एंबुलेंस के अभाव में तड़प-तड़प कर कोरोना पेशेंट ने तोड़ा दम,5 घंटे तक तड़पता रहा युवक, नहीं नसीब हुई एंबुलेंस
सीधी।
रीवा के लिए रेफर होने के उपरांत 5 घंटे तक एंबुलेंस उपलब्ध ना हो पाने के कारण कोरोना संक्रमित एक युवा व्यवसाई की तड़प-तड़प कर मौत हो गई।
प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह चौहान स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर बड़े-बड़े दावे करते हैं लेकिन सीधी में मुख्यमंत्री का आदेश भी काम नहीं आता है। यहां के सिविल सर्जन पर लापरवाह रवैया के चलते हमेशा मौत बांटने के आरोप राजनीतिक दल लगाते रहे हैं पूर्व में भी जिला चिकित्सालय में रक्त की कमी के कारण एक लड़की की मौत हो चुकी थी वहीं आए दिन अपने कारनामों को लेकर जिला चिकित्सालय विवादों में बना रहता है। नहले पर दहला तब लग गया जब सिविल सर्जन को प्रभारी सीएमएचओ बना दिया गया है। जहां प्रभारी सीएमएचओ की लापरवाही से एक अच्छे खासे युवक की जान चली गई है। पूरे मामले को लेकर परिजनों ने मुख्यमंत्री से सिविल सर्जन एवं प्रभारी सीएमएचओ डॉ डीके द्विवेदी के ऊपर कार्रवाई करने का गुहार लगाई है। वहीं रीवा कमिश्नर ने दोषियों के ऊपर कार्रवाई करने का आश्वासन दिया है।
ये था पूरा मामला:-
संक्रमण को लेकर सीधी जिले का स्वास्थ्य विभाग अपने लापरवाही की सभी हदें पार कर चुका है और बीते मंगलवार की रात इसी का एक दिल दहला देने वाला परिणाम भी सामने देखने को मिला। रीवा के लिए रेफर होने के उपरांत 5 घंटे तक एंबुलेंस उपलब्ध ना हो पाने के कारण एक युवा व्यवसाई की तड़प-तड़प कर मौत हो गई।
उल्लेखनीय है कि सीधी शहर के जिला न्यायालय के बगल में स्थित शॉपिंग कंपलेक्स में प्रेम स्वीट्स के बगल में प्रकाश कंप्यूटर की दुकान के संचालक 40 वर्षीय निशांत प्रकाश श्रीवास्तव जो रिटायर्ड प्राचार्य वेद प्रकाश श्रीवास्तव के सुपुत्र थे उन्हें 21 सितंबर को कोरोना पॉजिटिव पाए जाने पर जिला अस्पताल परिसर के आइसोलेशन वार्ड में कल 22 सितंबर को सुबह 8 बजे भर्ती कराया गया था।
रीवा के लिए किया रेफर:-
निशांत प्रकाश श्रीवास्तव की तबीयत मंगलवार को अचानक ज्यादा खराब होने के कारण उन्हें शाम तकरीबन 6 बजे आइसोलेशन वार्ड के प्रभारी डॉ. जान ने रीवा के लिए रेफर कर दिया था।
5 घंटे तक हुआ एंबुलेंस का इंतजार:-
रीवा के लिए रेफर होने के उपरांत निशांत प्रकाश श्रीवास्तव के परिजन बेसब्री के साथ एंबुलेंस का इंतजार करने लगे पर जिले की चिकित्सा सेवाओं का आलम यह रहा कि 6 घंटे बाद भी रात 11 बजे तक उन्हें एंबुलेंस उपलब्ध नहीं हो सकी। इस दौरान लगातार कोरोना पेशेंट निशांत की तबीयत खराब होती चली गई और रात 11 के उपरांत जब एंबुलेंस वाहन आइसोलेशन सेंटर में पहुंचा तो आनन-फानन मरीज को उस में शिफ्ट किया जाने लगा। तब तक पीड़ित की जान जा चुकी थी।
स्वास्थ्य अमले ने पार की सारी हदें:-
इस दौरान एक बेहद शर्मनाक और लापरवाह घटना यह भी घटी की आइसोलेशन वार्ड में उपस्थित स्वास्थ्य कर्मियों ने कोरोना पेशेंट निशांत प्रकाश के स्ट्रेचर को अपने स्वास्थ्य अमले द्वारा एंबुलेंस वाहन तक भेजने के बजाय मड़रिया स्कूल में शिक्षक उनके बड़े भाई नमीश प्रकाश श्रीवास्तव जो हैवी डायबिटिक हैं उन्हें बिना पीपीई किट पहनाए ही सिर्फ हैंड ग्लब्स पहनाकर उनसे स्ट्रेचर उठवाकर एंबुलेंस में शिफ्ट किया गया।
परिजनों ने घर से बुलाया डॉक्टर को:-
