जिला चिकित्सालय में लाखों का घोटाला हुआ उजागर, तत्कालीन/ वर्तमान सिविल सर्जन एवं प्रभारी लिपिक का कारनामा

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जिला चिकित्सालय में लाखों का घोटाला हुआ उजागर, तत्कालीन/ वर्तमान सिविल सर्जन एवं प्रभारी लिपिक का कारनामा




जिला चिकित्सालय में लाखों का घोटाला हुआ उजागर, तत्कालीन/ वर्तमान सिविल सर्जन एवं प्रभारी लिपिक का कारनामा

 सीधी।

प्रदेश के मुखिया भले ही स्वास्थ्य व्यवस्था सुधारने के लिए करोड़ों रुपए का फंड देते हैं लेकिन जिम्मेदारों ने विकास तो नहीं किया पर भ्रष्टाचार जमकर किया। जिसका नमूना सीधी का जिला चिकित्सालय है। जानकारी के अनुसार प्रिंटिंग कार्य हेतु लगभग 10 लाख रुपए का घोटाले का मामला सामने आया है।

ये है पूरा मामला:-

वित्तीय वर्ष फरवरी 2018 में तत्कालीन एवं वर्तमान के सिविल सर्जन डीके द्विवेदी द्वारा वजट ना उपलब्ध होने के बावजूद भी बिना निविदा के क्रय आदेश जारी किया गया था। स्टेशनरी ,बिजली एसएनसीयू, प्रभारी लिपिक देवेंद्र प्रताप दुबे सहायक रेड्डी स्थानीय कार्यालय सीधी द्वारा अपना स्वयं का निजी स्टाक अलग से बनाया गया था। जबकि स्टॉक रजिस्टर स्टोर का एक ही होता है। एक ही कार्यालय में अलग-अलग रजिस्टर नहीं बनते हैं लेकिन तत्कालीन सिविल सर्जन के सह से प्रभारी लिपिक ने बकायदा दो दो रजिस्टर बना कर रखा था। तथा सभी सामग्री प्रभारी लिपिक के द्वारा मनमानी पूर्वक क्रय किया जाता रहा। भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने के लिए अलग से बनाए हुए रजिस्टर में कभी सामान की इंट्री दर्ज की जाती थी तो कभी नहीं की जाती थी।

यहां से हुई भ्रष्टाचार की शुरुआत:-


प्रभारी लिपिक देवेंद्र प्रताप दुबे द्वारा मेसर्स राधिका एसोसिएशन सीधी से लाखों रुपए का प्रिंटिंग का कार्य कराया गया तथा आठ से दस लाख का फर्जी भुगतान भी किया गया है। जबकि तत्कालीन एवं वर्तमान सिविल सर्जन डीके द्विवेदी तथा प्रभारी लिपिक द्वारा किए गए प्रिंटिंग कार्य के लिए भुगतान के अनुरूप छपाई सामग्री जिला चिकित्सालय में आई ही नहीं है।

प्रिंटिंग कार्य के लिए ये है नियम:-


 प्राइवेट प्रिंटिंग प्रेस से प्रिंटिंग कार्य कराने के लिए शासकीय नियमानुसार शासकीय प्रिंटिंग प्रेस अथवा जेल की प्रिंटिंग प्रेस से एनओसी लेना अनिवार्य है। बिना एनओसी के आठ से दस लाख का प्रिंटिंग कार्य कराना तथा उसका भुगतान करना गंभीर अनियमितता का परिचायक है। तत्कालीन एवं वर्तमान सिविल सर्जन डीके द्विवेदी तथा प्रभारी लिपिक देवेंद्र प्रताप दुबे द्वारा उक्त संबंध में कराए गए भुगतान गंभीर वित्तीय अनियमितता की श्रेणी में आता है। गौरतलब हो कि उक्त कार्य बिना निविदा के पुरानी निविदा में सीधे दस परसेंट की वृद्धि कर कार्य कराया गया है। जो नियमानुसार नहीं है उक्त दस परसेंट बढ़ाने में किसी भी उच्च अधिकारी का या उच्च कार्यालय से अनुमति प्राप्त नहीं की गई थी।

इनका कहना है:-

मुझे आपके द्वारा पूरे मामले की जानकारी प्राप्त हुई है मैं इसकी जांच करवाता हूं तथा जो भी दोषी होगा बिल्कुल कार्रवाई की जाएगी।

रवींद्र चौधरी
कलेक्टर, सीधी

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