म.प्र. व्यापक श्रम सुधार करने वाला प्रथम राज्य, मंत्री जिलों के नागरिकों और विभिन्न वर्गों से संवाद कर सुझाव प्राप्त करेंगे
मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने की मंत्रियों से चर्चा
भोपाल।
मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में आज मंत्रालय में संपन्न बैठक में तीन प्रेजेंटेशन हुए। मध्यप्रदेश में श्रम सुधार, मंडी अधिनियम और नियमों में बदलाव और निवेश प्रोत्साहन के प्रयासों पर मुख्यमंत्री श्री चौहान एवं मंत्रियो ने प्रेजेंटेशन देखे।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने इस अवसर पर बताया कि कल प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी को मध्यप्रदेश में किए गए श्रम सुधारों की जानकारी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के दौरान दी गई। मध्यप्रदेश पहला राज्य है जिसने कोरोना संकट के संदर्भ में निवेश एवं रोजगार वृद्धि के लिए व्यापक श्रम सुधार किए हैं।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने बताया कि प्रधानमंत्री श्री मोदी से कल हुई चर्चा के बाद राज्यों की लॉकडाउन की स्थितियों पर आवश्यक व्यवस्थाएँ करने के संबंध में राज्यों को स्थानीय परिस्थितियों अनुसार आवश्यक निर्णय लेने के लिए कहा गया है। प्रमुख रूप से कंटेनमेंट क्षेत्र में गतिविधियों को सीमित रखते हुए ऑरेंज और ग्रीन क्षेत्र में विभिन्न गतिविधियों का समय निर्धारित किया जाएगा। यह निर्णय लिया गया है कि इस अवधि में धार्मिक और सामाजिक सेवाएँ उत्सव आदि नहीं होंगे। जिलों में क्राइसिस मैनेजमेंट ग्रुप से चर्चा के बाद अन्य सुझाव प्राप्त किए जाएंगे। इस ग्रुप में सांसद, विधायक, समाजसेवी आदि शामिल हैं। इसके साथ ही राजनीतिक दलों और मीडिया प्रतिनिधियों से भी सुझाव प्राप्त किए जाएंगे। बैठक में मुख्यमंत्री श्री चौहान ने मंत्रि-परिषद के सदस्यों को प्रदेश में आ रहे अन्य प्रदेशों के श्रमिकों के भोजन प्रवास और आगामी गंतव्य तक भेजने के लिए परिवहन व्यवस्था के संबंध में भी जानकारी दी।
सुझाव प्राप्त करने के लिये मंत्रियों को दायित्व
बैठक में निर्णय लिया गया कि मंत्री 13 मई तक जिलों के क्राइसिस मेनेजमेंट ग्रुप से लॉकडाउन-4 के संबंध में आवश्यक व्यवस्थाओं और आर्थिक गतिविधियों के संचालन के संबंध में सुझाव प्राप्त करेंगे। इसके पश्चात राज्य स्तर से सुझाव एकीकृत कर भारत सरकार को प्रेषित किये जायेगें। मंत्रि गण अपने प्रभार के संभागों के कुछ जिलों के समूह बनाकर चर्चा करेंगे। यह चर्चा वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग द्वारा होगी।
श्रम सुधार
मध्यप्रदेश में महत्तवपूर्ण श्रम सुधार किये गये हैं। पूर्व में 13 केन्द्रीय एवं 4 मध्यप्रदेश के कानूनों में आवश्यक 32 श्रम संशोधन किये जा चुके हैं । इनकी अधिसूचना 27 नवम्बर 2015 को जारी हुई थी। इज ऑफ-डूईंग बिजनेस के लिये 32 प्रक्रियात्मक सुधार कर 30 जरूरी सेवाओं को मध्यप्रदेश लोकसेवा प्रदाय गारंटी अधिनियम में शामिल किया गया। हाल ही में कारखाना अधिनियम में 2 महत्तवपूर्ण सुधारों के लिये भारत सरकार को प्रस्ताव भेजा गया है। इसी तरह ठेका श्रम अधिनियम के संबंध में संशोधन का प्रस्ताव भारत सरकार को भेजा गया। मध्यप्रदेश में सिंगल विंडो क्लियरेंस लागू किया गया। कम्पाउंडिंग के तहत विभिन्न अधिनियमों में ऐसे प्रावधान किये गये जिससे कारखाना प्रबंधन को न्यायालय के प्रकरण के स्थान पर जुर्माना भरवाकर ही कार्यवाही की जा सकेगी। निरीक्षण की पारदर्शी व्यवस्था की गई है। मुम्बई की संस्था के स्थान पर श्रमायुक्त मध्यप्रदेश को तृतीय पक्ष से निरीक्षण कराने के लिये अधिकृत किया गया है। पंजीयन और रिटर्न की ऑन लाईन व्यवस्था की गई है। पूर्व में 13 रिटर्न भरने होते थे जिसे घटाकर 2 किया गया था। अब सिर्फ एक रिटर्न ही भरना होगा। एक महत्तवपूर्ण संशोधन कारखानों में कार्य की अवधि को 8 घंटे से बढ़ाकर 12 घंटा किया जाना है। इससे श्रमिक को ओवरटाईम का भुगतान होगा। सोशल डिस्टेसिंग के पालन और भीड़ कम करने के उद्देश्य से दुकान एवं स्थापना अधिनियम में भी सुबह 6 से रात्रि 12 तक संस्थान खोले जाने की अधिसूचना जारी की गई। नये कारखानों की स्थापना और संचालन के लिये प्रासंगिक श्रम कानूनों के लिये एक हजार दिवस के लिये छूट प्रदाय करने का प्रस्ताव है।
