विशेष ट्रेन से नासिक से भोपाल आए 319 श्रमिक,प्रदेश के विभिन्न जिलों में बसों से किया रवाना
श्रमिकों ने मुख्यमंत्री श्री चौहान को दिया धन्यवाद
स्वास्थ्य दलों ने की मेडिकल जाँच
जिला प्रशासन ने भोजन और राशन कराया उपलब्ध
भोपाल।
प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान के साहसिक और नैतिक निर्णय से आज फिर नासिक महाराष्ट्र से विशेष ट्रेन के माध्यम से आये प्रदेश के विभिन्न जिलों के कार्यरत श्रमिकों को भोपाल स्थित मिसरोद स्टेशन पर लाया गया। जिला प्रशासन ने आज नासिक में लॉक डाउन के दौरान फँसे 319 श्रमिकों को प्रदेश के विभिन्न जिलों में बस द्वारा भेजा गया।
कलेक्टर एवं जिला दंडाधिकारी श्री तरुण पिथोड़े के निर्देश पर जिला प्रशासन द्वारा इन सभी श्रमिकों की मेडिकल स्क्रीनिंग कराई गई। मिसरोद स्टेशन से इन श्रमिकों और सेवा क्षेत्रों में कार्यरत व्यक्तियों को यात्रा के दौरान भोजन के पैकेट और पानी की बोतल देते हुए इन्हें इनके निवास स्थान के लिए रवाना किया गया।
इनमें देवास जिले के 18, इंदौर, झाबुआ के 17, खरगोन के 46, मुरैना श्योपुर और शिवपुरी के 21, विदिशा जबलपुर और सिवनी के 18, रीवा के 33, सीधी, सिंगरौली के 11, सतना के 34, शहडोल-दमोह-टीकमगढ़ और पन्ना के 28, ग्वालियर- गुना और अशोकनगर के 29, भिंड एवम् राजगढ़ के 22, दतिया के 15, खंडवा- बड़वानी के 23 और बैतूल जिले के 4 श्रमिकों और सेवा क्षेत्रों में कार्यरत व्यक्तियों को विभिन्न बसों के माध्यम से पहुंचाया गया। इन श्रमिकों में बड़े, बुजुर्ग, महिलायें और बच्चे शामिल थे।
इन सभी श्रमिकों और उनके परिवार के सभी सदस्यो ने मुख्यमंत्री श्री चौहान द्वारा की गई मदद का ह्रदय से आभार प्रकट किया। उन्होंने कहा की इस संक्रमण और महामारी के दौरान हमारा विशेष ध्यान रखते हुए हमें घर तक पहुंचाने की व्यवस्था की गई है। इस विषम परिस्थिति में हमें यह सुविधा उपलब्ध कराई गई है। इसके लिए हम शासन प्रशासन के आभारी रहेंगे।
जिला प्रशासन द्वारा इन सभी श्रमिकों की मेडिकल जांच व्यवस्था, भोजन और बसो का प्रबंध किया गया। मानव सेवा की यह पहल ने शासन और जिला प्रशासन के नैतिक और मानवीय दृष्टिकोण को चरितार्थ किया है।
लॉक डाउन के दौरान ये सभी श्रमिक काफी समय से अपने गृह निवास जाने में असमर्थ थे। रोजगार ना मिलने और आर्थिक स्थिति दयनीय होने से यह तनाव और चिंता में आ गए थे। मुख्यमंत्री श्री चौहान के अथक प्रयासो और नेतृत्व क्षमता से यह सब संभव हो पाया है और आज ये सभी श्रमिक अपने-अपने घरों की ओर रवाना हो रहे हैं।
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