बजट के अभाव में निकाले गए श्रमिक आंदोलित,समझाइस के बाद एक सप्ताह का समय

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बजट के अभाव में निकाले गए श्रमिक आंदोलित,समझाइस के बाद एक सप्ताह का समय



बजट के अभाव में निकाले गए श्रमिक आंदोलित,समझाइस के बाद एक सप्ताह का समय


मझौली।

मामला संजय टाइगर रिजर्व का है जहां पर विभिन्न क्षेत्रों में रखे गए सुरक्षा श्रमिकों को बजट के अभाव में बाहर कर दिया गया है जिससे इस संक्रमण काल में उन्हें रोजी रोटी के लिए लाले पड़ जाएंगे वहीं वन्य प्राणियों के जीवन भी संकट के घेरे में आ सकता है। विदित हो कि संजय टाइगर रिजर्व सीधी के 8 परिक्षेत्र में रखे गए सुरक्षा श्रमिक जो लगभग 10 वर्ष से इन क्षेत्रों में काम कर रहे हैं उनमें से लगभग 50% सुरक्षा श्रमिकों जिनकी संख्या लगभग 500 के करीब होगी बजट अभाव में बाहर किया गया है इस संक्रमण काल में बाहर किए गए श्रमिकों के साथ कार्यरत श्रमिक भी काम बंद कर आंदोलन की राह पर जाने को लामबंद है। जिन्हें परीक्षेत्र अधिकारियों द्वारा समझाइश दिया गया जिनके समझाइश के बाद 1 हफ्ते का समय दिया गया है 1 हफ्ते के अंदर यदि निकाले गए श्रमिकों को वापस नहीं रखा जाता तो कार्यरत सभी श्रमिक आंदोलन के लिए मजबूर हो जाएंगे। बता दें कि विगत 21 अगस्त को संजय टाइगर रिजर्व के सुरक्षा श्रमिक सैकड़ों की  संख्या में मझौली कार्यालय में आकर बैठ गए थे जिन्हें भारी मशक्कत के बाद क्षेत्र अधिकारियों द्वारा वापस काम पर भेजा गया है आंदोलन को द्वारा समझाइश के बाद 1 हफ्ते का समय देते हुए ज्ञापन पत्र सौंपा गया है यदि 1 हफ्ते के अंदर निकाले गए श्रमिकों को वापस काम पर नहीं रखा जाता तो कार्यरत एवं निकाले गए सुरक्षा श्रमिक सामूहिक रूप से आंदोलन करेंगे जिससे वन्य प्राणियों के जीवन भी संकट में होगा संजय टाइगर रिजर्व क्षेत्र में जहां बाघों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है वही अन्य वन्य प्राणी भी स्वतंत्र विचरण कर रहे हैं जिनके जीवन की रक्षा कार्यरत सुरक्षा श्रमिकों के हाथों में था यदि एक साथ सारे के सारे कार्यरत श्रमिक काम छोड़कर आंदोलन का रुख अपनाते हैं तो निश्चित है कि वन एवं वन्य प्राणियों का जीवन संकट में होगा क्योंकि निकाले गए श्रमिकों में बाघ ट्रैकिंग ,हाथी ट्रैकिंग, बैरियर, वायरलेस आदि ऐसे कार्य पर कार्यरत हैं। जो कार्य छोड़कर मझौली परिक्षेत्र क्षेत्र कार्यालय में पहुंचे सैकड़ों की संख्या में सुरक्षा सैनिकों द्वारा मीडिया को बताया गया कि हम लोग लगभग सभी श्रमिक 5 - 10 वर्षों से कार्य कर रहे हैं हम लोगों का तीन-चार माह का वेतन भी अभी नहीं मिला है और हमारे 50% श्रमिक भाइयों को बाहर किया जा रहा है इस संक्रमण काल में जबकि कहीं बाहर आने जाने का भी साधन उपलब्ध नहीं हो रहा है इन्हें रोजी रोटी के लिए लाले पड़ जाएंगे हम लोग सामूहिक रूप से कार्य का बहिष्कार कर रहे हैं यदि निकाले गए श्रमिकों को कार्य पर नहीं रखा जाता तो हम सभी सामूहिक रूप से धरना प्रदर्शन करेंगे। हम लोगों को परिक्षेत्र अधिकारियों के आश्वासन और समझाइश के बाद आज ज्ञापन पत्र सौंपकर वापस कार्य पर जा रहे हैं यदि 1 हफ्ते के अंदर निकाले गए श्रमिकों को वापस नहीं रखा जाता तो हम लोग सामूहिक रूप से कार्य बंद कर आंदोलन करने के लिए मजबूर हो जाएंगे।

अधिकारियों का है कहना:-

इस संबंध में जब परिक्षेत्र अधिकारियों से मीडिया द्वारा पूछा गया तो उनका कहना था कि बजट ना होने के कारण वरिष्ठ अधिकारियों के द्वारा श्रमिकों को निकालने के लिए आदेशित किया गया है । 8 परिक्षेत्र में से लगभग 500 की संख्या में श्रमिक बाहर किए गए हैं सुरक्षा श्रमिकों द्वारा सभी को  काम पर रखने के लिए आंदोलन किया जा रहा है तथा काम छोड़कर यहां आए हैं इन्हें समझाइश दी जा रही है की आप की मांग को ऊपर तक पहुंचाया जाएगा जैसा कुछ निर्देश मिलेगा वैसा किया जाएगा फिलहाल क्षेत्र में मनरेगा के कई कार्य प्रस्तावित है निकाले गए श्रमिकों को प्राथमिकता के तौर पर कार्य में रखा जाएगा बजट उपलब्ध होने पर पुनः इन्हें काम पर रख लिया जाएगा यदि ए लोग नहीं मानते हैं तो वन एवं वन्य प्राणियों के सुरक्षा को दृष्टिगत रखते हुए लोग अन्य कर्मचारियों को रखने के लिए मजबूर हो जाएंगे।


एक हफ्ते का दिया गया समय:-


परिक्षेत्र अधिकारी के समझाइश बाद आंदोलित श्रमिकों द्वारा परी क्षेत्राधिकारी वस्तुओं को संचालक संजय टाइगर रिजर्व सीधी के नाम ज्ञापन सौंपते हुए 1 हफ्ते का समय दिया गया है 1 हफ्ते के अंदर यदि निकाले गए श्रमिकों को वापस काम पर नहीं रखा जाता तो हम सभी कार्यरत एवं निष्कासित सुरक्षा श्रमिक आंदोलन के लिए मजबूर हो जाएंगे ।

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