मंडी अधिनियम एवं नियमों में बदलाव
बैठक में बताया गया कि राज्य में किसानों को फसल बेचने के तीन विकल्प उपलब्ध हैं। मंडी में विक्रय की सुविधा, सौदा पत्रक के माध्यम से किसान के घर अथवा खेत से फसल लेने की व्यवस्था और प्रायवेट मंडी से फसल बेचने की सुविधा से उपार्जन कार्य को गति मिली है। ऐसा प्रावधान करने वाला मध्यप्रदेश पहला राज्य है। प्रदेश में 940 नये क्रय केन्द्र संचालित किये जा रहे हैं। इससे कोरोना संक्रमण की आशंका को कम करने में मदद मिली है। किसानों के कल्याण के लिये अनेक संशोधन प्रस्तावित किये गये हैं। मध्यप्रदेश कृषि उपज मंडी (निजी मंडी प्रांगण, निजी मंडी उप प्रांगण, डायरेक्ट क्रय केन्द्र तथा इलेक्ट्रानिक ट्रेडिंग प्लेटफार्म की स्थापना) नियम 2020 में प्रस्तावित निजी मंडी दो प्रकार की हैं। एक निजी मार्केट प्रांगण जिसमें निजी मंडी प्रांगण, निजी मंडी उप प्रांगण और डायरेक्ट क्रय केन्द्र और दूसरा इलेक्ट्रानिक ट्रेडिंग जिसमें इलेक्ट्रानिक ट्रेंडिंग प्लेटफार्म स्थापित करने की योजना है। किसानों के हित में अन्य कई संशोधन की पहल भी की गई है।
निवेश प्रोत्साहन
औद्योगिक नीति एवं निवेश प्रोत्साहन विभाग के प्रेजंटेशन में बताया गया कि प्रदेश में मुख्यमंत्री श्री चौहान से उद्योगपतियों की चर्चा के पश्चात विश्वास का वातावरण बना है। कोरोना संकट के बाद लॉकडाउन की स्थिति में 5200 कारखानों को प्रारंभ कर श्रमिक आवागमन की मंजूरियाँ दी गईं। इसके फलस्वरूप 10 अप्रेल को जिस 25 प्रतिशत क्षमता से ईकाइयां कार्य कर रहीं थीं वो 10 मई को 68 प्रतिशत क्षमता के साथ कार्य कर रहीं हैं। आकर्षक गारमेंट नीति में 200 प्रतिशत तक वापसी, विशेष भूमि पूलिंग नीति में 20 प्रतिशत मूल्य, 80 प्रतिशत भूमि तथा किसानों को दोगुनी राशि का प्रावधान किया गया है। नवीन उद्यानिकी और आकर्षक लॉजिस्टिक नीति से भी निवेशक अधिक रूचि लेंगे इसके साथ ही विश्वस्तरीय फार्मा पार्क जिसकी लागत 158 करोड़ है और लेदर एवं फुटवियर पार्क जिसकी लागत 250 करोड़ है , उनकी स्थापना के लिये प्रक्रिया को गति दी जा रही है।
बैठक में गृह तथा लोक स्वास्थ्य तथा परिवार कल्याण मंत्री डॉ.नरोत्तम मिश्र, जल संसाधन मंत्री श्री तुलसीराम सिलावट, खादय एवं नागरिक आपूर्ति तथा सहकारिता मंत्री श्री गोविन्द सिंह राजपूत, किसान कल्याण तथा कृषि विकास मंत्री श्री कमल पटेल और आदिम जाति कल्याण मंत्री श्री सुश्री मीना सिंह उपस्थित थीं।
बैठक में मुख्य सचिव श्री इकबाल सिंह बैस ने बताया कि राज्य स्तरीय नियंत्रण कक्ष से दूरभाष की 100 लाइनों को बढ़ाकर 250 किया गया है। प्रवासी श्रमिकों की सहायता के लिए सभी जिलों में तत्परता से कार्यवाही हो रही है। श्रम सुधारों के संबंध में प्रमुख सचिव श्री राजेश राजौरा, मंडी अधिनियम के संबंध में प्रमुख सचिव श्री अजीत केसरी और निवेश प्रोत्साहन के प्रयासों के संबंध में प्रमुख सचिव श्री संजय शुक्ला ने प्रेजेन्टेशन दिया। बैठक में अपर मुख्य सचिव श्री अनुराग जैन, प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री श्री मनीष रस्तोगी, प्रमुख सचिव जनसम्पर्क श्री अनुपम राजन, आयुक्त जनसम्पर्क श्री सुदाम खाड़े और संचालक जनसम्पर्क श्री ओम प्रकाश श्रीवास्तव उपस्थित थे।
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