प्रदेश में श्रम कानूनों में सुधार कर सरलीकरण किया जाएगा,मुख्यमंत्री ने श्रम सुधार संबंधी बैठक में दिये आवश्यक निर्देश

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प्रदेश में श्रम कानूनों में सुधार कर सरलीकरण किया जाएगा,मुख्यमंत्री ने श्रम सुधार संबंधी बैठक में दिये आवश्यक निर्देश



प्रदेश में श्रम कानूनों में सुधार कर सरलीकरण किया जाएगा,
मुख्यमंत्री ने श्रम सुधार संबंधी बैठक में दिये आवश्यक निर्देश
 

भोपाल।
मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि हमें प्रदेश में कोरोना की चुनौती को अवसर में बदलना है। हमें अपने श्रम कानूनों में इस प्रकार के सुधार करने हैं जिससे कि वे प्रदेश में निवेश को लाने में बाधा ना बने। साथ ही मजदूरों के कल्याण का पूरा-पूरा ध्यान रखा जाएगा। इस संबंध में केन्द्र सरकार द्वारा सुझाए गए सुधारों तथा अन्य राज्यों के श्रम कानूनों का अध्ययन कर प्रदेश में बेहतर से बेहतर प्रावधान किए जाएँ। श्रम कानूनों का सरलीकरण किया जाए। श्री चौहान मंत्रालय में श्रम विभाग की श्रम सुधार संबंधी बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे। बैठक में प्रमुख सचिव श्रम श्री अशोक साह, प्रमुख सचिव उद्योग श्री राजेश राजौरा सहित सभी संबंधित उपस्थित थे।

अवसर का लाभ लें

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि वर्तमान कोरोना संकट के कारण चीन जैसे देशों से कई उद्योग छोड़कर जा रहे हैं।  वे अपने उद्योग अन्य देशों में स्थापित करेंगे। यह हमारे लिए अवसर है। हम अपने श्रम कानून एवं औद्योगिक नीति ऐसी रखें जिससे प्रदेश में अधिक से अधिक निवेश आकर्षित हों।

दुकान का समय सुबह 6 से रात 12 बजे तक

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि वर्तमान कोरोना संकट के समय  प्रदेश में  कारखानों में  शिफ्ट का समय  12 घंटे  तक करने की छूट दी गई है।  इसी प्रकार  दुकानदारों की सुविधा के लिए उनके बंद होने का समय रात 12:00 बजे किया जा सकता है। दुकानों का समय प्रातः 6:00 बजे से रात 12:00 बजे तक किया जा सकता है। 

एक रिटर्न के प्रावधान पर विचार

प्रमुख सचिव श्रम ने बताया कि प्रदेश में कारखानों को ऑनलाइन रिटर्न भरने की सुविधा प्रदान की गई है। प्रदेश में 16 श्रम कानूनों में 61 रजिस्टर के स्थान पर एक रजिस्टर रखने तथा 13 रिटर्न कार्यालय में दाखिल करने के स्थान पर 02 रिटर्न का प्रावधान किया गया है। इस पर मुख्यमंत्री श्री चौहान ने निर्देश दिए कि एक रिटर्न के प्रावधान पर विचार करें।

दस्तावेजों की संख्या कम करने पर विचार

प्रमुख सचिव श्रम ने बताया कि प्रदेश में प्रक्रियाओं में सरलीकरण के दृष्टिगत सभी पंजीयन एवं लाइसेंसों में मांगे जाने वाले दस्तावेजों की संख्या में कमी की गई है। कारखाना अधिनियम 1948 के अंतर्गत अनुज्ञप्ति में अनिवार्य दस्तावेजों की संख्या 18 से कम कर 05 एवं अधिकृत खतरनाक एवं खतरनाक श्रेणी के कारखानों में यह संख्या 21 से कम कर 13 की गई है। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि दस्तावेजों की संख्या को और कम करने पर विचार किया जाए।

स्थापना में श्रमिकों की संख्या 20 हो

प्रमुख सचिव ने बताया कि वर्तमान में ऐसी स्थापना है कि जहाँ 10 से कम श्रमिक होते हैं, वहाँ श्रम अधिनियम में निरीक्षण श्रम आयुक्त की अनुमति के बगैर नहीं किया जा सकता। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि इस संख्या को 20 किया जाए।

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