रक्त के अभाव में जिंदगी से हार गई युवती, युवती की मौत का जिम्मेदार कौन? कलेक्टर के आदेश के बावजूद भी सिविल सर्जन नहीं दिया था रक्त
सीधी।
सिविल सर्जन के तानाशाही रवैया के कारण एक युवती को इसका खामियाजा उसको जान देकर चुकानी पड़ा है।
कलेक्टर के निर्देश के बावजूद भी सिविल सर्जन ने ब्लड नहीं दिया जिससे उक्त युवती की मौत हो गई। मजबूर पिता सिविल सर्जन के दरवाजे के पास जाकर रक्त देकर बेटी को बचाने की गुहार लगाता रहा। मानवता को झकझोर देने वाली घटना बीते सोमवार को 4 बजे जिला चिकित्सालय में देखने को मिली है।
ये है पूरा मामला:-
शशि प्रजापति पिता रामशरण प्रजापति निवासी उत्तरी करौंदिया सीधी को लीवर में दिक्कत तथा ब्लड की कमी के कारण पिछले हफ्ते जिला चिकित्सालय में भर्ती कराया गया था। जहां ब्लड की कमी को पूरा करने के लिए मजबूर पिता ने भगवती मानव कल्याण संगठन से जुड़कर जिला चिकित्सालय को रक्त दान करने की बात बताई गई। मजबूर पिता ने रक्त दान देते समय मिले प्रमाण पत्र को दिखाकर रक्त की मांग सिविल सर्जन से करने लगा। जहां सिविल सर्जन ने रक्त देने से साफतौर पर मनाकर दिया। मामले की जानकारी कलेक्टर को हुई जहां कलेक्टर ने स्वत: अस्पताल पहुंचकर रक्त देने के लिए सिविल सर्जन को निर्देशित किया था जिसके बावजूद भी सिविल सर्जन ने रक्त नहीं दिया।
कोई भी बोला हो प्रावधान में ऐसा नहीं:-
पीड़ित के पिता ने बताया कि जब सिविल सर्जन डीके द्विवेदी के पास रक्त की मांग कर रहा था तब उन्होंने कहा कि कोई भी बोला हो मेरे प्रावधान में ऐसा नहीं है इसलिए मैं रक्त नहीं दूंगा।
अस्पताल से निकलते ही हुई मौत:-
रक्त नहीं मिलने के कारण युवती मौत के मुंह पर जा पहुंची थी। जहां सिविल सर्जन ने अपनी आन बचाने के लिए युवती को रीवा के लिए शाम 4 बजे के लगभग रेफर किया था जहां अस्पताल के गेट से निकलते ही युवती ने दम तोड़ दिया।
इस मौत का जिम्मेदार कौन ?
सिविल सर्जन के तानाशाही रवैया के कारण पीड़िता को अपनी जान देकर इसकी कीमत चुकानी पड़ी है। सबसे बड़ा सवाल यह है कि इस मौत का जिम्मेदार कौन है ? प्रशासन है या फिर उसका सिस्टम ? अगर यही सिस्टम चलता रहेगा तो वह दिन दूर नहीं जब दर्जनों की संख्या में मौतें होगी।
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