framework develop किया जायेगा। नई शिक्षा नीति विद्यार्थियों को 21वीं सदी के कौशल के साथ आगे बढ़ाने पर जोर देती है। इसलिए, छात्र शुरुआत से ही कोडिंग सीखें, Artificial Intelligence को समझें, Internet of Things, Cloud Computing, Data Science और Robotics से जुड़ें।
मूल्यांकन के लिये परख की स्थापना:-
वर्तमान में मार्क्स और मार्क्स-शीट एजुकेशन हावी है। जिससे बच्चों एवं अभिभावकों में मेंटल स्ट्रैस बढ़ता था। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति से इसका समाधान होगा। परीक्षा इस तरह होनी चाहिए कि छात्रों पर इसका बेवजह का दबाव न पड़े और कोशिश ये हो कि केवल एक परीक्षा से छात्र-छात्राओं का मूल्यांकन न किया जाए, बल्कि Self-assessment, Peer-To-Peer assessment से छात्रों के विकास के विभिन्न पहलुओं का मूल्यांकन हो। इसलिए, राष्ट्रीय शिक्षा नीति में मार्क्सशीट की जगह Holistic report card पर बल दिया गया है। Holistic report card विद्यार्थियों के unique potential, aptitude, attitude, talent, skills, efficiency, competency और possibilities की detailed sheet होगी। मूल्यांकन प्रणाली के संपूर्ण सुधार के लिए एक नये राष्ट्रीय मूल्यांकन केंद्र “परख” की स्थापना भी की जाएगी।
मातृ भाषा में शिक्षा:-
राष्ट्रीय शिक्षा नीति भाषा शिक्षा का माध्यम है, भाषा ही सारी शिक्षा नहीं है। बच्चों को उस भाषा में शिक्षा देना चाहिये जिसे बच्चा आसानी से सीख सके, चीजें Learn कर सके, वही भाषा पढ़ाई की भाषा होनी चाहिए। नहीं तो विषय से ज्यादा बच्चे की ऊर्जा भाषा को समझने में लग जाती है। इन्हीं सब बातों को समझते हुए ज़्यादातर देशों में भी आरंभिक शिक्षा मातृभाषा में ही दी जाती है।
PISA की top ranking वाले सब देशों में प्राथमिक शिक्षा मातृभाषा में दी जाती है। इसलिए जहां तक संभव हो, कम से कम कक्षा पांच तक शिक्षा का माध्यम मातृभाषा, स्थानीय भाषा रखने की बात राष्ट्रीय शिक्षा नीति में कही गई है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति में मातृभाषा के अलावा कोई अन्य भाषा सीखने, सिखाने पर कोई प्रतिबंध नहीं है। अंग्रेजी के साथ साथ जो भी विदेशी भाषाएँ अंतर्राष्ट्रीय पटल पर सहायक हैं, वो बच्चे पढ़ें, सीखें, तो अच्छा ही होगा। लेकिन साथ साथ सभी भारतीय भाषाओं को भी प्रोत्साहित किया जाएगा, ताकि हमारे युवा देश के अलग अलग राज्यों की भाषा, वहाँ की संस्कृति से परिचित हो सकें, हर क्षेत्र का एक दूसरे से रिश्ता मजबूत हो।
शिक्षक ही है विद्यार्थियों का भविष्य निर्माता:-
राष्ट्रीय शिक्षा नीति की इस यात्रा के पथप्रदर्शक देश के शिक्षक ही हैं। इसलिए सभी शिक्षकों को काफी कुछ नया सीखना है, काफी कुछ पुराना भुलाना भी है। वर्ष 2022 में जब आजादी के 75 वर्ष पूरे होंगे, तब भारत का हर student, राष्ट्रीय शिक्षा नीति द्वारा तय गए दिशा-निर्देशों में पढ़े।
कोरोना से बचाव की जानकारी दें शिक्षक:-
कोरोना संक्रमण से बचाव के लिये दो गज दूरी, मास्क या फेस्क कवर, बुजुर्गों का ख्याल रखना, स्वच्छता आदि का संदेश शिक्षकों को अपने विद्यार्थियों को देना होगा। शिक्षक ये सब बड़ी आसानी से विद्यार्थियों के माध्यम से यह संदेश घर-घर पहुंचा सकते हैं।
स्कूल शिक्षा राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार)श्री इंदर सिंह परमार ने शिक्षा विभाग के अधिकारियों एवं शिक्षकों से प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के विचारों के अनुरुप राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर अमल के निर्देश दिये। मंत्री श्री परमार ने कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति मील का पत्थर साबित होगी। मध्यप्रदेश इस नीति के आधार पर नये प्रगतिशील समाज की रचना के लिए तैयार हैं। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत, भयमुक्त और समानता के आधार पर उन्नति के अवसर प्रदान करने वाली स्कूल शिक्षा विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास का मार्ग प्रशस्त करेंगे।
प्रमुख साचिव श्रीमती रश्मि अरुण शमी ने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत विभाग की तैयारियों और योजनाओं की बारे में सारगर्भित जानकारी दी। इस अवसर पर आयुक्त लोक शिक्षण श्रीमती जयश्री कियावत, आयुक्त राज्य शिक्षा केन्द्र श्री लोकेश कुमार जाटव और उप सचिव श्री प्रमोद सिंह तथा स्कूल शिक्षा विभाग के अन्य अधिकारी भी उपस्थित थे।
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