इन सारी वेदनापूर्ण विषम परिस्थितियों को झेल रहे परिजनों ने अंततः फिर से आइसोलेशन वार्ड के प्रभारी डॉ. जान को उनके बंगले से विनती करके आइसोलेशन सेंटर में बुलवाया जिन्होंने वहां पहुंचते ही एंबुलेंस में शिफ्ट किए गए कोरोना पेशेंट निशांत प्रकाश श्रीवास्तव को देखते ही मृत घोषित कर दिया।
रात भर पड़ा रहा एंबुलेंस में शव:-
स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही से हुई मौत के उपरांत निशांत प्रकाश श्रीवास्तव के शव को एंबुलेंस में ही पीपीई किट पहनाकर रखा गया था वह़ीं सुबह 9 बजे के लगभग परिजनों के पहुंचने पर शव को देवघटा घाट में परिजनों के द्वारा ले जाकर प्रशासन की उपस्थिति में अंतिम संस्कार किया गया। परिजनों ने कहा कि मौत बांट रहे प्रभारी मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ डी.के. द्विवेदी पर भाजपा सरकार कार्यवाही करे।
इस मौत का जिम्मेदार कौन...?
यहां ये खून खोला देने वाला बेहद गंभीर आरोप स्वास्थ्य विभाग पर है कि-
इस पूरे घटनाक्रम में 5 घंटे के विलंब से आई एंबुलेंस के लिए दोषी कौन है ?
क्या जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग इस पूरे लापरवाही को लेकर किसी अधिकारी या कर्मचारी पर जिम्मेवारी फिक्स करेगा?
अब देखना बाकी ये है कि जिला कलेक्टर ऐसे लापरवाह मामले में इस मौत के दोषी अधिकारियों और कर्मचारियों पर क्या कार्यवाही करते हैं?
स्वास्थ्य विभाग की प्रशासनिक लापरवाही की वजह से एक युवक की बेवजह जान जाना सीधी जिले के लोगों की भावनाओं को शर्मसार और दुखी करता है।
इस संक्रमण के दौर में ऐसी घटनाएं जिले भर के लोगों में स्वास्थ्य विभाग की विश्वसनीयता को लेकर एक दहशत पैदा करती हैं।
इनका कहना है👇👇
(1)
पूरे मामले की जानकारी आपके द्वारा मुझे प्राप्त हुई है। 5 घंटे एंबुलेंस ना मिलना बहुत ही शर्मनाक है। मैं मामले की जानकारी लेता हूं तथा जो भी दोषी होगा उस पर कार्रवाई की जाएगी। स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर किसी भी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
आर.के. जैन
कमिश्नर, रीवा संभाग
(2)
सत्ताधारी निर्वाचित जनप्रतिनिधियों को शर्म आनी चाहिए:-
कोरोना संक्रमित एक युवा व्यवसाई की एंबुलेंस नाम मिलने से तड़प-तड़प कर मौत होना स्वास्थ्य विभाग की घोर लापरवाही के साथ-साथ सीधी जिले के निर्वाचित जनप्रतिनिधियों की इस पूरे संक्रमण काल में उनकी ऐसे संवेदनशील मुद्दे पर उदासीनता का परिचायक है।
पूरे प्रदेश सहित सीधी जिले भर में कोरोना संक्रमण फैल चुका है और सत्ताधारी पार्टी के निर्वाचित जनप्रतिनिधि अपने दायित्वों से मुंह मोड़ कर अज्ञातवास में हैं। पूरे प्रदेश भर में कोई कुछ बोलने और देखने को तैयार ही नहीं है जो बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है।
लाल चंद गुप्ता
उपाध्यक्ष, म.प्र. कांग्रेस कमेटी
(3)
जनप्रतिनिधियों को चुल्लू भर पानी में डूब मरना चाहिए:-
कोरोना संक्रमित युवक की सिर्फ इस बात पर मौत हो जाए कि उसे 5 घंटे तक एंबुलेंस ना उपलब्ध हो सके यह सीधी जिले के लिए बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है और जिस तरह का संक्रमण जिले भर में फैल रहा है उससे यह कहा जा सकता है कि सीधी का भगवान ही मालिक है। सीधी जिले के सत्ताधारी जनप्रतिनिधियों को चुल्लू भर पानी में डूब मरना चाहिए।
अरविंद शुक्ला
अध्यक्ष सपाक्स, जिला सीधी
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