जिले में फिर मानवता हुई शर्मसार, अस्पताल प्रबन्धक की लापरवाही से कंधे पर लादकर ले गए 12 किमी दूर मृतक का शव

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जिले में फिर मानवता हुई शर्मसार, अस्पताल प्रबन्धक की लापरवाही से कंधे पर लादकर ले गए 12 किमी दूर मृतक का शव




जिले में फिर मानवता हुई शर्मसार, अस्पताल प्रबन्धक की लापरवाही से कंधे पर लादकर ले गए 12 किमी दूर मृतक का शव



 सीधी।

प्रदेश के मुखिया स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर बड़े-बड़े दावे करते हैं लेकिन जमीनी हकीकत पर सारे दावे सिर्फ कागजों तक ही सीमित रह जाते हैं। 
ऐसा ही नजारा बीते रविवार को अपराह्न 3 बजे के लगभग जिला चिकित्सालय में देखने को मिला जहां शव वाहन नहीं मिलने से परिजनों शव को कंधे पर लादकर 12 किलोमीटर पैदल ले गए। 
उल्लेखनीय है कि राजनीतिक संरक्षण प्राप्त सिविल सर्जन के तानाशाही रवैए से इसके पहले भी अस्पताल की लापरवाही के मामले आ चुके हैं लेकिन जिम्मेदारों की हिम्मत सिविल सर्जन के ऊपर कार्रवाई करने की नहीं हुई है। जहां आए दिन जिला चिकित्सालय में ऐसी घटनाएं आम बात हो गई हैं।

*क्या था पूरा मामला:-

मानवता को शर्मसार करने वाली घटना नूतन कालोनी के निवासी शेरू कोल जिसकी 20 साल है जो जिला चिकित्सालय में टीबी वार्ड में भर्ती था। तकरीबन 25 दिन पहले ही उसके पिता मुन्ना कोल की मृत्यु हो गई है। कल रविवार को अपराह्न 3 बजे लगभग उसकी मृत्यु हो गई जिस पर पड़ोसी व उसकी मां ने अस्पताल प्रबंधन से एम्बुलेंस शव वाहन की मांग की, जो जिला चिकित्सालय के वाहन पार्किंग में खड़ी थी, तभी ड्यूटी डॉक्टर ने शव को हटाने को कहते हुए कहा कि जल्दी हटाओ नहीं मिलेगा शव वाहन। परिजनों ने सिविल सर्जन डॉ. डीके दिवेदी से भी मांग की जिस पर उन्होंने कहा कि चलो आता हूं, देखता हूं। परंतु सिविल सर्जन के  वक्त पर ना आने पर मृतक के परिजन मजबूरन बांस बल्ली से अर्थी बनाकर 12 किलोमिटर पैदल सोन नदी दाह संस्कार करने ले गये। 
उल्लेखनीय है कि जिला चिकित्सालय में शव वाहन खड़ा था इसके बावजूद प्रशानिक लापरवाही के चलते शव वाहन उपलब्ध नहीं कराया गया। 

आकर देखता हूं:-

मृतक के परिजनों ने बताया कि सिविल सर्जन से दूरभाष के माध्यम से बात कर शव वाहन की मांग की गई थी उन्होंने कहा कि आ कर देखता हूं परंतु काफी देर तक कोई कार्यवाही ना हो पाने के कारण मजबूरन हमें बांस की अर्थी बनाकर अपने शव को ले जाना पड़ा।

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