कोविड-19 के साथ-साथ जल जनित बीमारियों से भी रखें ये सावधानियां, नहीं तो हो सकते हैं इस बीमारी के शिकार
सीधी।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. बी. एल. मिश्रा ने बताया कि कोविड-19 के साथ बरसात और शीत के प्रकोप से भी बचना जरूरी है। मानसून में बारिश का आगमन जहाँ एक ओर खुशियां लाता है, वहीं दूसरी ओर बीमारियों का प्रकोप भी बढ़ जाता है। जब अत्यधिक मात्रा में जल निकलने के लिए अच्छी जल निकासी प्रणाली की कमी होती है तब यह पानी बाढ़ का कारण बनता है। इससे कई लोग घायल और विभिन्न रोगों से संक्रमित होते हैं। कई जगहों पर मच्छरों और अन्य कीड़ों के प्रजनन के लिए जमा होने वाला पानी मलेरिया और डेंगू जैसी विभिन्न बीमारियों का कारण है। असल में जमा पानी पर मच्छर आदि खूब पनपते हैं जो डेंगू, मलेरिया, चिकनगुनिया जैसे रोगों के वाहक होते हैं। यानि अगर जल दूषित भी नहीं है तो भी वह रोग फैलाने में सक्षम होता है क्योंकि वह उन वाहकों जैसे मच्छर, घोंघे आदि को जीवन देता है, जो रोग फैलाते हैं।
पानी से होने वाली बीमारियों का मुख्य कारण है पानी का हमारे एवं पशुओं के मल आदि से दूषित होना। पानी से होने वाली मुख्य बीमारियों पर गौर करें तो वह है दृ हेपेटाइटिस-ए और हेपेटाइटिस-ई, पोलियो, टायफाइड और पैरा-टायफाइड, आंत्रशोथ या आतों के रोग, हैजा। ये रोग जीवाणुओं, विषाणुओं और अन्य सूक्ष्मजीवों से होते हैं, जो एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक दूषित जल द्वारा पहुँचते हैं।पानी-जनित रोगों से बचाव सम्भव है। सिर्फ थोड़ा सा साफ-सफाई पर ध्यान देना ही काफी हद तक जल-जनित रोगों से छुटकारा दिला सकता है। हमेशा शौच के बाद साबुन से अच्छी तरह हाथ धोएं, खाने से पहले भी हाथ धोएं, ऐसे स्रोत से ही पीने का पानी लें जिनका जल स्वच्छ हो, अगर संदेह है कि पानी दूषित हो सकता है तो पीने के पानी को कम से कम बीस मिनट तक उबालें। पानी को पीने लायक बनाने के लिए बीस लिटर पानी में एक क्लोरीन की गोली डाल सकते हैं। क्लोरीन की गोली को करीब आधा घण्टे तक पानी में डालकर छोड़ दें और आधे घण्टे बाद ही पानी इस्तेमाल में लाएं। पानी को बीस मिनट उबालने से उसमें मौजूद हानिकारक सूक्ष्मजीव खत्म हो जाते हैं, ऐसे ही क्लोरीन भी आधे घण्टे में जीवाणुओं, विषाणुओं और अन्य सूक्ष्मजीवों को खत्म कर देता है।बारिश आदि के मौसम में जब रोगों का प्रकोप ज्यादा होता है तो हमेशा बीस मिनट उबाला हुआ पानी ही पीएं। हालाँकि आजकल पानी के अच्छे-अच्छे फिल्टर बाजार में उपलब्ध हैं, परन्तु उनकी कीमत अधिक है, जिस कारण हर कोई उन्हें नहीं खरीद सकता। पानी को पीने लायक बनाने के लिए बीस लिटर पानी में एक क्लोरीन की गोली डाल सकते हैं। क्लोरीन की गोली को करीब आधा घण्टे तक पानी में डालकर छोड़ दें और आधे घण्टे बाद ही पानी इस्तेमाल में लाएं। पानी को बीस मिनट उबालने से उसमें मौजूद हानिकारक सूक्ष्मजीव खत्म हो जाते हैं, ऐसे ही क्लोरीन भी आधे घण्टे में जीवाणुओं, विषाणुओं और अन्य सूक्ष्मजीवों को खत्म कर देता है। इसी प्रकार भोजन भी अच्छी तरह पका होना चाहिए और हमेशा गर्म-गर्म भोजन का ही सेवन करना चाहिए। अधिक देर करने से भोजन में बीमारी पैदा करने वाले सूक्ष्मजीवों की संख्या बढ़ने लगती है। ऐसे किसी भी पदार्थ का सेवन न करें जिसमें बाजार की बर्फ डाली गई है, क्योंकि ज्यादातर बाजार में बिकने वाली लस्सी, शिकंजी आदि में दूषित बर्फ ही डली होती है। घर का बना ताजा खाना ही खाएं। कटे हुए फल बाजार से न खाएं, ऐसे फलों का सेवन करना सुरक्षित रहता है जिन पर छिलके होते हैं, जैसे संतरा, केला आदि। अगर बच्चे को पेचिश या दस्त लग जाएं तो उसे नमक-चीनी का घोल बनाकर दें या फिर दाल का पानी भी दे सकते हैं। रोग से पीडि़त वयस्क भी खूब पानी का सेवन करें। आजकल बाजार में ओआरएस घोल उपलब्ध है, जिसे पानी में घोल कर पीते हैं।
घर के आसपास पानी को जमा न होने दें, इसी पानी में मच्छर पनपते हैं। अपने आसपास सफाई का ध्यान रखें। नहाने-धोने के पानी को पीने के पानी से अलग रखें। पीने के पानी को हमेशा ढक कर रखें। कई बार साफ पानी भी ऊपर से गिरी गंदगी, दूषित हाथों या गन्दे बर्तनों से दूषित हो जाता है, इसीलिए पीने के पानी को निकालने का बर्तन लम्बे हैण्डल का होना चाहिए। कोविड-19 के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग मास्क आदि अनुशासनात्मक निर्देशों का अनिवार्य रूप से पालन करने के निर्देश भी दिए है। घर से बाहर निकलने पर आवश्यक सावधानियां और होम क्वॉरेंटाइन व आइसोलेशन में पालन की जाने वाली सावधानियों के लिए मैदानी कार्यकर्ताओं और आम लोगों को अवगत कराया जाए।
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